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विनय चौबे के विभाग में हुई नियुक्ति में धांधली! स्टेट मिशन मैनेजर पर लगे गंभीर आरोप, सीएम सचिवालय पहुंचा मामला, भाजपा ने उठाए सवाल - झारखंड न्यूज

नगरीय प्रशासन निदेशालय के हेड ऑफिस में पदस्थापित स्टेट मिशन मैनेजर कुमार बम पर पद के दुरूपयोग का आरोप लगा है. मामला सीएम सचिवालय तक पहुंच चुका है.

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Published : May 24, 2022, 8:05 PM IST

रांची: नगरीय प्रशासन निदेशालय के हेड ऑफिस में पदस्थापित स्टेट मिशन मैनेजर कुमार बम के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं. उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने सगे भाई सुजीत कुमार त्रिवेदी को सिटी मिशन मैनजर बनवा दिया है. साथ ही अपनी रिश्तेदार वर्षा दूबे को कम्यूनिटी ऑर्गेनाइजर (सीओ) के पद पर बहाल करवाया है. उन्होंने अपने एक करीबी निरंजन कुमार को स्टेट मिशन मैनेजर सोशल डेवलपमेंट के पद पर नियुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई है. तीनों मामलों की शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुंची है.

पद के दुरूपयोग का पहला आरोप: मिथिलेश महतो नामक शख्स ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र प्रेषित कर आरोप लगाया है कि सुजीत कुमार त्रिवेदी ने सीएमएम पद पर साक्षात्कार से पहले ही घोषणा कर दिया था कि उनका चयन तय है. जबकि इस पद के लिए कुल 72 आवेदन आए थे. उनका आरोप है कि नगरीय प्रशासन निदेशालय में एसएमएम के पद पर पदस्थापित कुमार बम ने नियमों को ताक पर रखकर अपने भाई का चयन कराया है. वह खुद साक्षात्कार बोर्ड में उपस्थित थे. जबकि नियम के मुताबिक अगर किसी पदाधिकारी का कोई परिचित या रिश्तेदार इंटरव्यू देने आता है तो संबंधित पदाधिकारी को उस बोर्ड में बैठने का हक नहीं है. लेकिन कुमार बम ने इस तथ्य को विभाग से छुपाते हुए अपने सहोदर भाई को अधिकतम अंक देते हुए अंतिम चयन भी करवा दिया. न सिर्फ चयन बल्कि अपने भाई को उसके गृह जिला बोकारो के फुसरो नगर पंचायत में पदस्थापित भी करवा दिया.

खास बात है कि मिथिलेश महतो के पत्र पर सीएमओ के जांचोपरांत कार्रवाई के आदेश के बाद इन बातों का खुलासा हुआ है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जांच में सारे आरोप सही पाए जाने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जानकारी के मुताबिक लंबे समय से विभाग में तैनात कुमार बम पूरे मामले को मैनेज कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि विभाग में बड़े अफसरों के साथ उनके ताल्लुकात हैं. जिसका वह फायदा उठा रहे हैं.

पद के दुरूपयोग का दूसरा आरोप: निदेशालय में कुमार बम की पैठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतने गंभीर आरोप लगने और सच के खुलासे के बावजूद उन्होंने अपनी रिश्तेदार वर्षा दूबे को कम्यूनिटी ऑर्गनाइजर के पद पर बहाल कराने में भी अहम भूमिका निभाई है. इस मामले में भी सीएमओ के आदेश पर जांच हो रही है. इसकी शिकायत बोकारो की रहने वाली रागिनी देवी ने सीएमओ में की थी. वह खुद सीआरपी यानी कम्यूनिटी रिसोर्स पर्सन के पद पर सेवा दे रही हैं.

पद के दुरूपयोग का तीसरा आरोप: कुमार बम ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए एक परिचित निरंजन कुमार को स्टेट मिशन मैनेजर सोशल डेवलपमेंट बनवाया है. इसकी भी शिकायत राकेश कुमार रौशन नाम के शख्स ने मुख्यमंत्री सचिवालय में की थी. उस आधार पर भी जांच चल रही है.

कब होगी जांच पूरी, भाजपा ने उठाए सवाल: नगरीय प्रशासन निदेशालय के निदेशक राजेश पाठक ने स्वीकार किया कि तीनों मामलों से जुड़ी शिकायतें मिली हैं. उन्होंने एक मामले पर अपनी रिपोर्ट विभाग को भेज दी है. शेष दोनों मामलों की भी जांच चल रही है. इस बीच जानकारी मिली है कि संबंधित शख्स को डीएमए से हटाकर विभाग में भेज दिया गया है.

इस मामले में प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने गंभीर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अब इस राज्य में कनीय पदाधिकारी भी वहीं करने लगे हैं जो यहां का शीर्ष नेतृत्व कर रहा है. लिहाजा, पूरे मामले की जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

रांची: नगरीय प्रशासन निदेशालय के हेड ऑफिस में पदस्थापित स्टेट मिशन मैनेजर कुमार बम के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं. उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने सगे भाई सुजीत कुमार त्रिवेदी को सिटी मिशन मैनजर बनवा दिया है. साथ ही अपनी रिश्तेदार वर्षा दूबे को कम्यूनिटी ऑर्गेनाइजर (सीओ) के पद पर बहाल करवाया है. उन्होंने अपने एक करीबी निरंजन कुमार को स्टेट मिशन मैनेजर सोशल डेवलपमेंट के पद पर नियुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई है. तीनों मामलों की शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुंची है.

पद के दुरूपयोग का पहला आरोप: मिथिलेश महतो नामक शख्स ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र प्रेषित कर आरोप लगाया है कि सुजीत कुमार त्रिवेदी ने सीएमएम पद पर साक्षात्कार से पहले ही घोषणा कर दिया था कि उनका चयन तय है. जबकि इस पद के लिए कुल 72 आवेदन आए थे. उनका आरोप है कि नगरीय प्रशासन निदेशालय में एसएमएम के पद पर पदस्थापित कुमार बम ने नियमों को ताक पर रखकर अपने भाई का चयन कराया है. वह खुद साक्षात्कार बोर्ड में उपस्थित थे. जबकि नियम के मुताबिक अगर किसी पदाधिकारी का कोई परिचित या रिश्तेदार इंटरव्यू देने आता है तो संबंधित पदाधिकारी को उस बोर्ड में बैठने का हक नहीं है. लेकिन कुमार बम ने इस तथ्य को विभाग से छुपाते हुए अपने सहोदर भाई को अधिकतम अंक देते हुए अंतिम चयन भी करवा दिया. न सिर्फ चयन बल्कि अपने भाई को उसके गृह जिला बोकारो के फुसरो नगर पंचायत में पदस्थापित भी करवा दिया.

खास बात है कि मिथिलेश महतो के पत्र पर सीएमओ के जांचोपरांत कार्रवाई के आदेश के बाद इन बातों का खुलासा हुआ है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जांच में सारे आरोप सही पाए जाने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जानकारी के मुताबिक लंबे समय से विभाग में तैनात कुमार बम पूरे मामले को मैनेज कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि विभाग में बड़े अफसरों के साथ उनके ताल्लुकात हैं. जिसका वह फायदा उठा रहे हैं.

पद के दुरूपयोग का दूसरा आरोप: निदेशालय में कुमार बम की पैठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतने गंभीर आरोप लगने और सच के खुलासे के बावजूद उन्होंने अपनी रिश्तेदार वर्षा दूबे को कम्यूनिटी ऑर्गनाइजर के पद पर बहाल कराने में भी अहम भूमिका निभाई है. इस मामले में भी सीएमओ के आदेश पर जांच हो रही है. इसकी शिकायत बोकारो की रहने वाली रागिनी देवी ने सीएमओ में की थी. वह खुद सीआरपी यानी कम्यूनिटी रिसोर्स पर्सन के पद पर सेवा दे रही हैं.

पद के दुरूपयोग का तीसरा आरोप: कुमार बम ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए एक परिचित निरंजन कुमार को स्टेट मिशन मैनेजर सोशल डेवलपमेंट बनवाया है. इसकी भी शिकायत राकेश कुमार रौशन नाम के शख्स ने मुख्यमंत्री सचिवालय में की थी. उस आधार पर भी जांच चल रही है.

कब होगी जांच पूरी, भाजपा ने उठाए सवाल: नगरीय प्रशासन निदेशालय के निदेशक राजेश पाठक ने स्वीकार किया कि तीनों मामलों से जुड़ी शिकायतें मिली हैं. उन्होंने एक मामले पर अपनी रिपोर्ट विभाग को भेज दी है. शेष दोनों मामलों की भी जांच चल रही है. इस बीच जानकारी मिली है कि संबंधित शख्स को डीएमए से हटाकर विभाग में भेज दिया गया है.

इस मामले में प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने गंभीर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अब इस राज्य में कनीय पदाधिकारी भी वहीं करने लगे हैं जो यहां का शीर्ष नेतृत्व कर रहा है. लिहाजा, पूरे मामले की जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

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