रांचीः कोरोना से ठीक होने के बाद पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी कई ऐसे मरीज मिल रहे हैं जो ब्लैक फंगस जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं. राजधानी सहित पूरे राज्य में दर्जनों ऐसे मरीज मिले हैं जो ब्लैक फंगस जैसी खतरनाक बीमारी से ग्रसित है और वह विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत हैं.
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राजधानी रांची के रिम्स की बात करें तो वर्तमान में लगभग 13 मरीज रिम्स के ईएनटी विभाग की निगरानी में इलाजरत हैं जिन्हें पुराने ट्रामा सेंटर और डेंगू वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है.
वहीं ब्लैक फंगस से ग्रसित मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए स्वास्थ विभाग द्वारा गाइडलाइन भी जारी की गई है, जिसके अंतर्गत सभी सिविल सर्जन को जिलास्तर पर तैयारी करने का दिशा निर्देश दिया गया है, ताकि अगर ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती है तो उन्हें अपने ही जिले में इलाज की व्यवस्था मिल सके.
13 मरीज रिम्स में भर्ती
फिलहाल लगभग 13 मरीज रिम्स में भर्ती हैं और सभी का ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष के नेतृत्व में इलाज जारी है. रिम्स के अलावा कुछ निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं लेकिन अभी सभी अस्पतालों में इसके इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं कराई गई है, लेकिन स्वास्थ विभाग की तरफ से सभी जिलों में ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए इंतजाम के दिशा निर्देश दे दिए गए हैं अगर मरीजों की संख्या बढ़े तो उन्हें बेहतर इलाज मिल सके.
वहीं मिली जानकारी के अनुसार राजधानी रांची के मेडिका अस्पताल और जमशेदपुर के टीएमएच अस्पताल में ब्लैक फंगस की वजह से 5 मरीजों की मौत भी हुई है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए रांची के प्रसिद्ध ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ सुमित लाल बताते हैं कि जैसे ही कोई मरीज कोरोना से संक्रमित होता है उन्हें अपने शुगर लेवल का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ब्लैक फंगस ऐसे लोगों को हो रहा है जो डायबिटीज से ग्रसित हैं.
साथ ही उन्होंने बताया कि इस बीमारी में लोगों के आंख खराब होने की संभावना बढ़ जाती है इसीलिए लोगों को सचेत रहने की जरूरत है जैसे ही मरीज को आभास हो कि वह ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहा है तो उन्हें तुरंत डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए.
एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन है कारगार
वहीं डॉक्टर बताते हैं कि ब्लैक फंगस के मरीजो के लिए एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन रामबाण माना जाता है, लेकिन इस इंजेक्शन की कमी पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी देखने को मिल रही है.
इस वजह से इसकी वैकल्पिक दवा मरीज को लगाना मजबूरी हो जाती है जोकि मरीज की किडनी पर सीधा इफेक्ट करती है ऐसे में जरूरी है कि सरकार की तरफ से एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन राज्य में मुहैया कराई जाए ताकि मरीजों को समुचित इलाज मिल सके.
गौरतलब है कि ब्लैक फंगस की संकट से निपटने के लिए स्वास्थ विभाग हरसंभव प्रयास कर रहा है जिससे कि झारखंड को ब्लैक फंगस के कहर से बचाया जा सके.