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भूख से मौत मामले पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- योजनाओं का धरातल पर न उतरना नक्सलवाद की बड़ी वजह

भूख से मौत मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सरकारी योजनाओं का धरातल पर न उतरना झारखंड में नक्सलवाद की बड़ी वजह है.

starvation death case Jharkhand High Court said  Naxalism in jharkhand is cause of schemes not reach on ground
भूख से मौत मामले पर हाईकोर्ट तल्ख
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Published : Sep 2, 2021, 2:07 PM IST

Updated : Sep 2, 2021, 2:31 PM IST

रांची: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने भूख से मौत को लेकर लिए गए स्वत:संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान सरकार पर तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाएं महज कागज पर सिमटकर रह गईं हैं. धरातल पर लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण नक्सलवाद बढ़ रहा है.

ये भी पढ़ें-धनबाद जज उत्तम आनंद की मौत मामलाः CBI की जांच से झारखंड हाई कोर्ट संतुष्ट

नाराज अदालत ने कहा कि सरकार के जिला स्तर के अधिकारी, अनुमंडल स्तर के पदाधिकारी, प्रखंड स्तर के पदाधिकारी आखिर क्या कर रहे हैं. क्यों नहीं योजनाएं धरातल पर पहुंच रहीं हैं. अभी भी लोग आदिम युग में जीने के लिए मजबूर हैं.

देखें पूरी खबर

खनिज निकाल रहे, लेकिन लोगों के लिए क्या कर रहे हैं

अदालत ने झालसा की रिपोर्ट का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि राशन के लिए लोगों को 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है और मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. यह झालसा की रिपोर्ट है. सिर्फ कागज में योजनाएं होने से कैसे विकास होगा. विकास योजनाओं का लोगों तक न पहुचना अपराध को जन्म देता है. कोर्ट ने कहा कि हम जंगल से खनिज निकाल रहे हैं. लेकिन वहां रहने वाले लोगों के लिए क्या कर रहे हैं. यह सोचने की बात है.

लोग लकड़ियां बेचकर गुजारा करने पर मजबूर

कोर्ट ने कहा कि झारखंड में कई ऐसे इलाके हैं जहां राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रहीं योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. सुदूरवर्ती इलाकों में लोग जंगल की लकड़ियां बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, यह शर्म की बात है.कोर्ट ने इस मामले में 2 सप्ताह बाद सुनवाई की तिथि निर्धारित करते हुए अगली सुनवाई के दौरान समाज कल्याण विभाग के सचिव को भी उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार एवं पूर्व अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन अमेकस क्यूरी के रूप में अदालत में उपस्थित हुए.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने भूख से मौत को लेकर लिए गए स्वत:संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान सरकार पर तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाएं महज कागज पर सिमटकर रह गईं हैं. धरातल पर लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण नक्सलवाद बढ़ रहा है.

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नाराज अदालत ने कहा कि सरकार के जिला स्तर के अधिकारी, अनुमंडल स्तर के पदाधिकारी, प्रखंड स्तर के पदाधिकारी आखिर क्या कर रहे हैं. क्यों नहीं योजनाएं धरातल पर पहुंच रहीं हैं. अभी भी लोग आदिम युग में जीने के लिए मजबूर हैं.

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खनिज निकाल रहे, लेकिन लोगों के लिए क्या कर रहे हैं

अदालत ने झालसा की रिपोर्ट का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि राशन के लिए लोगों को 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है और मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. यह झालसा की रिपोर्ट है. सिर्फ कागज में योजनाएं होने से कैसे विकास होगा. विकास योजनाओं का लोगों तक न पहुचना अपराध को जन्म देता है. कोर्ट ने कहा कि हम जंगल से खनिज निकाल रहे हैं. लेकिन वहां रहने वाले लोगों के लिए क्या कर रहे हैं. यह सोचने की बात है.

लोग लकड़ियां बेचकर गुजारा करने पर मजबूर

कोर्ट ने कहा कि झारखंड में कई ऐसे इलाके हैं जहां राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रहीं योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. सुदूरवर्ती इलाकों में लोग जंगल की लकड़ियां बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, यह शर्म की बात है.कोर्ट ने इस मामले में 2 सप्ताह बाद सुनवाई की तिथि निर्धारित करते हुए अगली सुनवाई के दौरान समाज कल्याण विभाग के सचिव को भी उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार एवं पूर्व अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन अमेकस क्यूरी के रूप में अदालत में उपस्थित हुए.

Last Updated : Sep 2, 2021, 2:31 PM IST
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