रांची: राजधानी रांची में फरार चल रहे वारंटी पर पुलिस की टेढ़ी नजर है. पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद और अपराध की वारदातों पर नकेल कसने के लिए वारंटियों की तलाश शुरू कर दी गई है. फरार वारंटियों की गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया गया है, जो गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी करेगी.
राजधानी में 5000 वारंट लंबित
झारखंड के 24 जिलों के थानों में मौजूदा समय में 37159 स्थायी वारंट आरोपियों की गिरफ्तारी लंबे समय से लंबित है. पुलिस इन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रही है. सबसे अधिक 7385 लंबित वारंट देवघर जिले में है, जबकि सबसे कम 46 लंबित वारंट पलामू में है. रांची में अभी 5000 से अधिक वारंट लंबित है. मामले को लेकर रांची एसएसपी सुरेंद्र झा ने जिले के सभी थानों को निर्देश जारी किया है, कि वह जल्द से जल्द थानों में लंबित वारंट की लिस्ट तैयार करें और इसकी जानकारी एसएसपी कार्यालय को उपलब्ध कराएं. वहीं, फरार चल रहे वारंटियों की लिस्ट तैयार कर ली गई है. उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है, जो लगातार अपना काम कर रही है.
हर रोज आते है 5 से 10 वारंट
झारखंड के हर थाने में रोजाना कोर्ट के ओर से जारी वारंट एसएसपी और एसपी ऑफिस से होते हुए थाना पहुंचता है. वारंट पर तिथि निर्धारित रहती है कि कितने दिनों तक कार्रवाई कर वापस लौटानी है. छोटे थानों में हर दिन 5 या उससे अधिक वारंट आते हैं. वहीं बड़े थानों में रोजाना कम से कम 25 से अधिक वारंट आते हैं. वारंट पर तुरंत कार्रवाई नहीं होने की वजह से यह लंबित हो जाते हैं. वारंट थानों में लंबित होने की वजह से अपराधियों को इसका फायदा होता है.
रांची पुलिस ने एक महीने में 40 से ज्यादा अपरधियों को किया गिरफ्तार
हालांकि पिछले एक महीने में रांची पुलिस ने अपने परफॉर्मेंस को काफी हद तक सुधारी है. अगर केवल अक्टूबर से लेकर 22 नवंबर तक के आंकड़ों पर गौर करें तो रांची पुलिस ने ग्रामीण और शहरी इलाकों को मिलाकर 40 से अधिक अपराधियों और नक्सलियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. राजधानी रांची से सबसे अधिक पीएलएफआई के नक्सली गिरफ्तार हुए हैं. उनके पास से पुलिस ने 12 से अधिक हथियार भी बरामद किया है.
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डीजीपी का आदेश, जल्द खत्म करें लंबित वारंट
झारखंड के डीजीपी एमवी राव ने पिछले महीने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलों के एसएसपी, एसपी और डीआईजी के साथ समीक्षा बैठक की थी, जिसमें उन्होंने अपराधियों और अपराधिक कांडों में वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए सघन अभियान चलाने का निर्देश दिया था.
कहां कितने वारंट है पेंडिंग
जिला | वारंट पेंडिंग |
देवघर | 7385 |
गिरिडीह | 5566 |
रांची | 5195 |
हजारीबाग | 4814 |
साहिबगंज | 3793 |
चतरा | 1894 |
धनबाद | 1136 |
बोकारो | 1062 |
लातेहार | 986 |
चाईबासा | 967 |
पाकुड़ | 873 |
गोड्डा | 693 |
दुमका | 592 |
जामताड़ा | 507 |
सरायकेला | 481 |
कोडरमा | 320 |
रामगढ़ | 276 |
गढ़वा | 200 |
सिमडेगा | 171 |
खूंटी | 124 |
लोहरदगा | 78 |
पलामू | 46 |
अपराधियों के मददगार पुलिस वाले भी रडार पर
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि थानों में आने वाले वारंट को कुछ पुलिसवाले दबा कर रख लेते हैं. वारंटी को गिरफ्तार करने के बजाए कुछ पुलिस वाले उन्हें मैसेज पहुंचा कर अलर्ट कर देते हैं. ऐसे पुलिसकर्मी भी मुख्यालय के रडार पर हैं. अगली बार जब डीजीपी की समीक्षा बैठक होगी तब किन-किन पुलिसकर्मियों को कितने वारंट दिए गए और उनमें से कितने के तमिला करवाए गए, इसकी भी समीक्षा की जाएगी.
अपराध पर लगेगा लगाम
अगर पुलिस फरार चल रहे वारंटिओं को तय समय में गिरफ्तार कर लेती है तो राजधानी रांची में अपराध की वारदातों में कमी भी आएगी. यही वजह है कि फरार चल रहे अपराधियों गिरफ्तारी के लिए बनाई गई विशेष टीम लगातार अपना होमवर्क कर रही है, ताकि कोई भी फरारी पुलिस से बच न सके.