ETV Bharat / state

आम लोगों से कैसे दूर होता जा रहा बापू की खादी...पढ़ें पूरी रिपोर्ट

author img

By

Published : Oct 2, 2021, 12:32 PM IST

Updated : Oct 2, 2021, 4:01 PM IST

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिस खादी के प्रति देशवासियों को प्रेरित किया वो खादी आज के दौर में आम लोगों से दूर हो रहा है. बुनकरों की कड़ी मेहनत से बनने वाले खादी उत्पाद आज बाजारों में इतने महंगे हैं कि आम लोग इसे खरीदने की सोच भी नहीं सकते.

sale of khadi in jharkhand
झारखंड में खादी की बिक्री

रांची: देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस खादी के प्रति देशवासियों को प्रेरित किया वो खादी आज के दौर में आम लोगों से दूर हो रहा है. स्टेटस सिंबल के रूप में पहचान बनकर बाजारों में संघर्ष कर रहा खादी पावरलूम से दो-दो हाथ करने के लिए बाजारवादी व्यवस्था को अपना लिया है. बापू का चरखा आज आउटडेटेड हो चुका है. बुनकरों की कड़ी मेहनत से बनने वाले खादी उत्पाद आज बाजारों में इतने महंगे हैं कि आम लोग इसे खरीदने की सोच भी नहीं सकते.

यह भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय चरखा संघ के माध्यम से देश के लगभग तीस हजार गांवों के बीस लाख किसानों, बुनकरों और कारीगरों की संगठित फौज को विदेशी वस्त्र उद्योग के विकल्प के बतौर खड़ा किया था. आजादी के बाद खादी ग्रामोद्योग की मदद के लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग का गठन 1952 में किया गया. आयोग के लिए सरकार द्वारा ब्याज रहित पूंजी और बिक्री पर छूट का प्रावधान किया गया. समय के साथ उत्पादन बढ़ा लेकिन ऊंचे दाम होने के कारण बिक्री घटती चली गई है.

देखें रिपोर्ट

45 रुपए से 22 हजार तक के हैं खादी के कपड़े

हर वर्ष 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी की जयंती से खादी कपड़ों और सामानों पर छूट मिलनी शुरू होती है. 20 से 25 प्रतिशत तक की छूट के लिए आम लोग महीनों इंतजार करते रहते हैं. इसके बाबजूद बदलते समय के साथ खादी के सामानों के दामों में हुई वृद्धि इसे आम लोगों से दूर कर देता है. झारखंड खादी ग्रामोद्योग द्वारा संचालित खादी के आउटलेट में 45 रुपये से लेकर 22 हजार तक के खादी कपड़े हैं. 45 रुपए में रुमाल मिलेगा वहीं खादी के सिल्क 8 हजार से लेकर 22 हजार तक में मिलेंगे. इसी तरह शर्ट, कुर्ता, साड़ी, बेडशीट, चादर, सलवार-सूट, कंबल आदि के दाम हजार रुपये से ऊपर ही हैं.

खादी के कारोबार में दर्ज हुई गिरावट

राष्ट्रीय स्तर पर जारी आंकड़ों के अनुसार खादी क्षेत्र का कुल उत्पादन 2019-20 के 2,292.44 करोड़ रुपए से घटकर 1,904.49 करोड़ रुपए रह गया है. एमएसएमई मंत्रालय के अनुसार खादी क्षेत्र में उत्पादन और बिक्री में हल्की कमी आयी क्योंकि महामारी के दौरान देश भर में कताई और बुनाई गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ा है. मंत्रालय के अनुसार 2020-21 में खादी क्षेत्र का कुल उत्पादन 2019-20 के 2,292.44 करोड़ रुपए से घटकर 1,904.49 करोड़ रुपए रह गया. वहीं, खादी सामान की कुल बिक्री पिछले साल के 4,211.26 करोड़ रुपए की तुलना में 3,527.71 करोड़ रुपए रही.

कोरोना की मार और बाजारों में छाई मंदी झारखंड में बापू के खादी के भी रंग को फीका कर दिया है. हालत यह है कि अध्यक्ष विहीन झारखंड राज्य खादी आयोग की ओर से संचालित कई यूनिट घाटे में चल रही है. आयोग द्वारा संचालित ट्रेनिंग और उत्पादन कार्य बाधित हैं. ऐसे में जब हम स्वदेशी को अपनाने पर जोर दे रहे हैं तो इसे सर्वसुलभ बनाने की भी सोच रखनी होगी.

रांची: देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस खादी के प्रति देशवासियों को प्रेरित किया वो खादी आज के दौर में आम लोगों से दूर हो रहा है. स्टेटस सिंबल के रूप में पहचान बनकर बाजारों में संघर्ष कर रहा खादी पावरलूम से दो-दो हाथ करने के लिए बाजारवादी व्यवस्था को अपना लिया है. बापू का चरखा आज आउटडेटेड हो चुका है. बुनकरों की कड़ी मेहनत से बनने वाले खादी उत्पाद आज बाजारों में इतने महंगे हैं कि आम लोग इसे खरीदने की सोच भी नहीं सकते.

यह भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय चरखा संघ के माध्यम से देश के लगभग तीस हजार गांवों के बीस लाख किसानों, बुनकरों और कारीगरों की संगठित फौज को विदेशी वस्त्र उद्योग के विकल्प के बतौर खड़ा किया था. आजादी के बाद खादी ग्रामोद्योग की मदद के लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग का गठन 1952 में किया गया. आयोग के लिए सरकार द्वारा ब्याज रहित पूंजी और बिक्री पर छूट का प्रावधान किया गया. समय के साथ उत्पादन बढ़ा लेकिन ऊंचे दाम होने के कारण बिक्री घटती चली गई है.

देखें रिपोर्ट

45 रुपए से 22 हजार तक के हैं खादी के कपड़े

हर वर्ष 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी की जयंती से खादी कपड़ों और सामानों पर छूट मिलनी शुरू होती है. 20 से 25 प्रतिशत तक की छूट के लिए आम लोग महीनों इंतजार करते रहते हैं. इसके बाबजूद बदलते समय के साथ खादी के सामानों के दामों में हुई वृद्धि इसे आम लोगों से दूर कर देता है. झारखंड खादी ग्रामोद्योग द्वारा संचालित खादी के आउटलेट में 45 रुपये से लेकर 22 हजार तक के खादी कपड़े हैं. 45 रुपए में रुमाल मिलेगा वहीं खादी के सिल्क 8 हजार से लेकर 22 हजार तक में मिलेंगे. इसी तरह शर्ट, कुर्ता, साड़ी, बेडशीट, चादर, सलवार-सूट, कंबल आदि के दाम हजार रुपये से ऊपर ही हैं.

खादी के कारोबार में दर्ज हुई गिरावट

राष्ट्रीय स्तर पर जारी आंकड़ों के अनुसार खादी क्षेत्र का कुल उत्पादन 2019-20 के 2,292.44 करोड़ रुपए से घटकर 1,904.49 करोड़ रुपए रह गया है. एमएसएमई मंत्रालय के अनुसार खादी क्षेत्र में उत्पादन और बिक्री में हल्की कमी आयी क्योंकि महामारी के दौरान देश भर में कताई और बुनाई गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ा है. मंत्रालय के अनुसार 2020-21 में खादी क्षेत्र का कुल उत्पादन 2019-20 के 2,292.44 करोड़ रुपए से घटकर 1,904.49 करोड़ रुपए रह गया. वहीं, खादी सामान की कुल बिक्री पिछले साल के 4,211.26 करोड़ रुपए की तुलना में 3,527.71 करोड़ रुपए रही.

कोरोना की मार और बाजारों में छाई मंदी झारखंड में बापू के खादी के भी रंग को फीका कर दिया है. हालत यह है कि अध्यक्ष विहीन झारखंड राज्य खादी आयोग की ओर से संचालित कई यूनिट घाटे में चल रही है. आयोग द्वारा संचालित ट्रेनिंग और उत्पादन कार्य बाधित हैं. ऐसे में जब हम स्वदेशी को अपनाने पर जोर दे रहे हैं तो इसे सर्वसुलभ बनाने की भी सोच रखनी होगी.

Last Updated : Oct 2, 2021, 4:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.