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Lumpy Skin Disease Virus: झारखंड के गौशालाओं में विशेष व्यवस्था, मवेशियों को दिया जा रहा गोट पॉक्स का वैक्सीन

राजस्थान सहित देश के कई इलाकों में गौवंशीय पशुओं के मौत का कारण बना लंपी स्किन डिजीज (LSD) झारखंड में भी कई जिलों में फैल चुका है. ऐसे में पशुपालन विभाग प्रखंडों में पशु चिकित्सकों की टीम को टास्क फोर्स बनाकर भेज रहा है. साथ ही राज्य के सरकारी मान्यता प्राप्त 24-25 गौशाला में विशेष सावधानी (care for cowsheds regarding lumpy skin disease) बरती जा रही है.

Special care for cowsheds regarding lumpy skin disease in Jharkhand
रांची
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Published : Oct 14, 2022, 9:23 AM IST

Updated : Oct 14, 2022, 9:34 AM IST

रांचीः झारखंड में लंपी वायरस का प्रकोप काफी बढ़ गया है. राजधानी में दो गायों में वायरस का संक्रमण मिलने के बाद सरकारी मान्यता प्राप्त गौशाला में विशेष सावधानी (care for cowsheds regarding lumpy skin disease) बरती जा रही है. इसके अलावा इस बीमारी से बचाव के लिए गोट पॉक्स का वैक्सीन भी दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- Lumpy Skin Disease: पशुपालक क्या करें और क्या न करें, जाने पशु का आइसोलेशन कितना जरूरी


राजधानी रांची में कांके के सुकुरहुतु गौशाला में पिछले दिनों दो गाय में लंपी के संक्रमण मिलने के बाद गौशाला प्रबंधन सतर्क हो गया है. प्रबंधन के लोगों ने यहां की सभी गाय को लंपी स्किन डिजीज से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुशंसित गोट पॉक्स का वैक्सीन दिलवाया. वहीं सभी गौशालाओं में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. इसके अलावा सुबह शाम गौशाला में फिनाइल और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया जा रहा है. साथ ही आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, नीम का धुंआ भी गौशाला में कराया जा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


रांची के हरमू स्थित रांची गौशाला न्यास में गौवंशीय पशुओं की सेवा करने वाले सुजीत यादव कहते हैं कि सुकुरहुतु गौशाला में दो गायें लंपी से बीमार हुई थीं. लेकिन इलाज से वो दोनों ठीक हो गयी हैं. अब कोई भी LSD से ग्रसित पशु गौशाला में नहीं है. वहीं रांची गौशाला न्यास के मंत्री प्रदीप राजगढ़िया ने बताया कि अभी गौशालाओं में लंपी पूरी तरह काबू में है. इसकी वजह यह है कि हम पूरी तरह सतर्क हैं, सभी पशुओं को वैक्सीनेट करा दिया गया है.

झारखंड में लंपी वायरस के केसः राज्य में गौवंशीय पशुओं में होने वाली वायरल डिजीज लंपी (LSD) के केस भी लगातार बढ़ते जा (lumpy skin disease in Jharkhand) रहे हैं. पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान कांके (Animal Health and Production Institute Kanke) के निदेशक डॉ. बिपिन महथा ने बताया कि अब तो अलग अलग क्षेत्र से भेजे गए सैंपल की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ रही है. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में संदिग्ध पशु मिल रहे हैं, उनका सैंपल लेकर जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (HSADL) भोपाल भेजा जा रहा है.


एक दर्जन से अधिक पशुओं की मौतः रांची के जिला पशुपालन अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि रांची के कई प्रखंडों में गौवंशीय पशुओं में लंपी वायरस के संदिग्ध (lampy virus cow) मामले मिले हैं. अकेले सोनाहातू प्रखंड में ही 15-18 लंपी के संदिग्ध केस मिले हैं. डॉ. अनिल ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या गोट पॉक्स के वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने की है, अभी रांची में सीमित मात्रा में ही वैक्सीन मौजूद हैं. सिर्फ 12 वायल वैक्सीन बाजार से मिल सका है, जिसमें 600 डोज होगा. डॉ. बिपिन महथा ने कहा कि रांची, हजारीबाग, चतरा, दुमका, देवघर, जमशेदपुर, पलामू, गढ़वा, लातेहार, रामगढ़ और जामताड़ा में लंपी वायरस से संक्रमित संदिग्ध पशु मिले हैं और विभाग को भोपाल भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आने का इंतजार है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर और लंपी वायरस का खतरा, अब तक 1261 सूकर और दो पशुओं की हो चुकी है मौत

क्या होता है लंपी स्किन डिजीजः पशु चिकित्सकों के अनुसार लंपी मुख्यता गौवंशीय पशुओं में होने वाली वायरल डिजीज है. जो मुख्य रूप से संक्रमित मक्खियों, मच्छरों और चमोकन के काटने से पशुओं में फैलता है. बीमार पशुओं की आंख, नाक के स्राव, लार घाव के स्राव एवं दूसरों के संपर्क में आने से स्वस्थ पशुओं में भी संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. वहीं बीमार दुधारू गाय भैंस के थन के आसपास घाव होने की वजह से दूध पीने वाले बाछा-बछियों में भी इस बीमारी के होने का खतरा रहता है. पशुपालन विभाग की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार संक्रमित गर्भवती गाय-भैस से नवजात बच्चे में भी बीमारी आ जाता है. संक्रमित सांड़ भैंसे से भी गर्भाधान के समय यह बीमारी स्वस्थ पशु को हो सकती है.

लंपी के लक्षणः वायरल बीमारी लंपी से ग्रसित पशुओं के संक्रमण के प्रारंभ में आंख एवं नाक से स्राव होता है. वहीं तेज बुखार तथा दूध में कमी आ जाती है. इसके बाद पशुओं की त्वचा पर गांठदार घाव का उभरना शुरू होता है, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाता है. मादा पशुओं में आमतौर पर थनैला भी इस दौरान हो जाता है. वहीं कुछ पशुओं में लंपी वायरस की वजह से निमोनिया के लक्षण भी उभरते हैं, इस बीमारी में मोर्टालिटी रेट 10 प्रतिशत तक है.

पशुओं को बीमारी से कैसे बचाएंः लंपी वायरस को लेकर पशुपालन विभाग की ओर से पशुपालकों में जागरूकता लाई जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि लंपी स्किन डिजीज से पशुओं को कैसे बचाया जाए. उन्हें बताया जा रहा है कि समय-समय पर पशुओं का टीकाकरण, एलएसडी के लक्षण वाले पशु की जानकारी होते ही नजदीकी पशु चिकित्सक को पूरी जानकारी दें. बीमारी शुरू होते ही इलाज शुरू कर देने के साथ साथ बीमार पशुओं को आइसोलेट कर दें. इसके साथ-साथ खटाल, गौशाला में और उसके आसपास साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.


पशुपालन विभाग के डॉक्टर बताते हैं कि गौशाला के आसपास साफ-सफाई रखें, कहीं भी पानी जमने नहीं दें. यह भी ख्याल रखें कि पशुओं को मच्छर, मक्खी एवं चमोकन ना काटे. संक्रमित पशुओं को चारागाह में ना भेजें और ना ही संक्रमित पशुओं की खरीद बिक्री करें. गौशाला में बाहरी आवाजाही पर भी पाबंदी से इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. वहीं संक्रमित बीमार पशुओं की मृत्यु हो जाने पर उसे कम से कम डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूना और नमक के साथ दफना दें. इसके साथ ही बीमार पशुओं द्वारा उपयोग में लाया बोरा इत्यादि का कीटाणु रोधी घोल से उपचार करने के बाद ही इस्तेमाल करें.

रांचीः झारखंड में लंपी वायरस का प्रकोप काफी बढ़ गया है. राजधानी में दो गायों में वायरस का संक्रमण मिलने के बाद सरकारी मान्यता प्राप्त गौशाला में विशेष सावधानी (care for cowsheds regarding lumpy skin disease) बरती जा रही है. इसके अलावा इस बीमारी से बचाव के लिए गोट पॉक्स का वैक्सीन भी दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- Lumpy Skin Disease: पशुपालक क्या करें और क्या न करें, जाने पशु का आइसोलेशन कितना जरूरी


राजधानी रांची में कांके के सुकुरहुतु गौशाला में पिछले दिनों दो गाय में लंपी के संक्रमण मिलने के बाद गौशाला प्रबंधन सतर्क हो गया है. प्रबंधन के लोगों ने यहां की सभी गाय को लंपी स्किन डिजीज से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुशंसित गोट पॉक्स का वैक्सीन दिलवाया. वहीं सभी गौशालाओं में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. इसके अलावा सुबह शाम गौशाला में फिनाइल और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया जा रहा है. साथ ही आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, नीम का धुंआ भी गौशाला में कराया जा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


रांची के हरमू स्थित रांची गौशाला न्यास में गौवंशीय पशुओं की सेवा करने वाले सुजीत यादव कहते हैं कि सुकुरहुतु गौशाला में दो गायें लंपी से बीमार हुई थीं. लेकिन इलाज से वो दोनों ठीक हो गयी हैं. अब कोई भी LSD से ग्रसित पशु गौशाला में नहीं है. वहीं रांची गौशाला न्यास के मंत्री प्रदीप राजगढ़िया ने बताया कि अभी गौशालाओं में लंपी पूरी तरह काबू में है. इसकी वजह यह है कि हम पूरी तरह सतर्क हैं, सभी पशुओं को वैक्सीनेट करा दिया गया है.

झारखंड में लंपी वायरस के केसः राज्य में गौवंशीय पशुओं में होने वाली वायरल डिजीज लंपी (LSD) के केस भी लगातार बढ़ते जा (lumpy skin disease in Jharkhand) रहे हैं. पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान कांके (Animal Health and Production Institute Kanke) के निदेशक डॉ. बिपिन महथा ने बताया कि अब तो अलग अलग क्षेत्र से भेजे गए सैंपल की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ रही है. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में संदिग्ध पशु मिल रहे हैं, उनका सैंपल लेकर जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (HSADL) भोपाल भेजा जा रहा है.


एक दर्जन से अधिक पशुओं की मौतः रांची के जिला पशुपालन अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि रांची के कई प्रखंडों में गौवंशीय पशुओं में लंपी वायरस के संदिग्ध (lampy virus cow) मामले मिले हैं. अकेले सोनाहातू प्रखंड में ही 15-18 लंपी के संदिग्ध केस मिले हैं. डॉ. अनिल ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या गोट पॉक्स के वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने की है, अभी रांची में सीमित मात्रा में ही वैक्सीन मौजूद हैं. सिर्फ 12 वायल वैक्सीन बाजार से मिल सका है, जिसमें 600 डोज होगा. डॉ. बिपिन महथा ने कहा कि रांची, हजारीबाग, चतरा, दुमका, देवघर, जमशेदपुर, पलामू, गढ़वा, लातेहार, रामगढ़ और जामताड़ा में लंपी वायरस से संक्रमित संदिग्ध पशु मिले हैं और विभाग को भोपाल भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आने का इंतजार है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर और लंपी वायरस का खतरा, अब तक 1261 सूकर और दो पशुओं की हो चुकी है मौत

क्या होता है लंपी स्किन डिजीजः पशु चिकित्सकों के अनुसार लंपी मुख्यता गौवंशीय पशुओं में होने वाली वायरल डिजीज है. जो मुख्य रूप से संक्रमित मक्खियों, मच्छरों और चमोकन के काटने से पशुओं में फैलता है. बीमार पशुओं की आंख, नाक के स्राव, लार घाव के स्राव एवं दूसरों के संपर्क में आने से स्वस्थ पशुओं में भी संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. वहीं बीमार दुधारू गाय भैंस के थन के आसपास घाव होने की वजह से दूध पीने वाले बाछा-बछियों में भी इस बीमारी के होने का खतरा रहता है. पशुपालन विभाग की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार संक्रमित गर्भवती गाय-भैस से नवजात बच्चे में भी बीमारी आ जाता है. संक्रमित सांड़ भैंसे से भी गर्भाधान के समय यह बीमारी स्वस्थ पशु को हो सकती है.

लंपी के लक्षणः वायरल बीमारी लंपी से ग्रसित पशुओं के संक्रमण के प्रारंभ में आंख एवं नाक से स्राव होता है. वहीं तेज बुखार तथा दूध में कमी आ जाती है. इसके बाद पशुओं की त्वचा पर गांठदार घाव का उभरना शुरू होता है, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाता है. मादा पशुओं में आमतौर पर थनैला भी इस दौरान हो जाता है. वहीं कुछ पशुओं में लंपी वायरस की वजह से निमोनिया के लक्षण भी उभरते हैं, इस बीमारी में मोर्टालिटी रेट 10 प्रतिशत तक है.

पशुओं को बीमारी से कैसे बचाएंः लंपी वायरस को लेकर पशुपालन विभाग की ओर से पशुपालकों में जागरूकता लाई जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि लंपी स्किन डिजीज से पशुओं को कैसे बचाया जाए. उन्हें बताया जा रहा है कि समय-समय पर पशुओं का टीकाकरण, एलएसडी के लक्षण वाले पशु की जानकारी होते ही नजदीकी पशु चिकित्सक को पूरी जानकारी दें. बीमारी शुरू होते ही इलाज शुरू कर देने के साथ साथ बीमार पशुओं को आइसोलेट कर दें. इसके साथ-साथ खटाल, गौशाला में और उसके आसपास साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.


पशुपालन विभाग के डॉक्टर बताते हैं कि गौशाला के आसपास साफ-सफाई रखें, कहीं भी पानी जमने नहीं दें. यह भी ख्याल रखें कि पशुओं को मच्छर, मक्खी एवं चमोकन ना काटे. संक्रमित पशुओं को चारागाह में ना भेजें और ना ही संक्रमित पशुओं की खरीद बिक्री करें. गौशाला में बाहरी आवाजाही पर भी पाबंदी से इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. वहीं संक्रमित बीमार पशुओं की मृत्यु हो जाने पर उसे कम से कम डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूना और नमक के साथ दफना दें. इसके साथ ही बीमार पशुओं द्वारा उपयोग में लाया बोरा इत्यादि का कीटाणु रोधी घोल से उपचार करने के बाद ही इस्तेमाल करें.

Last Updated : Oct 14, 2022, 9:34 AM IST
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