ETV Bharat / state

सीएम हेमंत सोरेन को खनन पट्टा आवंटन मामले में विशेष पीठ करेगी सुनवाई, 17 मई से छुट्टी में भी लगेगी अदालत - mining lease allotment case

सीएम हेमंत सोरेन को खनन पट्टा आवंटन मामले में अब झारखंड हाई कोर्ट की विशेष पीठ (SPECIAL BENCH JHARKHAND HIGH COURT) ही मामले की सुनवाई करेगी. यह पीठ 17 मई से छुट्टी में भी सुनवाई करेगी.

सीएम हेमंत सोरेन को खनन पट्टा आवंटन मामले में विशेष पीठ करेगी सुनवाई
author img

By

Published : May 13, 2022, 3:34 PM IST

Updated : May 13, 2022, 3:45 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पत्थर खनन पट्टा आवंटन मामले में दायर जनहित याचिका की गंभीरता को देखते हुए झारखंड हाई कोर्ट छुट्टी में भी सुनवाई करेगी. इसके लिए विशेष कोर्ट लगेगी, यह विशेष पीठ ही इस मामले की सुनवाई करेगी. इसके लिए 17 मई की तिथि निर्धारित की गई है. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले में आंशिक सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन और झारखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता मुकुल ने पक्ष रखना शुरू किया. बाद में अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली तिथि निर्धारित कर दी.

ये भी पढ़ें-झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग का शोकॉज नोटिस, खुद को खनन पट्टा जारी करने के मामले में पूछा-कार्रवाई क्यों न की जाए

पूर्व में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा आवंटन मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जारी नोटिस के आलोक में अपना जवाब पेश किया था. मुख्यमंत्री की ओर से उनके निजी अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया. इसमें अधिवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जो जनहित याचिका दायर की गई है, उसकी प्रकृति जनहित की नहीं है. यह याचिका हाई कोर्ट पीआईएल रूल के अनुरूप नहीं है.

अधिवक्ता राजीव कुमार

अमृतांश वत्स ने अदालत से कहा कि नियम के अनुसार याचिकाकर्ता को अपनी क्रेडेंशियल डिस्क्लोज करनी चाहिए थी. लेकिन इस याचिका को दाखिल करने वाले शख्स ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने अपने मुवक्किल की ओर से याचिकाकर्ता पर यह भी आरोप लगाया कि जानबूझकर बार-बार उनके क्लाइंट के परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसा काम किया जा रहा है. सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने अपने जवाब में अदालत को यह जानकारी दी है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो आरोप इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया के पास लगाया है. वह सभी आरोप इस जनहित याचिका में भी लगाए गए हैं.

अमृतांश वत्स ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि यह स्वतंत्र याचिका नहीं है. जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा कि उनके पक्ष को भारत निर्वाचन आयोग की ओर से नोटिस जारी किया गया है. अब वे वहां पर अपना पक्ष रखेंगे. एक ही आरोप में दो जगह मामला चल रहा है. यह भी उचित नहीं है. उन्होंने जवाब के माध्यम से अदालत को यह भी जानकारी दी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन पर जो हत्या का आरोप लगा था. जिसमें उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है. उस मामले में याचिकाकर्ता के पिता मुख्य गवाह थे. इससे स्पष्ट होता है कि यह बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल करना चाहते हैं. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.

ये है पूरा मामलाः मालूम हो कि झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गई थी. प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल की है. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन, खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस दिया और खनन पट्टा हासिल कर लिया. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पत्थर खनन पट्टा आवंटन मामले में दायर जनहित याचिका की गंभीरता को देखते हुए झारखंड हाई कोर्ट छुट्टी में भी सुनवाई करेगी. इसके लिए विशेष कोर्ट लगेगी, यह विशेष पीठ ही इस मामले की सुनवाई करेगी. इसके लिए 17 मई की तिथि निर्धारित की गई है. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले में आंशिक सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन और झारखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता मुकुल ने पक्ष रखना शुरू किया. बाद में अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली तिथि निर्धारित कर दी.

ये भी पढ़ें-झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग का शोकॉज नोटिस, खुद को खनन पट्टा जारी करने के मामले में पूछा-कार्रवाई क्यों न की जाए

पूर्व में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा आवंटन मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जारी नोटिस के आलोक में अपना जवाब पेश किया था. मुख्यमंत्री की ओर से उनके निजी अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया. इसमें अधिवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जो जनहित याचिका दायर की गई है, उसकी प्रकृति जनहित की नहीं है. यह याचिका हाई कोर्ट पीआईएल रूल के अनुरूप नहीं है.

अधिवक्ता राजीव कुमार

अमृतांश वत्स ने अदालत से कहा कि नियम के अनुसार याचिकाकर्ता को अपनी क्रेडेंशियल डिस्क्लोज करनी चाहिए थी. लेकिन इस याचिका को दाखिल करने वाले शख्स ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने अपने मुवक्किल की ओर से याचिकाकर्ता पर यह भी आरोप लगाया कि जानबूझकर बार-बार उनके क्लाइंट के परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसा काम किया जा रहा है. सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने अपने जवाब में अदालत को यह जानकारी दी है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो आरोप इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया के पास लगाया है. वह सभी आरोप इस जनहित याचिका में भी लगाए गए हैं.

अमृतांश वत्स ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि यह स्वतंत्र याचिका नहीं है. जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा कि उनके पक्ष को भारत निर्वाचन आयोग की ओर से नोटिस जारी किया गया है. अब वे वहां पर अपना पक्ष रखेंगे. एक ही आरोप में दो जगह मामला चल रहा है. यह भी उचित नहीं है. उन्होंने जवाब के माध्यम से अदालत को यह भी जानकारी दी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन पर जो हत्या का आरोप लगा था. जिसमें उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है. उस मामले में याचिकाकर्ता के पिता मुख्य गवाह थे. इससे स्पष्ट होता है कि यह बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल करना चाहते हैं. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.

ये है पूरा मामलाः मालूम हो कि झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गई थी. प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल की है. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन, खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस दिया और खनन पट्टा हासिल कर लिया. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.

Last Updated : May 13, 2022, 3:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.