रांची: मौत के मंजर के बीच हमने दम तोड़ती इंसानियत की कई खबरें देखी, पढ़ी और सुनी लेकिन अब जो तस्वीरें आ रही है उसे देखकर रो भी नहीं सकेंगे. मुनव्वर राणा ने बड़ी अच्छी पंक्तियां लिखी हैं- "चलती फिरती आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है". कोरोना काल जन्नत जैसी मां और बेटे के रिश्ते भी बड़ी बेदर्दी से टूट रहे हैं. मुश्किल भरे दौर में जहां अनजान लोग मदद करने से पीछे नहीं हट रहे वहीं ऐसे वक्त में कुछ लोग ऐसे हैं जो मां को ही अस्पताल में अकेला छोड़कर भाग रहे हैं. एक बार सुध तक लेने नहीं आते. ऐसा एक मामला रांची में सामने आया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 29 अप्रैल को एक युवक अपनी मां को लेकर सदर अस्पताल पहुंचा. इसके बाद मां को छोड़कर बेटा वहां से भाग गया. अस्पताल के कर्मचारियों ने बुजुर्ग की सेवा की और कोरोना टेस्ट कराया. 2 मई को महिला की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद नर्स और कर्मियों ने महिला की देखभाल की. तीन दिन पहले महिला की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई. अस्पताल के कर्मचारियों ने बुजुर्ग महिला के परिजनों की तलाश की लेकिन कोई संपर्क नहीं मिला. महिला बार-बार रेलवे स्टेशन का नाम लेती है. महिला तेलुगु बोलती है और उनकी भाषा कोई नहीं समझ पाता. प्रशासन ने फिलहाल महिला को वृद्धाश्रम भेज दिया है.
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मां को बार-बार घर से निकाल देता था बेटा, खाना-पीना भी नहीं देता था
महिला के परिजनों को लेकर पड़ताल की गई तो यह पता चला कि महिला रांची रेलवे हॉस्पिटल के पीछे रहती है. बेटा और दामाद दोनों रेलवे में कार्यरत है. बेटे का नाम गोविंद राव है जो रांची रेल मंडल में गैंगमैन की नौकरी करता है. दामाद प्वाइंट्स मैन है. बेटे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली है. रेलवे से जुड़े कर्मचारियों ने कहा कि बेटा नालायक है. मां को घर से बार-बार निकाल देता है और कई दिनों तक खाना पीना भी नहीं देता है. बेटा ही उन्हें अस्पताल छोड़कर भाग आया है. कर्मचारियों ने यह भी कहा कि मां को जो पेंशन मिलता है उस पैसे को भी छीन लेता है.
मीडिया में खबर आने के बाद मां को घर ले गया बेटा
जब मीडिया में यह खबर आई तो बेटा शर्मसार होकर वृद्धाश्रम पहुंचा और अपनी मां को घर ले गया. डीआरएम के संज्ञान पर कर्मचारी गोविंदराव अपने परिजनों के साथ मां को लेने पहुंचा. इस पूरे घटनाक्रम में सदर अस्पताल के डॉक्टर अजीत की बड़ी भूमिका रही. महिला की देखरेख के साथ आदर्श केयर होम तक सुरक्षित पहुंचाने का बीड़ा भी डॉक्टर अजीत ने ही उठाया था. खबर चलने के बाद परिजनों ने डॉक्टर के जरिये ही महिला की खोजबीन की.
बेटे का शव छोड़कर फरार हुई मां
6 दिन पहले रांची में एक और मामला आया था जहां बेटे की मौत के बाद शव छोड़कर मां अस्पताल से फरार हो गई थी. अस्पताल कर्मियों ने फोन भी किया लेकिन दूसरी तरफ से बार-बार यह कहकर फोन काट दिया गया कि रॉन्ग नंबर है. जब परिजनों ने शव को लावारिस छोड़ दिा तब ट्रॉली मैन ने मानवता का परिचय देते हुए बच्चे का अंतिम संस्कार कराया.