रांची: झारखंड में जनप्रतिनिधि की संख्या और संगठन के हिसाब से भले ही तीन पॉलिटिकल पार्टी (झामुमो, भाजपा और कांग्रेस) को बड़ी पार्टी कह सकते हैं पर राज्य में आम आदमी पार्टी से लेकर वामपंथी दलों तक कई छोटे-छोटे राजनीतिक दल हैं जिनका या तो इक्का दुक्का विधायक विधानसभा में हैं या सिर्फ राजनीतिक संगठन के बल पर पार्टी चल रही है और उनका कोई जनप्रतिनिधि विधानसभा या लोकसभा के नहीं है. ऐसे छोटे दलों के भी राजनीतिक सपने बड़े-बड़े हैं.
किंग मेकर बनना चाहता है राजद!
वर्ष 2014 में झारखण्ड विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकने वाली लालू यादव की पार्टी 2019 में किसी तरह खाता खोल कर हेमंत सोरेन सरकार में तो शामिल हो गयी, पर इस बात का उसके नेताओं को मलाल है कि कभी 14-16 सीट पर मजबूत दखल रखने वाला राजद को महागठबंधन में 2019 में न मनमाफिक सीट मिली और न ही संख्या उतनी की वह संगठन का विस्तार कर सके. 2019 में झामुओ और कांग्रेस के साथ हुई गठबंधन में राजद को महज 07 सीट से संतोष करना पड़ा था. उसमें भी विश्रामपुर विधानसभा जहां राजद के मजबूत आधार हैं. वहां कांग्रेस के सामने घुटना टेक कर बरकट्ठा विधानसभा सीट लेकर संतोष करना पड़ा था.
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अब राजद के प्रदेश अध्यक्ष खुल कर कहते हैं कि 2019 में डबल इंजन की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए राजद ने महागठबंधन में हक से कम सीट को स्वीकार किया था. 2024 में जब विधानसभा चुनाव होगा तब परिस्थितियां दूसरी होगी और राजद किंग मेकर की भूमिका में होगा. राजद ने तो 18 ऐसे सीटों को चिन्हित भी कर लिया है जहां से उसे हर हाल में 2024 का विधानसभा चुनाव लड़ना है.
शरद पवार की एनसीपी की झारखंड इकाई ने राज्य के 12 ऐसे सीटों को चिन्हित कर लिया है. जहां संगठन मजबूत कर एनसीपी 2024 में किंग मेकर की भूमिका में आना चाहती है. एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष ने तो अपने प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को इसके लिए अभी से जुट जाने, जन सरोकार के मुद्दे पर संघर्ष तेज करने का निर्देश भी दे दिया है.