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पूर्व मंत्री और विधायक मामले में पुलिस अफसरों पर FIR से विवाद, चतरा एसपी को शोकॉज - चतरा एसपी के खिलाफ नोटिस

झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री (Former Minister) और बड़कागांव विधायक निर्मला देवी (MLA Nirmala Devi) के मामले में जांच अधिकारियों पर हुए एफआईआर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पूरे मामले में पुलिस मुख्यालय ने चतरा के एसपी ऋषभ झा को शोकॉज (Show Cause) किया है.

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चतरा एसपी को शोकॉज
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Published : Jun 25, 2021, 7:29 AM IST

रांचीः झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव (Former Minister Yogendra Saw) और तत्कालीन बड़कागांव विधायक निर्मला देवी (MLA Nirmala Devi) के मामले में जांच अधिकारियों पर हुए एफआईआर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पूरे मामले में अब चतरा के एसपी पुलिस मुख्यालय के रडार पर आ गए हैं. पुलिस मुख्यालय ने चतरा के एसपी ऋषभ झा को शोकॉज (Show Cause) किया है.

ये भी पढ़ेंः-पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी ने कोर्ट में लगाई हाजिरी, बड़कागांव गोलीकांड से जुड़ा है मामला

एसपी को मिला था अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दर्ज कर दिया एफआईआर

दरअसल, झारखंड पुलिस की कार्मिक डीआईजी ए विजयालक्ष्मी को पूरे मामले में चतरा के टंडवा थाना में पदस्थापित रहे केस के आईओ रहे गौरीशकंर तिवारी और सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया था, लेकिन चतरा एसपी ऋषभ झा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के बजाय पुलिस के दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दिया. एफआईआर की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय ने चतरा एसपी को शोकॉज कर पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है.

चतरा एसपी को 4 मई को लिखा था एक पत्र

जानकारी के मुताबिक, टंडवा थाना के कांड संख्या 90 और 91/15 के मामले में डीजीपी कार्यालय के निर्देश पर डीआईजी कार्मिक ए विजयालक्ष्मी ने चतरा एसपी को एक पत्र 4 मई को लिखा था. इस पत्र में डीआईजी कार्मिक ने चतरा एसपी को लिखा था कि दो अनुसंधानकों गौरीशंकर तिवारी और सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ एक जांच प्रतिवेदन समर्पित किया गया है.

गलत तरीके से अभियुक्त बनाने की दी गई जानकारी

इस मामले में बताया गया है कि जांच प्रतिवेदन में पहली नजर में दोनों पुलिस को अफसरों को केस डायरी में फेरबदल कर कुछ लोगों को गलत तरीके से अभियुक्त बनाने की जानकारी दी गई है. साथ ही यह भी कहा गया था कि साफ तरीके से विस्तृत जांच प्रतिवेदन अपने मंतव्य के साथ एक सप्ताह के भीतर पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया जाए.

एसपी ने मामले में क्या किया

कार्मिक डीआईजी के आदेश के उलट चतरा एसपी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के बजाय दोनों पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करवा दिया. इसके अलावा टंडवा थाने में दर्ज एफआईआर में कार्मिक डीआईजी के आदेश का भी जिक्र कर दिया गया, जबकि आदेश एफआईआर का नहीं था. मामला वरीय अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद चतरा एसपी से पूरे मामले में शोकॉज किया गया.

रांचीः झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव (Former Minister Yogendra Saw) और तत्कालीन बड़कागांव विधायक निर्मला देवी (MLA Nirmala Devi) के मामले में जांच अधिकारियों पर हुए एफआईआर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पूरे मामले में अब चतरा के एसपी पुलिस मुख्यालय के रडार पर आ गए हैं. पुलिस मुख्यालय ने चतरा के एसपी ऋषभ झा को शोकॉज (Show Cause) किया है.

ये भी पढ़ेंः-पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी ने कोर्ट में लगाई हाजिरी, बड़कागांव गोलीकांड से जुड़ा है मामला

एसपी को मिला था अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दर्ज कर दिया एफआईआर

दरअसल, झारखंड पुलिस की कार्मिक डीआईजी ए विजयालक्ष्मी को पूरे मामले में चतरा के टंडवा थाना में पदस्थापित रहे केस के आईओ रहे गौरीशकंर तिवारी और सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया था, लेकिन चतरा एसपी ऋषभ झा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के बजाय पुलिस के दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दिया. एफआईआर की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय ने चतरा एसपी को शोकॉज कर पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है.

चतरा एसपी को 4 मई को लिखा था एक पत्र

जानकारी के मुताबिक, टंडवा थाना के कांड संख्या 90 और 91/15 के मामले में डीजीपी कार्यालय के निर्देश पर डीआईजी कार्मिक ए विजयालक्ष्मी ने चतरा एसपी को एक पत्र 4 मई को लिखा था. इस पत्र में डीआईजी कार्मिक ने चतरा एसपी को लिखा था कि दो अनुसंधानकों गौरीशंकर तिवारी और सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ एक जांच प्रतिवेदन समर्पित किया गया है.

गलत तरीके से अभियुक्त बनाने की दी गई जानकारी

इस मामले में बताया गया है कि जांच प्रतिवेदन में पहली नजर में दोनों पुलिस को अफसरों को केस डायरी में फेरबदल कर कुछ लोगों को गलत तरीके से अभियुक्त बनाने की जानकारी दी गई है. साथ ही यह भी कहा गया था कि साफ तरीके से विस्तृत जांच प्रतिवेदन अपने मंतव्य के साथ एक सप्ताह के भीतर पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया जाए.

एसपी ने मामले में क्या किया

कार्मिक डीआईजी के आदेश के उलट चतरा एसपी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के बजाय दोनों पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करवा दिया. इसके अलावा टंडवा थाने में दर्ज एफआईआर में कार्मिक डीआईजी के आदेश का भी जिक्र कर दिया गया, जबकि आदेश एफआईआर का नहीं था. मामला वरीय अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद चतरा एसपी से पूरे मामले में शोकॉज किया गया.

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