रांची: एचईसी में बने हजारों दुकान के दुकानदार इन दिनों खुद को बेबस और लाचार महसूस कर रहे हैं. एचईसी ने दुकानदारों के लिए तुगलकी फरमान जारी करते हुए यह आदेश दिया है कि सभी दुकानों के किराये में 27 गुना बढ़ोतरी की जाएगी. एचईसी के इस फरमान के बाद सभी दुकानदारों की नींद उड़ गई है.
1962 में 20 पैसा प्रति वर्ग फीट था किराया
वहीं, एचईसी प्रबंधन की ओर से यह हिदायत भी दी गई कि अगर कोई भी व्यवसाई दुकान का भाड़ा देने में आनाकानी करता है तो उसके दुकान का लाइसेंस और आवंटन कैंसिल कर दिया जाएगा. दुकान से उसकी स्वामित्व को खत्म कर दिया जाएगा. एचईसी के इस फरमान के बाद सभी दुकानदार सकते में आ गए हैं. उन्होंने एचईसी के इस निर्णय का विरोध करना शुरू कर दिया है. दरअसल, एचईसी इलाके में 1100 दुकान लीगल रूप से चल रहे हैं. जिसका किराया एचईसी प्रबंधन की ओर से वर्ष 1962 से वसूला जा रहा है. जिसका भाड़ा वर्ष 1962 में 20 पैसा प्रति वर्ग फीट था. जो धीरे-धीरे बढ़कर 1.40 रुपया प्रति वर्ग फीट तक पहुंच गया है, लेकिन अब अचानक से एचईसी प्रबंधन 15 रुपए से 20 रुपये प्रत्येक वर्ग फीट की मांग कर रहा है.
दुकानदारों ने रखी शर्त
हजार स्क्वॉयर फीट में बने दुकान का किराया पहले 1300 रुपए था तो अब उसी दुकान की किराया 15 हजार से 20 हजार रुपए तक पहुंच गया है. इसी को लेकर एचईसी में दुकान कर रहे दुकानदारों के बीच काफी आक्रोश देखा जा रहा है. वहीं जगन्नाथपुर व्यवसायिक महासंघ और दुकानदार संघों ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि अगर एचईसी प्रबंधन दुकान के भाड़े में बढ़ोतरी करना चाहता है तो इसके लिए उन्हें हम लोगों की कुछ मांगों को मानना होगा. दुकानदार संघ के सदस्य सतपाल गुप्ता ने कहा कि एचईसी में फिलहाल बीस हजार से ज्यादा अनऑथराइज्ड दुकानें चल रही हैं. जहां पर लोगों को कमतर क्वॉलिटी का सामान सस्ते में उपलब्ध करा दिया जाता है, जिससे ग्राहक ज्यादा वैसे दुकानों की ओर जाते हैं और हमारे दुकानों पर कम आते हैं. इसीलिए हम दुकानदार संघ के लोग एचईसी से यह मांग करते हैं कि एचईसी परिसर में चल रहे 25 हजार से ज्यादा अनऑथराइज्ड दुकानों को बंद कराए उसके बाद ऑथराइज दुकानों के भाड़े में बढ़ोतरी करने की बात की करें.
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एसईसी आर्थिक तंगी से जूझ रहा
एचईसी लगातार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. वह अपने कर्मचारी और अधिकारियों के जरूरत की मांग को भी पूरा करने में असमर्थ है. शायद इसलिए भी एचईसी दुकानदारों से अत्यधिक भाड़ा के रूप में पैसे वसूलना चाहता है, लेकिन एचईसी के इस मोनोपॉली की कीमत एचईसी में दुकान कर रहे दुकानदारों को अपने नुकसान से चुकानी पड़ सकती है. ईटीवी भारत की टीम ने पूरे मामले पर एचईसी प्रबंधन से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन एचईसी प्रबंधन इस मामले पर फिलहाल कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं.