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रिम्स के एक फ्लोर पर मंत्री कर रहे थे उद्घाटन, नीचे के फ्लोर पर पानी भरने से चिकित्सकों ने इलाज कर दिया बंद - रिम्स में स्वास्थ्य मंत्री ने किया मरीज किओस्क का उद्घाटन

रांची के रिम्स में बीते दिन पुराने अधीक्षक कार्यालय में एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता मरीजों की सहायता के लिए किओस्क का उद्घाटन कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर नीचे के फ्लोर पर गंदा पानी भर गया. बिजली भी गुल हो गई, जिसके बाद चिकित्सकों ने इलाज बंद कर दिया. इससे हीमोफीलिया विभाग के मरीजों को निराश लौटना पड़ा.

sewage water filled in hemophilia department of rims
रिम्स में अव्यवस्था
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Published : Dec 15, 2020, 12:13 PM IST

Updated : Dec 16, 2020, 2:03 PM IST

रांचीः राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स अक्सर लापरवाही के कारण चर्चा का विषय बना रहता है. एक बार फिर ऐसा वाकया सामने आया है. इस बार तो एक तरफ सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता मरीजों को सुविधा प्रदान के लिए टाटा ट्रस्ट की ओर से बनाए गए सहायता केंद्र का उद्घाटन कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर ठीक उसी बिल्डिंग के नीचे हिमोफीलिया और फिजियोथेरेपी विभाग के मरीज रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण मायूस लौट रहे थे.

देखें स्पेशल स्टोरी
दरअसल, बीते दिन रिम्स के पुराने अधीक्षक के कार्यालय में टाटा ट्रस्ट द्वारा गैर संचारी रोगों के मरीजों की सहायता के लिए किओस्क(kiosk) सेंटर का उद्घाटन किया जा रहा था. यहां कैंसर जैसी बीमारी के मरीजों को शुरुआती जांच कर उन्हें परामर्श दी जाएगी. इधर यहां बीते दिन एक तरफ मंत्री गुप्ता मरीजों को सुविधा का उद्घाटन कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर ठीक उसी बिल्डिंग के नीचे हीमोफीलिया और फिजियोथेरेपी विभाग में ड्रेनेज सिस्टम खराब होने के कारण पूरा फ्लोर जलमग्न हो गया था, जिस वजह से फ्लोर की बिजली भी गुल हो गई थी. फ्लोर पर अंधेरा होने के कारण हिमोफीलिया और फिजियोथैरेपी विभाग के लोगों ने काम करना बंद कर दिया और वह अपने-अपने विभाग से बाहर आ गए.

हीमोफीलिया विभाग में भरी गंदगी

झारखंड हीमोफीलिया चैप्टर के अध्यक्ष संतोष कुमार बताते हैं कि बारिश के मौसम में इस तरह का जलजमाव होना तो आम बात है लेकिन बिन बारिश के इस तरह नाली का पानी विभाग में आ जाना चिंतित करने वाला है. ड्रेनेज का पानी फ्लोर पर आने की वजह से पूरा विभाग गंदगी से भर गया है. ऐसे में जो मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं वो लोग इंफेक्शन से भी ग्रसित हो सकते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि इसको लेकर संबंधित पदाधिकारी को जानकारी दी गई है. पदाधिकारियों द्वारा यह आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द इसे ठीक कर दिया जाएगा.
ये भी पढ़ें-खदानों में जमा पानी से होगा पटवन, सिंचाई परियोजनाओं पर फोकस, चेक डैम का बनेगा डाटा

महंगी मशीनों के खराब होने का खतरा
वहीं फिजियोथैरेपी विभाग में कार्यरत कर्मचारी ने बताया कि इस तरह पानी जमा होने की वजह से कई मशीन के खराब होने की आशंका है, क्योंकि फिजियोथेरेपी विभाग में हाल फिलहाल में ही मरीजों की सुविधा के लिए कई महंगी मशीन की खरीदारी की गई थी. साथ ही उन्होंने बताया कि पानी आने के कारण शॉर्ट सर्किट का भी खतरा बढ़ जाता है जिससे कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन अभी तक प्रबंधन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.

पूरे विभाग में बहता रहा नाली का पानी

हीमोफीलिया विभाग में गिरिडीह से पहुंचे मरीज मेराज ने बताया कि वह उम्मीद के साथ इलाज कराने पहुंचे थे लेकिन जिस तरह से नाली का पानी पूरे विभाग में बह रहा है ऐसे में इलाज कराना संभव नहीं था.वहीं इसको लेकर हमने जब स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि मीडिया से मिली जानकारी के बाद प्रबंधन को उचित दिशा निर्देश दिए जाएंगे, ताकि हीमोफीलिया और फिजियोथैरेपी विभाग में आने वाले मरीजों को आगे से ऐसी परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

रांचीः राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स अक्सर लापरवाही के कारण चर्चा का विषय बना रहता है. एक बार फिर ऐसा वाकया सामने आया है. इस बार तो एक तरफ सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता मरीजों को सुविधा प्रदान के लिए टाटा ट्रस्ट की ओर से बनाए गए सहायता केंद्र का उद्घाटन कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर ठीक उसी बिल्डिंग के नीचे हिमोफीलिया और फिजियोथेरेपी विभाग के मरीज रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण मायूस लौट रहे थे.

देखें स्पेशल स्टोरी
दरअसल, बीते दिन रिम्स के पुराने अधीक्षक के कार्यालय में टाटा ट्रस्ट द्वारा गैर संचारी रोगों के मरीजों की सहायता के लिए किओस्क(kiosk) सेंटर का उद्घाटन किया जा रहा था. यहां कैंसर जैसी बीमारी के मरीजों को शुरुआती जांच कर उन्हें परामर्श दी जाएगी. इधर यहां बीते दिन एक तरफ मंत्री गुप्ता मरीजों को सुविधा का उद्घाटन कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर ठीक उसी बिल्डिंग के नीचे हीमोफीलिया और फिजियोथेरेपी विभाग में ड्रेनेज सिस्टम खराब होने के कारण पूरा फ्लोर जलमग्न हो गया था, जिस वजह से फ्लोर की बिजली भी गुल हो गई थी. फ्लोर पर अंधेरा होने के कारण हिमोफीलिया और फिजियोथैरेपी विभाग के लोगों ने काम करना बंद कर दिया और वह अपने-अपने विभाग से बाहर आ गए.

हीमोफीलिया विभाग में भरी गंदगी

झारखंड हीमोफीलिया चैप्टर के अध्यक्ष संतोष कुमार बताते हैं कि बारिश के मौसम में इस तरह का जलजमाव होना तो आम बात है लेकिन बिन बारिश के इस तरह नाली का पानी विभाग में आ जाना चिंतित करने वाला है. ड्रेनेज का पानी फ्लोर पर आने की वजह से पूरा विभाग गंदगी से भर गया है. ऐसे में जो मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं वो लोग इंफेक्शन से भी ग्रसित हो सकते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि इसको लेकर संबंधित पदाधिकारी को जानकारी दी गई है. पदाधिकारियों द्वारा यह आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द इसे ठीक कर दिया जाएगा.
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महंगी मशीनों के खराब होने का खतरा
वहीं फिजियोथैरेपी विभाग में कार्यरत कर्मचारी ने बताया कि इस तरह पानी जमा होने की वजह से कई मशीन के खराब होने की आशंका है, क्योंकि फिजियोथेरेपी विभाग में हाल फिलहाल में ही मरीजों की सुविधा के लिए कई महंगी मशीन की खरीदारी की गई थी. साथ ही उन्होंने बताया कि पानी आने के कारण शॉर्ट सर्किट का भी खतरा बढ़ जाता है जिससे कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन अभी तक प्रबंधन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.

पूरे विभाग में बहता रहा नाली का पानी

हीमोफीलिया विभाग में गिरिडीह से पहुंचे मरीज मेराज ने बताया कि वह उम्मीद के साथ इलाज कराने पहुंचे थे लेकिन जिस तरह से नाली का पानी पूरे विभाग में बह रहा है ऐसे में इलाज कराना संभव नहीं था.वहीं इसको लेकर हमने जब स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि मीडिया से मिली जानकारी के बाद प्रबंधन को उचित दिशा निर्देश दिए जाएंगे, ताकि हीमोफीलिया और फिजियोथैरेपी विभाग में आने वाले मरीजों को आगे से ऐसी परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

Last Updated : Dec 16, 2020, 2:03 PM IST

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