रांची: हूल दिवस के मौके पर मंगलवार को कांग्रेस स्टेट हेड क्वार्टर में प्रदेश अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव की अध्यक्षता में सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, कांग्रेस विधायक, नेता और कार्यकर्ताओं ने शिरकत की. इस मौके पर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष जोसेफ बाड़ा ने मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होकर हूल क्रांति पर प्रकाश डाला.
महाजनी प्रथा और अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ हुआ था संथाल विद्रोह
इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा कि महाजनी प्रथा और अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ संथाल विद्रोह किया गया था. क्योंकि वह अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ एकजुट थे और शहादत दी थी. उसी तरह भगवान बिरसा मुंडा की अगुवाई में भी आंदोलन किए गए. ऐसे में जितने भी शहीद हुए उनके पॉपुलेशन से अपने पार्टी को जोड़ने के उद्देश्य से उन्हें याद कर रहे हैं और साथ ही अपने साथियों को बताना चाहते हैं कि क्रांति होता है तो बदलाव आते हैं. यही वजह है कि हूल क्रांति से कई बदलाव आए. उस बदलाव को नई पीढ़ी को बताना जरूरी है, ताकि वह कानून को जान सके और अगली पीढ़ी को बता सकें.
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आज भी चल रही है जल, जंगल और जमीन की लड़ाई
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि जिस तरह से राज्य और देश को शोषण मुक्त करने के लिए लड़ाई लड़ी गयी थी. वर्तमान समय में उनके विचारों के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है. उनके समय में जो कल्पना की गई थी. उस दिशा में काम करना होगा. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से रानी लक्ष्मीबाई को इतिहास में जगह दी गई. उसी तरह से झारखंड के शहीदों को इतिहास में जगह नहीं मिल पाई. उस समय जल, जंगल और जमीन की लड़ाई शुरू की गई थी, जो आज भी चल रही है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि जिस तरह से 28 जून को प्रधानमंत्री ने मन की बात में बातें की है. उससे लगता है कि गलत मानसिकता के हाथों में देश चला गया है. ऐसे में सिदो कान्हू को श्रद्धांजलि देने के लिए बीजेपी के लोगों के बैठने का कोई औचित्य नहीं है.