रांची: मुख्य विपक्षी दल भाजपा की गैर मौजूदगी में चर्चा के बाद बहुमत से 8,111.77 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट पारित हो गया. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने चर्चा में शामिल सभी दस विधायकों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि झारखंड ने अच्छे वित्तीय प्रबंधन का उदाहरण पेश किया है. इसी का नतीजा है कि जीएसडीपी की तुलना में 3 प्रतिशत तक ऋण लेने की क्षमता के बावजूद राज्य ने सिर्फ 1.25 प्रतिशत ऋण लिया है. हमारा इनकम बढ़ा है. हमारा PER CAPITA LOAN 21,366 रुपए है जो राष्ट्रीय स्तर के अलावा कई राज्यों से कम है. वाणिज्य कर से 21 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व वसूला जा चुका है. हम 24 हजार करोड़ के टारगेट को भी पूरा कर लेंगे. फिलहाल ट्रांसपोर्ट और माइंस से राजस्व वसूली बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जन कल्याण से जुड़ी जरुरतों को पूरा करने के लिए सरकार को ऋण लेना पड़ता है. लेकिन यह कहना कि आम बजट की राशि खर्च ही नहीं हुई है तो फिर अनुपूरक बजट लाने का क्या औचित्य क्या है, यह कहना बिल्कुल गलत है.
वित्त मंत्री ने समझाया कि सरकार को अनुपूरक बजट लाने की जरुरत क्यों पड़ती है. उन्होंने कहा कि पहली बात तो ये कि वार्षिक बजट बनाने के दौरान कुछ त्रुटियां रह जाती हैं. इसलिए उस बजट के किसी हिस्से को दूसरे मद में शिफ्ट किया जाता है. वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्रीय योजनाओं में राज्यांश की बाध्यता होती है. उसकी भरपाई अनुपूरक बजट से ही हो सकती है. इसके लिए सदन से अनुमति लेना जरुरी होता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारे राज्य की करीब 60 प्रतिशत आबादी गरीबी झेल रही है. एक वेलफेयर स्टेट के नाते सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी है कि उनके लिए कम से कम रोजी, रोटी और मकान की व्यवस्था हो. हेमंत सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर फोकस कर रही है. राज्य में केंद्र सरकार के लाल और पीला कार्डधारी की संख्या करीब 57 लाख है. इतना भर से गरीबों की जरुरत पूरी नहीं हो सकती. इसलिए अपने बूते राज्य सरकार हरा कार्ड के जरिए लोगों को अनाज दे रही है. अबुआ आवास योजना के तहत तीन साल में 8 लाख घर बनाना है. इसके लिए पैसे की जरुरत होती है.
कटौती प्रस्ताव लाने वाले आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि अभी तक वार्षिक बजट की महज 51.06 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है. सरकार हर मोर्चे पर फेल है. अभी तक स्थानीय नीति, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण वाला विधेयक लटका पड़ा है. सीएम बाहर में कुछ और सदन में कुछ बोलते हैं. बिहार ने पुख्ता तौर पर 75 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर दी. जातीय जनगणना को आधार बनाया. लेकिन हेमंत सरकार सिर्फ बयानबाजी करती है. अभी तक विस्थापन आयोग का गठन नहीं हुआ.
लंबोदर महतो ने कहा कि पिछले दिनों सीएम ने रोजगार सृजन के तहत जिस शख्स को बोलेरो की चाबी देकर वाहवाही लूटने वाला ट्वीट किया था, उसकी सच्चाई भी जाननी चाहिए. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम खत्म होते ही उस शख्स से गाड़ी की चाबी ले ली गई. चर्चा में शामिल सुदिव्य कुमार सोनू, शिल्पी नेहा तिर्की, प्रदीप यादव समीर मोहंती, इरफान अंसारी और बिनोद सिंह ने अनुपूरक बजट का समर्थन किया. वहीं सरयू राय ने कहा कि बेहद अफसोस की बात है कि आसन के निर्देश पर भी कार्रवाई नहीं होती है. सदन में उठने वाले सवालों के जवाब की समीक्षा होनी चाहिए. सदन की समिति तक को अधिकारी गुमराह करते हैं. वहीं अमित यादव ने कहा कि शिविरों में सिर्फ आवेदन लिए जा रहे हैं. टेट पास शिक्षकों को वेतन देना चाहिए. सुनीता चौधरी ने भी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए.
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