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राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव में सरकार ने कैसे कर दिया छेड़छाड़, सरयू राय के गंभीर सवाल, क्या है अंदरूनी सच - Saryu raised questions

नगर निकाय चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव को बदले जाने पर झारखंड में बहस छिड़ गई है. सरयू राय के आरोपों की पड़ताल में कई सवाल खड़े हुए हैं (Saryu rai on Mango Jugsalai municipal elections).

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Published : Nov 25, 2022, 7:47 PM IST

Updated : Nov 25, 2022, 8:36 PM IST

रांची: निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उनका सीधा आरोप है कि जब राज्य निर्वाचन आयोग ने 48 नगर निकायों में चुनाव का प्रस्ताव भेजा था तो सरकार ने राज्यपाल से अनुमोदन के लिए 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों का प्रस्ताव क्यों भेजा. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को फेवर करने के लिए मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद के प्रस्तावित चुनाव को टाला है (Saryu rai on Mango Jugsalai municipal elections).

ये भी पढ़ें: एक बार फिर नगर निकाय चुनाव पर लगा ग्रहण, टीएसी की बैठक में शिड्यूल क्षेत्र में आरक्षण पर होगा विचार

सरयू राय ने हेमंत सरकार पर बन्ना गुप्ता को फेवर करने का आरोप लगाया है. सरयू राय का का कहना है कि मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद के चुनाव को होल्ड पर रखने के लिए या तो मुख्यमंत्री पर दवाब डाला गया है या फिर चिरौरी-मिन्नत की गई है. उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या मंत्री बन्ना गुप्ता अपनी पत्नी और भाई को इन निकायों से चुनाव लड़ाना चाह रहे थे? लेकिन जिला प्रशासन की कोशिशों के बावजूद इनका नाम मानगो नगर निगम की निर्वाचन सूची में प्रकाशित नहीं हो पायी. इस वजह से इनका चुनाव लड़ना और मतदान करना संभव नहीं था. इसी वजह से 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया. जिसपर अनुमोदन भी मिल चुका है. सरयू राय का कहना है कि एक मंत्री के परिवारवाद को प्रोत्साहित और लाभ पहुंचाने के लिए संविधान के प्रावधानों का इस तरह गला घोंटा जाएगा, यह सपने में भी नहीं सोचा था. उन्होंने मुख्यमंत्री से स्पष्ट करने की मांग की है.

ईटीवी भारत की टीम ने जब इन आरोपों की पड़ताल की तो बेहद रोचक बात निकल कर सामने आई. यह बिल्कुल सही है कि राज्य सरकार ने 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा था. लेकिन मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद के चुनाव को होल्ड पर रखने की वजह कुछ और बतायी गई है. नगर विकास एवं आवास विभाग की दलील है कि मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद में पहली बार निर्वाचन किया जाना प्रस्तावित है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि वैधानिक प्रावधानों के तहत निर्वाचन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं या नहीं. इसके लिए उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी से मंतव्य लिया जाना चाहिए. इसी हवाले के साथ 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों में चुनाव के लिए राजभवन से अनुमोदन मांगा गया.

अब सवाल है कि अगर मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद में पहली बार चुनाव हो रहा है तो फिर नवगठित अन्य चार नगर पंचायतों मसलन, हरिहरगंज नगर पंचायत, बड़की सरैया नगर पंचायत, धनवार नगर पंचायत और महगामा नगर पंचायत को भी इस सूची में क्यों नहीं डाला गया. इन चारों जगहों का प्रस्ताव राजभवन क्यों भेजा गया. इनपर संबंधित उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी से तैयारियों पर मंतव्य क्यों नहीं मांगा गया

अब सवाल है कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव में नगर विकास एवं आवास विभाग बदलाव कर सकता है. इसपर आयोग के सचिव राधेश्याम ने ईटीवी भारत को बताया कि 'हमारा काम प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने का है. सरकार की तरफ से जो आदेश आता है, उसका पालन करना होता है. इस मसले पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से भी संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह फाइल देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगे.' इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव विनय चौबे से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. चूकि सरयू राय ने सीधे तौर पर मंत्री बन्ना गुप्ता के परिवार को फायदा पहुंचाने की बात कही है, इसलिए उनसे भी संपर्क किया गया. लेकिन उनसे भी बात नहीं हो पाई.

'हमारा काम प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने का है. सरकार की तरफ से जो आदेश आता है, उसका पालन करना होता है. इस मसले पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से भी संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह फाइल देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगे.'- राधेश्याम, सचिव, राज्य चुनाव आयोग

आपको बता दें कि झारखंड में कुल 48 नगर निकाय हैं. इनमें नौ नगर निगम, 20 नगर परिषद और 19 नगर पंचायत हैं. इन 48 नगर निकायों में से 12 में वर्ष 2020 में ही चुनाव प्रस्तावित था. इन 12 नगरपालिकाओं में 04 नवगठित नगर पंचायत शामिल थे. इसके अलावा 34 नगरपालिकाओं का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो रहा है.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस साल नगर निकाय चुनाव संभव हो पाएगा. जानकारों का कहना है कि अब यह संभव नहीं है. दरअसल, 5 जनवरी 2023 को नई मतदाता सूची जारी होनी है. इससे पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी है. जो संभव नहीं है. क्योंकि चुनाव की तारीख घोषित करने के बाद नामांकन, नाम वापसी, स्क्रूटनी और चुनाव प्रचार के लिए तय समय निर्धारित करना होता है जिसे अब 5 जनवरी 2023 के पहले पूरा करना संभव नहीं है.

रांची: निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उनका सीधा आरोप है कि जब राज्य निर्वाचन आयोग ने 48 नगर निकायों में चुनाव का प्रस्ताव भेजा था तो सरकार ने राज्यपाल से अनुमोदन के लिए 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों का प्रस्ताव क्यों भेजा. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को फेवर करने के लिए मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद के प्रस्तावित चुनाव को टाला है (Saryu rai on Mango Jugsalai municipal elections).

ये भी पढ़ें: एक बार फिर नगर निकाय चुनाव पर लगा ग्रहण, टीएसी की बैठक में शिड्यूल क्षेत्र में आरक्षण पर होगा विचार

सरयू राय ने हेमंत सरकार पर बन्ना गुप्ता को फेवर करने का आरोप लगाया है. सरयू राय का का कहना है कि मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद के चुनाव को होल्ड पर रखने के लिए या तो मुख्यमंत्री पर दवाब डाला गया है या फिर चिरौरी-मिन्नत की गई है. उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या मंत्री बन्ना गुप्ता अपनी पत्नी और भाई को इन निकायों से चुनाव लड़ाना चाह रहे थे? लेकिन जिला प्रशासन की कोशिशों के बावजूद इनका नाम मानगो नगर निगम की निर्वाचन सूची में प्रकाशित नहीं हो पायी. इस वजह से इनका चुनाव लड़ना और मतदान करना संभव नहीं था. इसी वजह से 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया. जिसपर अनुमोदन भी मिल चुका है. सरयू राय का कहना है कि एक मंत्री के परिवारवाद को प्रोत्साहित और लाभ पहुंचाने के लिए संविधान के प्रावधानों का इस तरह गला घोंटा जाएगा, यह सपने में भी नहीं सोचा था. उन्होंने मुख्यमंत्री से स्पष्ट करने की मांग की है.

ईटीवी भारत की टीम ने जब इन आरोपों की पड़ताल की तो बेहद रोचक बात निकल कर सामने आई. यह बिल्कुल सही है कि राज्य सरकार ने 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा था. लेकिन मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद के चुनाव को होल्ड पर रखने की वजह कुछ और बतायी गई है. नगर विकास एवं आवास विभाग की दलील है कि मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद में पहली बार निर्वाचन किया जाना प्रस्तावित है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि वैधानिक प्रावधानों के तहत निर्वाचन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं या नहीं. इसके लिए उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी से मंतव्य लिया जाना चाहिए. इसी हवाले के साथ 48 की जगह सिर्फ 46 नगर निकायों में चुनाव के लिए राजभवन से अनुमोदन मांगा गया.

अब सवाल है कि अगर मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर परिषद में पहली बार चुनाव हो रहा है तो फिर नवगठित अन्य चार नगर पंचायतों मसलन, हरिहरगंज नगर पंचायत, बड़की सरैया नगर पंचायत, धनवार नगर पंचायत और महगामा नगर पंचायत को भी इस सूची में क्यों नहीं डाला गया. इन चारों जगहों का प्रस्ताव राजभवन क्यों भेजा गया. इनपर संबंधित उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी से तैयारियों पर मंतव्य क्यों नहीं मांगा गया

अब सवाल है कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव में नगर विकास एवं आवास विभाग बदलाव कर सकता है. इसपर आयोग के सचिव राधेश्याम ने ईटीवी भारत को बताया कि 'हमारा काम प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने का है. सरकार की तरफ से जो आदेश आता है, उसका पालन करना होता है. इस मसले पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से भी संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह फाइल देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगे.' इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव विनय चौबे से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. चूकि सरयू राय ने सीधे तौर पर मंत्री बन्ना गुप्ता के परिवार को फायदा पहुंचाने की बात कही है, इसलिए उनसे भी संपर्क किया गया. लेकिन उनसे भी बात नहीं हो पाई.

'हमारा काम प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने का है. सरकार की तरफ से जो आदेश आता है, उसका पालन करना होता है. इस मसले पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से भी संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह फाइल देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगे.'- राधेश्याम, सचिव, राज्य चुनाव आयोग

आपको बता दें कि झारखंड में कुल 48 नगर निकाय हैं. इनमें नौ नगर निगम, 20 नगर परिषद और 19 नगर पंचायत हैं. इन 48 नगर निकायों में से 12 में वर्ष 2020 में ही चुनाव प्रस्तावित था. इन 12 नगरपालिकाओं में 04 नवगठित नगर पंचायत शामिल थे. इसके अलावा 34 नगरपालिकाओं का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो रहा है.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस साल नगर निकाय चुनाव संभव हो पाएगा. जानकारों का कहना है कि अब यह संभव नहीं है. दरअसल, 5 जनवरी 2023 को नई मतदाता सूची जारी होनी है. इससे पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी है. जो संभव नहीं है. क्योंकि चुनाव की तारीख घोषित करने के बाद नामांकन, नाम वापसी, स्क्रूटनी और चुनाव प्रचार के लिए तय समय निर्धारित करना होता है जिसे अब 5 जनवरी 2023 के पहले पूरा करना संभव नहीं है.

Last Updated : Nov 25, 2022, 8:36 PM IST
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