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सरयू राय ने की मांग आरसीडी में कथित घोटालों की हो एसआईटी से जांच, तत्कालीन सीएम और सचिव हैं जिम्मेदार

पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने आरसीडी में कथित घोटालों की हो एसआईटी से जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये दोनों ही पथ निर्माण विभाग में घोटालों और अनियमितताओं की संस्कृति आरंभ करने, नियम विरूद्ध आदेश देने तथा उन आदेशों को क्रियान्वित करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों एवं अभियंताओं पर दबाव डालने के लिए जिम्मेदार हैं.

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Published : Jan 29, 2020, 7:27 PM IST

Saryu Rai wrote a letter to CM Hemant
सरयू राय

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पथ निर्माण विभाग के कथित अनियमितताओं में जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम से जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि नवगठित झारखंड सरकार ने पथ निर्माण विभाग की अनियमितताओं एवं निविदा घोटालों पर कारवाई आरंभ कर दिया है. पथ निर्माण के अभियंता प्रमुख एवं अन्य अभियंताओं को निलंबित किया गया है. साथ ही बड़े पैमाने पर निविदाओं को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस अवधि में पथ निर्माण विभाग के प्रभारी मंत्री जो उस समय मुख्य मंत्री थे तथा सचिव जो स्वयं मुख्य सचिव थीं उनकी भूमिका की जांच भी जरूरी है.

उन्होंने कहा कि ये दोनों ही पथ निर्माण विभाग में घोटालों और अनियमितताओं की संस्कृति आरंभ करने, नियम विरूद्ध आदेश देने तथा उन आदेशों को क्रियान्वित करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों एवं अभियंताओं पर दबाव डालने के लिए जिम्मेदार हैं.

ये भी पढ़ें- शपथ के अनुसार जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे मंत्री, CM की रहेगी नजर

राय ने कहा कि यह भी सूचना है कि पथ निर्माण विभाग में हुई अनियमितताओं की जांच 01.01.2016 से करने का आदेश हुआ है. वस्तुतः यह जांच 01.01.2014 से होनी चाहिए क्योंकि पथ निर्माण विभाग से ऐसी अनियमितताओं का दौर उस समय से ही आरंभ हुआ था। इसके साथ ही जांच का दायरा भवन निर्माण एवं ऊर्जा विभाग तक बढ़ायी जानी चाहिए.

राय ने कहा कि पथ निर्माण विभाग को अनियमितताओं के बारे में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री को 11 मार्च, 2018 को पत्र लिखा था. इसके पूर्व 24 अगस्त, 2017 को भी पीत पत्र के द्वारा उन्हें सूचित किया था. साथ ही सचिव, पथ निर्माण विभाग को इस बारे में 28 मार्च, 2018 को सप्रमाण सूचित किया था तथा 26 जुलाई, 2018 को भी पथ निर्माण विभाग की कार्य संस्कृति के बारे में सचिव, पथ निर्माण विभाग को पत्र भेजा था. इसके अतिरिक्त गुवा-सलाई रोड की अनियमितताओं के बारे में तथा एनजीटी द्वारा इस बारे में तत्कालीन पथ निर्माण सचिव एवं मुख्य सचिव को कारवाई के लिए भेजे गये आदेश का भी जिक्र किया था. परंतु, उनके पत्रों में अंकित बिंदुओं पर कोई कारवाई नहीं हुई. नतीजा हुआ कि अनियमितताओं का दायरा बढ़ता गया और निविदाओं के निष्पादन में अनियमितता को सांस्थिक रूप दे दिया गया.

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पथ निर्माण विभाग के कथित अनियमितताओं में जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम से जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि नवगठित झारखंड सरकार ने पथ निर्माण विभाग की अनियमितताओं एवं निविदा घोटालों पर कारवाई आरंभ कर दिया है. पथ निर्माण के अभियंता प्रमुख एवं अन्य अभियंताओं को निलंबित किया गया है. साथ ही बड़े पैमाने पर निविदाओं को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस अवधि में पथ निर्माण विभाग के प्रभारी मंत्री जो उस समय मुख्य मंत्री थे तथा सचिव जो स्वयं मुख्य सचिव थीं उनकी भूमिका की जांच भी जरूरी है.

उन्होंने कहा कि ये दोनों ही पथ निर्माण विभाग में घोटालों और अनियमितताओं की संस्कृति आरंभ करने, नियम विरूद्ध आदेश देने तथा उन आदेशों को क्रियान्वित करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों एवं अभियंताओं पर दबाव डालने के लिए जिम्मेदार हैं.

ये भी पढ़ें- शपथ के अनुसार जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे मंत्री, CM की रहेगी नजर

राय ने कहा कि यह भी सूचना है कि पथ निर्माण विभाग में हुई अनियमितताओं की जांच 01.01.2016 से करने का आदेश हुआ है. वस्तुतः यह जांच 01.01.2014 से होनी चाहिए क्योंकि पथ निर्माण विभाग से ऐसी अनियमितताओं का दौर उस समय से ही आरंभ हुआ था। इसके साथ ही जांच का दायरा भवन निर्माण एवं ऊर्जा विभाग तक बढ़ायी जानी चाहिए.

राय ने कहा कि पथ निर्माण विभाग को अनियमितताओं के बारे में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री को 11 मार्च, 2018 को पत्र लिखा था. इसके पूर्व 24 अगस्त, 2017 को भी पीत पत्र के द्वारा उन्हें सूचित किया था. साथ ही सचिव, पथ निर्माण विभाग को इस बारे में 28 मार्च, 2018 को सप्रमाण सूचित किया था तथा 26 जुलाई, 2018 को भी पथ निर्माण विभाग की कार्य संस्कृति के बारे में सचिव, पथ निर्माण विभाग को पत्र भेजा था. इसके अतिरिक्त गुवा-सलाई रोड की अनियमितताओं के बारे में तथा एनजीटी द्वारा इस बारे में तत्कालीन पथ निर्माण सचिव एवं मुख्य सचिव को कारवाई के लिए भेजे गये आदेश का भी जिक्र किया था. परंतु, उनके पत्रों में अंकित बिंदुओं पर कोई कारवाई नहीं हुई. नतीजा हुआ कि अनियमितताओं का दायरा बढ़ता गया और निविदाओं के निष्पादन में अनियमितता को सांस्थिक रूप दे दिया गया.

Intro:रांची। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पथ निर्माण विभाग के कथित अनियमितताओं में जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि नवगठित झारखंड सरकार ने पथ निर्माण विभाग की अनियमितताओं एवं निविदा घोटालों पर कारवाई आरंभ कर दिया है। पथ निर्माण के अभियंता प्रमुख एवं अन्य अभियंताओं को निलंबित किया गया है। साथ ही बड़े पैमाने पर निविदाओं को रद्द कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस अवधि में पथ निर्माण विभाग के प्रभारी मंत्री जो उस समय मुख्य मंत्री थे तथा सचिव जो स्वयं मुख्य सचिव थीं उनकी भूमिका की जाँच भी जरूरी है।

Body:उन्होंने कहा कि ये दोनों ही पथ निर्माण विभाग में घोटालों और अनियमितताओं की संस्कृति आरंभ करने, नियम विरूद्ध आदेश देने तथा उन आदेशों को क्रियान्वित करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों एवं अभियंताओं पर दबाव डालने के लिए जिम्मेदार हैं।
राय ने कहा कि यह भी सूचना है कि पथ निर्माण विभाग में हुई अनियमितताओं की जाँच 01.01.2016 से करने का आदेश हुआ है। वस्तुतः यह जाँच 01.01.2014 से होनी चाहिए क्योंकि पथ निर्माण विभाग से ऐसी अनियमितताओं का दौर उस समय से ही आरंभ हुआ था। इसके साथ ही जाँच का दायरा भवन निर्माण एवं ऊर्जा विभाग तक बढ़ायी जानी चाहिए।

Conclusion:राय ने कहा कि पथ निर्माण विभाग को अनियमितताओं के बारे में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री को 11 मार्च, 2018 को पत्र लिखा था। इसके पूर्व 24 अगस्त, 2017 को भी पीत पत्र के द्वारा उन्हें सूचित किया था। साथ ही सचिव, पथ निर्माण विभाग को इस बारे में 28 मार्च, 2018 को सप्रमाण सूचित किया था तथा 26 जुलाई, 2018 को भी पथ निर्माण विभाग की कार्य संस्कृति के बारे में सचिव, पथ निर्माण विभाग को पत्र भेजा था। इसके अतिरिक्त गुवा-सलाई रोड की अनियमितताओं के बारे में तथा एनजीटी द्वारा इस बारे में तत्कालीन पथ निर्माण सचिव एवं मुख्य सचिव को कारवाई के लिए भेजे गये आदेश का भी जिक्र किया था। परंतु, उनके पत्रों में अंकित बिंदुओं पर कोई कारवाई नहीं हुई। नतीजा हुआ कि अनियमितताओं का दायरा बढ़ता गया और निविदाओं के निष्पादन में अनियमितता को सांस्थिक रूप दे दिया गया।

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