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PTR में बाघिन की मौत मामले में सरयू राय ने लिखा सीएम को चिट्ठी, कहाः वन विभाग ने की लापरवाही

पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत मामले में निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे एक पत्र में कहा कि वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया जाए.

PTR में बाघिन की मौत मामले में सरयू राय ने लिखा सीएम को चिट्ठी, कहाः वन विभाग ने की लापरवाही
सरयू राय
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Published : Feb 22, 2020, 8:15 PM IST

रांचीः पलामू टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की पिछले हफ्ते हुई मौत मामले में निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे एक पत्र में कहा कि बाघिन की मौत को 'गौर' नामक जानवर के झुंड का हमला बताकर मामले की रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया जाए.

और पढे़ं- रांची: 29 फरवरी से कांग्रेस के सदस्यता अभियान की होगी लॉन्चिंग, 4 प्रमंडलों में की जाएगी शुरुआत

सरयू राय ने साफ तौर पर कहा कि इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती है और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के प्रावधानों के अनुरूप काम नहीं किया है.

सुनियोजित साजिश की है संभावना

सरयू राय ने कहा कि उन्हें यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है, इसलिए इसकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है. उन्होंने कहा कि जांच की अवधि में दोषी अधिकारियों को उनके पदों से हटाना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि पूर्वर्ती सरकार में वह लातेहार जिला के प्रभारी थे जहां पलामू टाइगर रिजर्व अवस्थित है. उस नाते उन्होंने कई बार उस इलाके का दौरा भी किया. साथ ही उन्होंने कहा कि पीटीआर एनटीसीए के गाइड लाइन पर नहीं चल रहा था. वहां इस तरह से नियम की धज्जी वन विभाग के शीर्ष अधिकारी उड़ा रहे हैं. इसे देखकर उन्हें तकलीफ हुई थी.

सीएम को संज्ञान लेकर करनी चाहिए कड़ी कार्रवाई

सरयू राय ने कहा कि इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री को संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए. एनटीसीए की गाइडलाइन का रेफरेंस देते हुए उन्होंने कहा कि बाघ या बाघिन की इस तरह की मौत की जांच यह मानकर शुरू की जाती है कि शिकार की गोली से हुई है. जब यह सिद्ध हो जाता है कि मौत शिकारी की गोली से नहीं हुई हो तब अन्य कारणों की जांच होती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.

वरीय अधिकारी अभी तक नहीं गए घटनास्थल

विधायक सरयू राय ने कहा कि विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने अभी तक घटनास्थल का दौरा कर मामले का स्वयं सर्वेक्षण क्यों नहीं किया, यह भी सरकार को जानना चाहिए. उन्होंने कहा जहां पर बाघिन की मौत हुई वह खून का एक कतरा भी नहीं है. ऐसे में गौर के हमले में यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि विभाग के लोग दावा कर रहे हैं कि बाघिन बूढ़ी हो गई थी उसके नाखून झड़ गए थे लेकिन मृत बाघिन की फोटो से स्पष्ट है कि उसके सभी पैरों के नाखून यथावत हैं. बुढापे में बाघिन की नाक काली हो जाती है लेकिन मृत बाघिन की नाक गुलाबी रंग की थी.

हड़बड़ी में जलाया गया शव

साथ ही सरयू ने सवाल उठाते हुए कहा बाघिन के शव को जलाने की इतनी अफरा-तफरी क्यों रही उसे डीप फ्रिज में रखना चाहिए था. ताकि एनटीसीए के अधिकारी आकर जांच करें. साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि वन विभाग के अधिकारी मौत का कारण गौर का हमला बता रहे हैं क्या इससे पहले भी गौर ने हमला कर किसी भाग्य बाघिन को मारा हो ऐसा कोई रिकॉर्ड विभाग के पास है.

रांचीः पलामू टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की पिछले हफ्ते हुई मौत मामले में निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे एक पत्र में कहा कि बाघिन की मौत को 'गौर' नामक जानवर के झुंड का हमला बताकर मामले की रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया जाए.

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सरयू राय ने साफ तौर पर कहा कि इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती है और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के प्रावधानों के अनुरूप काम नहीं किया है.

सुनियोजित साजिश की है संभावना

सरयू राय ने कहा कि उन्हें यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है, इसलिए इसकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है. उन्होंने कहा कि जांच की अवधि में दोषी अधिकारियों को उनके पदों से हटाना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि पूर्वर्ती सरकार में वह लातेहार जिला के प्रभारी थे जहां पलामू टाइगर रिजर्व अवस्थित है. उस नाते उन्होंने कई बार उस इलाके का दौरा भी किया. साथ ही उन्होंने कहा कि पीटीआर एनटीसीए के गाइड लाइन पर नहीं चल रहा था. वहां इस तरह से नियम की धज्जी वन विभाग के शीर्ष अधिकारी उड़ा रहे हैं. इसे देखकर उन्हें तकलीफ हुई थी.

सीएम को संज्ञान लेकर करनी चाहिए कड़ी कार्रवाई

सरयू राय ने कहा कि इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री को संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए. एनटीसीए की गाइडलाइन का रेफरेंस देते हुए उन्होंने कहा कि बाघ या बाघिन की इस तरह की मौत की जांच यह मानकर शुरू की जाती है कि शिकार की गोली से हुई है. जब यह सिद्ध हो जाता है कि मौत शिकारी की गोली से नहीं हुई हो तब अन्य कारणों की जांच होती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.

वरीय अधिकारी अभी तक नहीं गए घटनास्थल

विधायक सरयू राय ने कहा कि विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने अभी तक घटनास्थल का दौरा कर मामले का स्वयं सर्वेक्षण क्यों नहीं किया, यह भी सरकार को जानना चाहिए. उन्होंने कहा जहां पर बाघिन की मौत हुई वह खून का एक कतरा भी नहीं है. ऐसे में गौर के हमले में यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि विभाग के लोग दावा कर रहे हैं कि बाघिन बूढ़ी हो गई थी उसके नाखून झड़ गए थे लेकिन मृत बाघिन की फोटो से स्पष्ट है कि उसके सभी पैरों के नाखून यथावत हैं. बुढापे में बाघिन की नाक काली हो जाती है लेकिन मृत बाघिन की नाक गुलाबी रंग की थी.

हड़बड़ी में जलाया गया शव

साथ ही सरयू ने सवाल उठाते हुए कहा बाघिन के शव को जलाने की इतनी अफरा-तफरी क्यों रही उसे डीप फ्रिज में रखना चाहिए था. ताकि एनटीसीए के अधिकारी आकर जांच करें. साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि वन विभाग के अधिकारी मौत का कारण गौर का हमला बता रहे हैं क्या इससे पहले भी गौर ने हमला कर किसी भाग्य बाघिन को मारा हो ऐसा कोई रिकॉर्ड विभाग के पास है.

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