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एक ही मंडप में मां-बेटी ने लिए सात फेरे, अनोखी शादी के गवाह बने लोग

झारखंड की एक संस्था ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले 137 जोड़े की शादी करवाकर समाज में एक अनोखी मिसाल पेश की है.

samuhik vivah, सामूहिक विवाह
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Published : Feb 9, 2020, 8:57 PM IST

रांची: झारखंड की राजधानी में एक सुखद नजारा देखने को मिला. जहां निजी संस्था के प्रयास से 137 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे. लेकिन सबकी नजरें यहां एक ही मंडप पर टिकी थी. क्योंकि वहां मां और सगी बेटी दोनों की शादी हो रही थी. इलाके के लोग भी इस अनोखी शादी के गवाह बने और मां और बेटी को उनके आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाएं भी दीं.

देखें स्पेशल स्टोरी

गरीबी के कारण नहीं हो पा रही थी शादी
दरअसल, इन 137 जोड़ियों में सबकी निगाहें एक ही मंडप में मां-बेटी की शादी पर टिकी हुई थी. शादी के मंडप में मां पार्वती देवी और बेटी कलावती एक ही मंडप में अपने जीवन साथी के साथ परिणय सूत्र में बंधी. ये शादी इतनी ऐतिहासिक थी कि एक ही मंडप में बच्चे अपने नाना-नानी की शादी और अपने मां-बाप की शादी के भी गवाह बने. यहां कई ऐसे जोड़े थे जो बरसों से सामाजिक कुरीतियों के कारण लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. लेकिन पैसे के अभाव के कारण इन लोगों की शादी नहीं हो पा रही थी.

अधिकार मिलने से खुश हैं जोड़े
इस मंडप में बैठने के बाद अधेड़ उम्र के दूल्हे-दुल्हन के चेहरे पर भी खुशी देखने को मिली. उनका कहना था कि समाज में उन्हें सिर उठाकर अपने जीवन साथी के साथ जीने का अधिकार मिल गया है. समाज इन 137 जोड़ियों को सामाजिक मान्यता नहीं दे रहा था. क्योंकि इन्होंने अपने मर्जी से अपने जीवनसाथी चुनने का फैसला कर लिया था.

लिव इन रिलेशनशिप में थे मां-बेटी
बता दें कि गरीबी के कारण ईंट भट्ठा में काम करने गए सुधेश्वर ने अपनी मर्जी से परमी को पसंद कर लिया और साथ रहने लगे. इसी बीच उनके बच्चे हुए और बड़े हो गए, बेटी ने भी अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुन लिया. एक तो गरीबी का बोझ और ऊपर से मां-बाप की शादी नहीं होने के कारण बेटे-बेटी की भी शादी रीति-रिवाज के साथ नहीं हो पाई. जिसके कारण यह लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे.

रांची: झारखंड की राजधानी में एक सुखद नजारा देखने को मिला. जहां निजी संस्था के प्रयास से 137 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे. लेकिन सबकी नजरें यहां एक ही मंडप पर टिकी थी. क्योंकि वहां मां और सगी बेटी दोनों की शादी हो रही थी. इलाके के लोग भी इस अनोखी शादी के गवाह बने और मां और बेटी को उनके आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाएं भी दीं.

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गरीबी के कारण नहीं हो पा रही थी शादी
दरअसल, इन 137 जोड़ियों में सबकी निगाहें एक ही मंडप में मां-बेटी की शादी पर टिकी हुई थी. शादी के मंडप में मां पार्वती देवी और बेटी कलावती एक ही मंडप में अपने जीवन साथी के साथ परिणय सूत्र में बंधी. ये शादी इतनी ऐतिहासिक थी कि एक ही मंडप में बच्चे अपने नाना-नानी की शादी और अपने मां-बाप की शादी के भी गवाह बने. यहां कई ऐसे जोड़े थे जो बरसों से सामाजिक कुरीतियों के कारण लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. लेकिन पैसे के अभाव के कारण इन लोगों की शादी नहीं हो पा रही थी.

अधिकार मिलने से खुश हैं जोड़े
इस मंडप में बैठने के बाद अधेड़ उम्र के दूल्हे-दुल्हन के चेहरे पर भी खुशी देखने को मिली. उनका कहना था कि समाज में उन्हें सिर उठाकर अपने जीवन साथी के साथ जीने का अधिकार मिल गया है. समाज इन 137 जोड़ियों को सामाजिक मान्यता नहीं दे रहा था. क्योंकि इन्होंने अपने मर्जी से अपने जीवनसाथी चुनने का फैसला कर लिया था.

लिव इन रिलेशनशिप में थे मां-बेटी
बता दें कि गरीबी के कारण ईंट भट्ठा में काम करने गए सुधेश्वर ने अपनी मर्जी से परमी को पसंद कर लिया और साथ रहने लगे. इसी बीच उनके बच्चे हुए और बड़े हो गए, बेटी ने भी अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुन लिया. एक तो गरीबी का बोझ और ऊपर से मां-बाप की शादी नहीं होने के कारण बेटे-बेटी की भी शादी रीति-रिवाज के साथ नहीं हो पाई. जिसके कारण यह लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे.

Intro:एक ही मंडप में मां बेटी का हुआ शादी और नाती बना शादी का गवाह, निमित्त संस्थान के द्वारा 137 जोड़ों का कराया गया सामूहिक विवाह

रांची
बाइट--निकिता सिन्हा निमित्त संस्थान
बाइट---माँ पार्वती देवी --बाप --सूधेश्वर
बाइट--बेटी कलावती --दामाद-- प्रताप


राजधानी रांची में बड़ी ही सुखद नजारा देखने को मिला मौका था जब निमित्त संस्थान के द्वारा 137 जोड़ों को परिणय सूत्र में बांधने का काम किया जा रहा था और इस मंडप में कई ऐसे जोड़े थे मां बाप की शादी सात फेरों और सातों जन्म के साथ निभाने की कसमें के साथ परिणय सूत्र में बंद रहे थे तो वही इसी मंडप में बेटे और दामाद की शादी हो रही थी और नाना नानी मां बाप के शादी का गवाह बन रहा था नन्हे से 3 वर्षीय नाती। इस अनोखी शादी के गवाह बने लोगों ने भी मां और बेटी को उनके आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाएं देते नजर आए

निमित्त संस्था की ओर से सामूहिक शादी में 137 जोड़ों ने सात से लेकर एक दूसरे के साथ जीवन जीने की कसमें खाई यहां कई ऐसे जुड़े थे जो बरसों से सामाजिक कुरर्तियों के कारण लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे लेकिन पैसे के अभाव समाज के सामने इन लोगों की शादी नहीं हो पा रही थी। मंडप में बैठे अधेड़ दूल्हे दुल्हन के चेहरे पर खुशी साफ देखने को मिल रही थी। मन में इस बात की खुशी थी कि आज सामूहिक विवाह परिणय सूत्र में बंदे का मौका मिला है और लोगों को समाज में उन्हें सर उठा कर अपने जीवन साथी के साथ जीने का अधिकार मिल गया है।

इन 137 जोड़ियों में सबकी निगाहें एक ही मंडप में मां बेटी की शादी पर टिकी हुई थी शादी के मंडप में मां पार्वती देवी और बेटी कलावती एक ही मंडप में अपने जीवन साथी के साथ परिणय सूत्र में बन रहे थे। और वैवाहिक बंधन में बंधे। शादी इतनी ऐतिहासिक थी कि एक ही मंडप में बच्चे अपने नाना नानी के शादी और अपने मां-बाप की शादी का भी गवाह बना गया। समाज इन 137 जोड़ियों को सामाजिक मान्यता नहीं दे रहा था क्योंकि इन्होंने अपने मर्जी से अपने जीवनसाथी चुनने का फैसला कर लिया। गरीबी के कारण ईट भट्ठा में काम करने गए सूधेश्वर ने अपनी मर्जी से परमी को पसंद कर लिया और साथ में रहने लगे इसी बीच उनके बच्चे हो गए हैं बच्चे बड़े हो गए हैं और बेटी ने भी अपने मर्जी से अपना जीवन साथी चुन लिया एक तो गरीबी का बोझ और ऊपर से मां बाप का शादी नहीं होने के कारण बेटे बेटी की भी शादी हिंदू रीति रिवाज के साथ नहीं हो पाया जिसके कारण यह लोग लिव इन रिलेशनशिप नहीं रहने लगे




Body:वैवाहिक समारोह में एक और अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए जा रहे थे तो वहीं दूसरी ओर पहन की देखरेख में साधना विधि विधान से आदिवासी रीति रिवाज के साथ आदिवासी धर्म के लोगों का शादी हो रहा था तो वही चर्च से आए पादरी ने भी बाइबल पंक्तियां पढ़ क्रिश्चियन कम्युनिटी के जोड़ों को शादी के रस्मों में बध रहे थे।


Conclusion:
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