रांची: झारखंड की राजधानी में एक सुखद नजारा देखने को मिला. जहां निजी संस्था के प्रयास से 137 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे. लेकिन सबकी नजरें यहां एक ही मंडप पर टिकी थी. क्योंकि वहां मां और सगी बेटी दोनों की शादी हो रही थी. इलाके के लोग भी इस अनोखी शादी के गवाह बने और मां और बेटी को उनके आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाएं भी दीं.
गरीबी के कारण नहीं हो पा रही थी शादी
दरअसल, इन 137 जोड़ियों में सबकी निगाहें एक ही मंडप में मां-बेटी की शादी पर टिकी हुई थी. शादी के मंडप में मां पार्वती देवी और बेटी कलावती एक ही मंडप में अपने जीवन साथी के साथ परिणय सूत्र में बंधी. ये शादी इतनी ऐतिहासिक थी कि एक ही मंडप में बच्चे अपने नाना-नानी की शादी और अपने मां-बाप की शादी के भी गवाह बने. यहां कई ऐसे जोड़े थे जो बरसों से सामाजिक कुरीतियों के कारण लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. लेकिन पैसे के अभाव के कारण इन लोगों की शादी नहीं हो पा रही थी.
अधिकार मिलने से खुश हैं जोड़े
इस मंडप में बैठने के बाद अधेड़ उम्र के दूल्हे-दुल्हन के चेहरे पर भी खुशी देखने को मिली. उनका कहना था कि समाज में उन्हें सिर उठाकर अपने जीवन साथी के साथ जीने का अधिकार मिल गया है. समाज इन 137 जोड़ियों को सामाजिक मान्यता नहीं दे रहा था. क्योंकि इन्होंने अपने मर्जी से अपने जीवनसाथी चुनने का फैसला कर लिया था.
लिव इन रिलेशनशिप में थे मां-बेटी
बता दें कि गरीबी के कारण ईंट भट्ठा में काम करने गए सुधेश्वर ने अपनी मर्जी से परमी को पसंद कर लिया और साथ रहने लगे. इसी बीच उनके बच्चे हुए और बड़े हो गए, बेटी ने भी अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुन लिया. एक तो गरीबी का बोझ और ऊपर से मां-बाप की शादी नहीं होने के कारण बेटे-बेटी की भी शादी रीति-रिवाज के साथ नहीं हो पाई. जिसके कारण यह लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे.