रांची: झारखंड के पांच जिलों में पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर आगामी 15 जुलाई से 31 जुलाई 2022 तक समर अभियान चलाया जाएगा. जिसमें संदिग्ध कुपोषण व एनीमिया (Malnutrition and Anemia in Jharkhand) वाले बच्चों व महिलाओं की जांच की जाएगी. झारखंड राज्य पोषण मिशन के महानिदेशक राजेश्वरी बी ने चयनित पांचों जिलों के उपायुक्त को पत्र लिख कर यह निर्देश दिया है.
कौन से पांच जिलों में चलेगा अभियान: झारखंड राज्य पोषण मिशन (Jharkhand State Nutrition Mission) के महानिदेशक राजेश्वरी बी की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक राज्य के पांच जिलों में समर अभियान चलाया जाएगा. इन पांच जिलों में लातेहार, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा और साहिबगंज शामिल है. महानिदेशक राजेश्वरी बी ने इन जिलों के डीसी को पत्र के माध्यम से एक्शन प्लान तैयार कर अभियान चलाने का निर्देश दिया है.
महानिदेशक ने पत्र में क्या-क्या लिखा: इस अभियान को लेकर राजेश्वरी बी ने पत्र में लिखा है कि 5 जुलाई 2022 को समर अभियान (SAAMAR-Strategic Action for Alleviation of Malnutrition and Anemia Reduction) के प्रगति पर समीक्षा की गई थी और समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि राज्य में लगभग 20,492 कुपोषण व एनीमिया के संदिग्ध मामले हैं. जिसमें से अब तक केवल 641 की जांच आंगनवाड़ी केंद्रों पर की गई है. महानिदेशक राजेश्वरी ने लिखा कि अभी भी कुल 19,851 कुपोषण व एनीमिया के संदिग्ध मामलों की जांच की जानी है. 15 से 31 जुलाई 2022 तक विशेष अभियान चलाकर इसकी जांच का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाए. साथ ही इस विशेष अभियान को सफल बनाने के लिए नवनिर्वाचित मुखिया से अपेक्षित सहयोग लिया जाए.
अपडेट किया जाएगा समर ऐप: महानिदेशक राजेश्वरी ने कहा है कि कुपोषण व एनिमिया के सभी मामलों की सूची समर ऐप (SAAMAR App) में आंगनवाड़ी केंद्र पर होने वाली जांच पर उपलब्ध है, जिसे कुपोषण व एनीमिया के जांच के दौरान भरा जाएगा. आंगनवाड़ी सेविका यह सुनिश्चित करेंगे कि पोषण ट्रैकर में पहले से चिन्हित अति गंभीर कुपोषित बच्चे की सूचना समर ऐप में संकलित कर ली जाए. साथ ही आंगनवाड़ी गांव स्तर पर प्रत्येक दिन कैंप लगाकर एएनएम की उपस्थिति में सभी संदिग्ध मामलों में कुपोषण (वजन, लंबाई, ऊंचाई, चिकित्सकीय जांच, भूख की जांच) व एनीमिया की जांच सुनिश्चित की जाएगी.
कर्मियों के लिए यह निर्देश: महानिदेशक ने कहा है कि जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि आंगनबाड़ी केंद्र के सभी उपकरण शत-प्रतिशत कार्यरत हों. साथ ही सिविल सर्जन यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी एएनएम जिसे इस कार्यक्रम में जोड़ा गया हो, उनके पास सभी 9 दवाइयां उपलब्ध हो, डिजिटल हीमोग्लोबीनो मीटर उपलब्ध हो. दवाई किस प्रकार दी जानी है उसमें प्रशिक्षित हो.
अति गंभीर कुपोषित बच्चों व एनीमिया से ग्रसित बच्चों का उपचार: 6 महीने से 5 साल तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों (SAM-Severe Acute Malnutrition), जिनमें कोई चिकित्सीय बीमारी नहीं है और वह बच्चा भूख की जांच में पास है, उसका उपचार कम से कम 4 माह तक समुदाय आधारित प्रबंधन आगनबाड़ी केंद्र में 11 चरण को अपनाते हुए किया जायेगा.
11 चरणों में उपचार | |
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चरण 1 | सामुदायिक गतिशीलता |
चरण 2 | संदिग्ध मामलों का स्क्रीनिंग व शारीरिक नाप |
चरण 3 | अति गंभीर कुपोषित बच्चों का चिकित्सकीय आंकलन |
चरण 4 | अति गंभीर कुपोषित बच्चों का भूख की जांच करना |
चरण 5 | STC में रखना चाहिए या MTC को रेफर करना चाहिए |
चरण 6 | पोषणात्मक उपचार |
चरण 7 | SAM KIT (दवाईयां) |
चरण 8 | पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा |
चरण 9 | बच्चों का फाॅलोअप |
चरण 10 | डिस्चार्ज देने के मापदण्ड |
चरण 11 | डिस्चार्ज पाने के बाद फालोअप |
कहां होगा कुपोषित बच्चों का उपचार:
- जन्म से 6 माह तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों (SAM) और जन्म से 5 वर्ष तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों, जिनमें कोई चिकित्सीय बीमारी है और वह भूख की जांच में फेल है, का उपचार कुपोषण उपचार केंद्र पर किया जायेगा.
- एनीमिया से ग्रसित बच्चे, किशोरी, युवती व गर्भवती महिलाओं का उपचार एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत की जायेगी.
हर दिन की जाएगी समीक्षा: महानिदेशक राजेश्वरी ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रतिदिन की प्रगति प्रतिवेदन समर डैश बोर्ड पर संकलित होगा और प्रत्येक सप्ताह उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर वस्तुस्थिति की समीक्षा की जाएगी. किसी भी प्रकार की जानकारी में समस्या उत्पन्न होने पर राज्य पोषण मिशन से संपर्क स्थापित किया जाएगा और विशेष अभियान के उपरांत एक स्टडी रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे सभी विभागों के साथ साझा किया जाएगा. बता दें समर अभियान के तहत राज्य में अब तक कुल 20,492 चिन्हित किये गये. लोगों में से 7849 कुपोषण एवं 12643 एनीमिया के संदिग्ध लोगों की पहचान की गयी है जिनका स्क्रीनिंग होना है.