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'वेज मटन': औषधीय गुणों से भरपूर है रुगड़ा और खुखड़ी, दो हजार रुपये प्रति किलो है कीमत

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Published : Jun 23, 2021, 8:45 PM IST

Updated : Jun 23, 2021, 9:44 PM IST

झारखंड के रुगड़ा की पहचान मटन के रूप में होती है. औषधीय गुणों से भरपूर रुगड़ा और खुखड़ी की कीमत काफी ज्यादा है. इसे खाने वाले लोग बताते हैं कि इसका स्वाद बिल्कुल मटन जैसा होता है. सिर्फ बारिश के शुरुआती दिनों में यह मिलता है.

rugada and khukdi
रुगड़ा और खुखड़ी

रांची: अगर कोई नॉन वेजिटेरियन नहीं हैं और मटन जैसा स्वाद लेना चाहते हैं तो इसका मजा झारखंड में लिया जा सकता है. झारखंड में वेज मटन का आनंद ले सकते हैं. दरअसल, औषधीय गुणों से भरपूर रुगड़ा और खुखड़ी का स्वाद बिल्कुल मटन जैसा होता है. खाने वाले लोग बताते हैं कि यह बिल्कुल मटन-चिकेन जैसा लगता है. ये थोड़ा महंगा है लेकिन काफी स्वादिष्ट है.

यह भी पढ़ें: 'बाल आर्यभट्ट' विराट: सीखने की ललक ने बनाया जीनियस, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराकर रचा इतिहास

औषधीय गुणों से भरपूर है रुगड़ा और खुखड़ी

झारखंड के रुगड़ा की पहचान शाकाहारी मटन के रूप में होती है. यह बिल्कुल शाकाहारी व्यंजन है. मशरूम प्रजाति का रुगड़ा सिर्फ बरसात के शुरुआती दिनों में मिलता है. सबसे खास बात यह है कि रुगड़ा की खेती नहीं की जाती बल्कि इसकी उपज प्राकृतिक तौर पर होती है. यह जंगलों में साल के वृक्ष के आसपास पाई जाती है. मशरूम प्रजाति के रुगड़ा में प्रोटीन और फाइबर प्रचूर मात्रा में पाया जाता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

2 हजार रुपये प्रति किलो है कीमत

झारखंड के जायके की अलग पहचान रखने वाली रगड़ा और खुखड़ी का लोगों को इसकी बेसब्री से इंतजार रहता है. मॉनसून शुरू होते ही जंगलों से चुनकर इसे बाजार में बेचने के लिए लाते हैं. शुरुआती दिनों में रुगड़ा की कीमत 400 से लेकर 500 रुपये तक और खुखड़ी 1600 से लेकर दो हजार रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है.

जीविका का भी साधन है रुगड़ा

रुगड़ा के सीजन के समय जंगल के आसपास निवास करने वाले लोगों की जीविका का भी यह साधन होता है. ग्रामीण समूह बनाकर जंगल में इसे चुनने जाते हैं. रुगड़ा में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है. कैलोरी और वसा इसमें न के बराबर होती है. बारिश के मौसम में इसकी जबरदस्त मांग रहती है. मशरूम प्रजाति का रुगड़ा छोटे आलू की तरह दिखता देता है. रुगड़ा खरीद रही एक महिला ने बताया कि शाकाहारी लोगों को पूरे साल इस सीजन का इंतजार रहता है. मटन-चिकेन तो सालों भर मिलता है लेकिन मटन जैसे स्वाद वाला रुगड़ा सिर्फ एक महीने ही मिलता है. कई लोग इसे मटन-चिकेन में भी मिलाकर खाते हैं.

खाने से बढ़ेगी इम्यूनिटी

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम विभाग के वैज्ञानिक एन कुदादा ने बताया कि मशरूम प्रजाति का रुगड़ा और खुखड़ी बरसात के शुरुआती मौसम में बाजार में उपलब्ध होता है. इसमें भरपूर मात्रा में मिनरल, विटामिन और प्रोटीन पाया जाता है. बीपी, शुगर और दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. खून की कमी से पीड़ित मरीज और शुगर के मरीजों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. कोविड-19 के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर भी लोगों को रुगड़ा और खुखड़ी खाने की सलाह दी जाती है.

रांची: अगर कोई नॉन वेजिटेरियन नहीं हैं और मटन जैसा स्वाद लेना चाहते हैं तो इसका मजा झारखंड में लिया जा सकता है. झारखंड में वेज मटन का आनंद ले सकते हैं. दरअसल, औषधीय गुणों से भरपूर रुगड़ा और खुखड़ी का स्वाद बिल्कुल मटन जैसा होता है. खाने वाले लोग बताते हैं कि यह बिल्कुल मटन-चिकेन जैसा लगता है. ये थोड़ा महंगा है लेकिन काफी स्वादिष्ट है.

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औषधीय गुणों से भरपूर है रुगड़ा और खुखड़ी

झारखंड के रुगड़ा की पहचान शाकाहारी मटन के रूप में होती है. यह बिल्कुल शाकाहारी व्यंजन है. मशरूम प्रजाति का रुगड़ा सिर्फ बरसात के शुरुआती दिनों में मिलता है. सबसे खास बात यह है कि रुगड़ा की खेती नहीं की जाती बल्कि इसकी उपज प्राकृतिक तौर पर होती है. यह जंगलों में साल के वृक्ष के आसपास पाई जाती है. मशरूम प्रजाति के रुगड़ा में प्रोटीन और फाइबर प्रचूर मात्रा में पाया जाता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

2 हजार रुपये प्रति किलो है कीमत

झारखंड के जायके की अलग पहचान रखने वाली रगड़ा और खुखड़ी का लोगों को इसकी बेसब्री से इंतजार रहता है. मॉनसून शुरू होते ही जंगलों से चुनकर इसे बाजार में बेचने के लिए लाते हैं. शुरुआती दिनों में रुगड़ा की कीमत 400 से लेकर 500 रुपये तक और खुखड़ी 1600 से लेकर दो हजार रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है.

जीविका का भी साधन है रुगड़ा

रुगड़ा के सीजन के समय जंगल के आसपास निवास करने वाले लोगों की जीविका का भी यह साधन होता है. ग्रामीण समूह बनाकर जंगल में इसे चुनने जाते हैं. रुगड़ा में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है. कैलोरी और वसा इसमें न के बराबर होती है. बारिश के मौसम में इसकी जबरदस्त मांग रहती है. मशरूम प्रजाति का रुगड़ा छोटे आलू की तरह दिखता देता है. रुगड़ा खरीद रही एक महिला ने बताया कि शाकाहारी लोगों को पूरे साल इस सीजन का इंतजार रहता है. मटन-चिकेन तो सालों भर मिलता है लेकिन मटन जैसे स्वाद वाला रुगड़ा सिर्फ एक महीने ही मिलता है. कई लोग इसे मटन-चिकेन में भी मिलाकर खाते हैं.

खाने से बढ़ेगी इम्यूनिटी

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम विभाग के वैज्ञानिक एन कुदादा ने बताया कि मशरूम प्रजाति का रुगड़ा और खुखड़ी बरसात के शुरुआती मौसम में बाजार में उपलब्ध होता है. इसमें भरपूर मात्रा में मिनरल, विटामिन और प्रोटीन पाया जाता है. बीपी, शुगर और दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. खून की कमी से पीड़ित मरीज और शुगर के मरीजों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. कोविड-19 के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर भी लोगों को रुगड़ा और खुखड़ी खाने की सलाह दी जाती है.

Last Updated : Jun 23, 2021, 9:44 PM IST
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