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झारखंड का बिहार सरकार पर बकायाः 01 अरब 27 करोड़ रुपया वसूलने के लिए कोर्ट जाएगा रिनपास

झारखंड का बिहार सरकार पर बकाया है. रिनपास अस्पताल रांची को 01 अरब 27 करोड़ की राशि का भुगतान बिहार सरकार को करना है. इसको लेकर रिनपास झारखंड हाई कोर्ट जाने का मन बना रहा है.

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रिनपास
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Published : Apr 1, 2022, 8:54 PM IST

Updated : Apr 4, 2022, 7:38 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार का RINPAS (Ranchi Institute of Neuro Psychiatry and Allied Sciences) पड़ोसी राज्य बिहार से मानसिक रोगियों के इलाज के बदले अपने बकाए की 01 अरब 27 करोड़ 99 लाख 23 हजार 311 रुपए की राशि वसूलने के लिए अब अदालत की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है.

इसे भी पढ़ें- रिनपास में बंद हुई बिहार के मरीजों की भर्ती, बिहार सरकार पर संस्थान का 76 करोड़ है बकाया

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से वर्ष 2018 के अगस्त तक बिहार के मानसिक रोगियों के इलाज के बदले बिहार के ऊपर सवा अरब रुपया बकाया हो गया है. लेकिन राज्य बनने के शुरुआती दिनों में कुछ राशि ही रिनपास को मिली. उसके बाद हर तीन महीने पर बकाए का रिमाइंडर भेजने पर बिहार सरकार रिनपास के बकाए को नजरअंदाज कर रही है. इसको लेकर रिनपास निदेशक डॉ. सुभाष सोरेन ने कहा कि रिनपास प्रबंधन समिति की होने वाली बैठक में बिहार के मानसिक रोगियों के इलाज के बदले बकाए की राशि पाने के लिए अदालत की शरण में जाने का प्रस्ताव लाया जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
क्या है पूरा मामलाः वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड नया राज्य बना तो उस समय बिहार में कोई मानसिक रोग अस्पताल नहीं था. ऐसे में बिहार के मानसिक रोगियों का रिनपास अस्पताल रांची में इलाज जारी रखने और बदले रिनपास को बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग से इलाज खर्च का भुगतान करने की सहमति बनी. इसके बाद वर्ष 2018 के अगस्त महीने तक बिहार के मानसिक रोगियों का भर्ती कर इलाज रिनपास में किया गया. प्रति मरीज 900 रुपये प्रति दिन के हिसाब से इलाज की राशि की मांग हर तीन महीने पर रिनपास प्रबंधन बिहार स्वास्थ्य विभाग के सचिव से करता रहा पर बकाए की राशि नहीं मिली.

इस पर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक चिट्ठी आयी, जिसमें कहा गया कि कोइलवर में 180 बेड का मानसिक रोग अस्पताल खुल गया है. इसलिए रिनपास बिहार के मरीजों का इलाज ना करें ताकि उसका भुगतान बिहार सरकार को वहन ना करना पड़े. इस पत्र के बाद से रिनपास ने बिहार के भर्ती मरीजों का इलाज बंद कर दिया. 2018 में बिहार के जो 50 मानसिक रोगी भर्ती थे उन्हें भी बिहार सरकार अपने यहां नहीं ले गयी. आज भी बिहार के मानसिक रोगियों पर हर दिन करीब 4 लाख 50 हजार रुपया खर्च हो रहा है. दूसरी ओर बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग बकाए का भुगतान नहीं कर रहा है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट ने रिनपास में दवा सप्लाई करने वाली कंपनी पर लगाया 20 हजार का जुर्माना


झारखंड का बिहार सरकार पर बकाया मामले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार कहते हैं कि मरीजों के इलाज के बदले रिनपास को अपनी राशि पाने का हक है. अधिवक्ता राजीव कुमार कहते हैं कि बिहार और झारखंड सरकार में जो टर्म एंड कंडीशन अप्लाई होता है, उसके अनुसार बिहार सरकार को मरीजों के खर्च के बदले रिनपास को राशि का भुगतान करना ही होगा. लेकिन बिना भुगतान के भी रिनपास में उन मरीजों का समुचित इलाज किया जा रहा है.


बिहार सरकार और वहां के स्वास्थ्य विभाग द्वारा रिनपास को बकाए का सवा अरब रुपए की राशि भुगतान में लगातार टालमटोल की नीति अपना रहा है. इसके बावजूद झारखंड सरकार और रिनपास प्रबंधन ने बड़ा दिल दिखाते हुए ओपीडी में बिहार के मानसिक रोगियों का इलाज जारी रखा है. इतना ही नहीं उन्हें दी जाने वाली दो महीने की दवा भी दी जाती है और उसका कोई चार्ज भी बिहार सरकार से नहीं दी जाती है. ऐसे में जरूरी है कि बिहार की सरकार भी बड़ा भाई जैसा दिल दिखाते हए रिनपास को बकाये के भुगतान कर दे ताकि मामला कोर्ट कचहरी के चक्कर में ना पड़े.

रांचीः झारखंड सरकार का RINPAS (Ranchi Institute of Neuro Psychiatry and Allied Sciences) पड़ोसी राज्य बिहार से मानसिक रोगियों के इलाज के बदले अपने बकाए की 01 अरब 27 करोड़ 99 लाख 23 हजार 311 रुपए की राशि वसूलने के लिए अब अदालत की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है.

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झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से वर्ष 2018 के अगस्त तक बिहार के मानसिक रोगियों के इलाज के बदले बिहार के ऊपर सवा अरब रुपया बकाया हो गया है. लेकिन राज्य बनने के शुरुआती दिनों में कुछ राशि ही रिनपास को मिली. उसके बाद हर तीन महीने पर बकाए का रिमाइंडर भेजने पर बिहार सरकार रिनपास के बकाए को नजरअंदाज कर रही है. इसको लेकर रिनपास निदेशक डॉ. सुभाष सोरेन ने कहा कि रिनपास प्रबंधन समिति की होने वाली बैठक में बिहार के मानसिक रोगियों के इलाज के बदले बकाए की राशि पाने के लिए अदालत की शरण में जाने का प्रस्ताव लाया जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
क्या है पूरा मामलाः वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड नया राज्य बना तो उस समय बिहार में कोई मानसिक रोग अस्पताल नहीं था. ऐसे में बिहार के मानसिक रोगियों का रिनपास अस्पताल रांची में इलाज जारी रखने और बदले रिनपास को बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग से इलाज खर्च का भुगतान करने की सहमति बनी. इसके बाद वर्ष 2018 के अगस्त महीने तक बिहार के मानसिक रोगियों का भर्ती कर इलाज रिनपास में किया गया. प्रति मरीज 900 रुपये प्रति दिन के हिसाब से इलाज की राशि की मांग हर तीन महीने पर रिनपास प्रबंधन बिहार स्वास्थ्य विभाग के सचिव से करता रहा पर बकाए की राशि नहीं मिली.

इस पर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक चिट्ठी आयी, जिसमें कहा गया कि कोइलवर में 180 बेड का मानसिक रोग अस्पताल खुल गया है. इसलिए रिनपास बिहार के मरीजों का इलाज ना करें ताकि उसका भुगतान बिहार सरकार को वहन ना करना पड़े. इस पत्र के बाद से रिनपास ने बिहार के भर्ती मरीजों का इलाज बंद कर दिया. 2018 में बिहार के जो 50 मानसिक रोगी भर्ती थे उन्हें भी बिहार सरकार अपने यहां नहीं ले गयी. आज भी बिहार के मानसिक रोगियों पर हर दिन करीब 4 लाख 50 हजार रुपया खर्च हो रहा है. दूसरी ओर बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग बकाए का भुगतान नहीं कर रहा है.

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झारखंड का बिहार सरकार पर बकाया मामले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार कहते हैं कि मरीजों के इलाज के बदले रिनपास को अपनी राशि पाने का हक है. अधिवक्ता राजीव कुमार कहते हैं कि बिहार और झारखंड सरकार में जो टर्म एंड कंडीशन अप्लाई होता है, उसके अनुसार बिहार सरकार को मरीजों के खर्च के बदले रिनपास को राशि का भुगतान करना ही होगा. लेकिन बिना भुगतान के भी रिनपास में उन मरीजों का समुचित इलाज किया जा रहा है.


बिहार सरकार और वहां के स्वास्थ्य विभाग द्वारा रिनपास को बकाए का सवा अरब रुपए की राशि भुगतान में लगातार टालमटोल की नीति अपना रहा है. इसके बावजूद झारखंड सरकार और रिनपास प्रबंधन ने बड़ा दिल दिखाते हुए ओपीडी में बिहार के मानसिक रोगियों का इलाज जारी रखा है. इतना ही नहीं उन्हें दी जाने वाली दो महीने की दवा भी दी जाती है और उसका कोई चार्ज भी बिहार सरकार से नहीं दी जाती है. ऐसे में जरूरी है कि बिहार की सरकार भी बड़ा भाई जैसा दिल दिखाते हए रिनपास को बकाये के भुगतान कर दे ताकि मामला कोर्ट कचहरी के चक्कर में ना पड़े.

Last Updated : Apr 4, 2022, 7:38 PM IST
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