रांचीः प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अनियमितता कोई नई बात नहीं है. सुविधा देने के नाम पर हो या मरीजों को दवाइयों की उपलब्धता को लेकर हो. इस बार रिम्स में भर्ती मरीज के परिजनों को इलाज के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. क्योंकि चिकित्सकों द्वारा लिखी दवाई उन्हें रिम्स के मेडिकल स्टोर में नहीं मिलती. इसलिए उन्हें बाहर के दुकानों से ज्यादा पैसे में दवा खरीदनी पड़ रही है.
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राजधानी रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मरीजों को सुविधा देने के लिए नए निदेशक और रिम्स प्रबंधन की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन रिम्स प्रबंधन का प्रयास मरीजों को पूरा लाभ नहीं पहुंचा पा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां आने वाले गरीब मरीजों को इलाज के लिए दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है. जिस वजह से मरीजों को अपनी जेब से मोटी रकम चुकानी पड़ती है. रिम्स में आने वाले गरीब मरीज ने बताया कि डॉक्टर के द्वारा इलाज करने के बाद जो दवा प्रेसक्राइब की जाती है, वो दवा अस्पताल में मौजूद नहीं मिलती है.
रिम्स के ऑन्कोलॉजी विभाग में धनबाद से आए एक मरीज ने बताया कि पिछले 3 से 4 दिनों में 8 से 10 हजार रुपए तक की दवा उन्हें बाहर से खरीदनी पड़ी है. डॉक्टर तो समय पर इलाज कर देते हैं लेकिन उनके द्वारा जो दवा लिखी जाती है वह हॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं हो पाता. जिस वजह से मरीजों को बाहर के दुकानों से दवा खरीदना मजबूरी हो जाता है. वहीं पश्चिम बंगाल से आए मरीज के परिजन ने बताया कि उसकी पत्नी को गॉल ब्लैडर कैंसर हुआ है. डॉक्टरों ने कीमोथेरेपी और लंबा इलाज करवाने की सलाह दी है. कीमोथेरेपी कराने के लिए जो दवा की आवश्यकता पड़ रही है, वैसी दवाई खरीदने के लिए भी उनको बाहर के दुकानों का सहारा लेना पड़ता है.
वहीं ऑन्कोलॉजी विभाग में ही गुमला के बसिया से आई एक मरीज के परिजन ने बताया कि पिछले कई दिनों में उन्हें बाहर से ही दवा लाना पड़ता है. क्योंकि रिम्स अस्पताल में सभी दवा मौजूद नहीं है. कई मरीजों ने बताया कि उनके पास आयुष्मान कार्ड है लेकिन दवा खरीदने में उसका उपयोग नहीं हो पाता है. मरीजों ने बताया कि अगर हम बाहर से दवाई खरीद लेते हैं और उसकी भरपाई आयुष्मान कार्ड के माध्यम से कराना चाहते हैं तो यह सुविधा रिम्स प्रबंधन की तरफ से उपलब्ध नहीं कराई जाती है.
मरीजों की इस परेशानी को लेकर रिम्स प्रबंधन के दवाई दुकानदार राकेश कुमार से बात गयी की तो उन्होंने बताया कि सभी विभागों में दवा की उपलब्धता को लेकर रिम्स प्रबंधन और स्वास्थ विभाग की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मरीजों को आयुष्मान भारत के तहत दवा खरीदने की अदायगी करना संभव नहीं हो पाता है. इसलिए मरीजों को सारी दवा उपलब्ध हो जाए इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग और रिम्स प्रबंधन जल्द ही ठोस कदम उठाने जा रहा है.
इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रिम्स निदेशक डॉ आरके गुप्ता से भी बात की. उन्होंने बताया कि रिम्स में आयुष्मान कार्ड के लिए काम करने वाले आयुष्मान मित्रों की भी संख्या काफी कम है. इसको लेकर उनकी तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं ताकि आयुष्मान भारत के तहत गरीब एवं लाचार मरीजों को ज्यादा राहत मिल सके. ऑन्कोलॉजी विभाग ही नहीं बल्कि कई विभागों में मरीजों को दवा के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. अब देखने वाली बात होगी कि रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों के लिए सारी दवाओं की उपलब्धता कब तक संभव हो पाती है.
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