रांचीः पूरा देश त्योहार में झूम रहा है. दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो ऐसे त्यौहार में अपनी सेवा से लोगों की जान बचा रहे हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों की. जो लगातार अस्पताल में ड्यूटी देकर मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. ऐसे ही हैं, रिम्स चिकित्सक डॉ राकेश चौधरी. जिन्होंने त्योहार के मौके पर कई मरीजों का सफल ऑपरेशन कर उन्हें कई जिंदगी दी.
रांची के रिम्स अस्पताल के सीटीवीएस (CTVS) डिपार्टमेंट के चिकित्सक डॉ राकेश चौधरी सिपाही की तरह मरीजों की जान बचाने के लिए दिन रात अस्पताल में सेवा दे रहे हैं. उन्होंने पिछले 15 दिनों में 5 मरीजों का ऑपरेशन कर यह साबित कर दिया कि आप लोग भले ही अपने घरों में दीपावली या दुर्गा पूजा मना रहे हैं लेकिन एक चिकित्सक देश का सच्चा सिपाही हमेशा अपना फर्ज निभाता रहेगा.
डॉ राकेश चौधरी बताते हैं कि 8 माह का बच्चा जिसके दिल में सुराख था, जिस वजह से उसके माता-पिता काफी परेशान थे. बच्चे के बेहतर इलाज के लिए गरीब होने के बावजूद भी राज्य के बाहर भी विभिन्न अस्पतालों में इलाज कराने का प्रयास किया. लेकिन निजी अस्पतालों में इलाज के लिए उन्हें मोटी रकम देनी पड़ रही थी. बच्चे की मां ने बताया कि डॉ राकेश चौधरी उनके लिए भगवान हैं. अगर वो बच्चे का ऑपरेशन नहीं करते तो शायद बच्चे की जिंदगी की उम्मीद वह हार चुके थे.
वहीं जमशेदपुर से आए नूरुल होदा बताते हैं कि रिम्स के सीटीवीएस विभाग में तैनात चिकित्सक डॉक्टर राकेश चौधरी सच में धरती के भगवान हैं. उनकी बात करने की शैली और मरीजों के प्रति उनकी दयालु भावना उन्हें अन्य डॉक्टरों से अलग बनाता है. विनय साहू बताते हैं कि जब उन्हें पता चला कि नहीं उन्हें हृदय से जुड़ी बीमारी हो गई है. विनय साहू के दिल के नसों में रुकावट थी तो वह काफी चिंतित हो गए और इलाज के लिए अपनी जमीन बेचने की तैयारी करने लगे. लेकिन आयुष्मान कार्ड की मदद से रिम्स में डॉक्टरों ने उनका इलाज किया और अब उन्हें लगने लगा है कि उन्हें दूसरा जीवनदान मिल गया है.
रिम्स के सीटीवीएस डिपार्टमेंट में भर्ती 55 वर्ष गुणादेव, देवनंदी बताते हैं पिछले 15 दिनों में लगातार वह सभी मरीजों के हृदय से जुड़ी बीमारियों का इलाज करने में जुटे रहे. अब सभी मरीज स्वस्थ हैं. एक डॉक्टर के लिए इससे बड़ी दीपावली का तोहफा कुछ नहीं हो सकता है. अपने मरीजों के चेहरे पर मुस्कान देखने के बाद डॉक्टर राकेश चौधरी बताते हैं कि बीमारी त्यौहार देखकर नहीं आती ऐसे में अगर डॉक्टर्स अपना त्योहार मनाएंगे तो निश्चित रूप से मरीजों को नुकसान होगा. इसीलिए उन्होंने इस दीपावली यह निश्चय लिया था कि वह सभी मरीजों का ऑपरेशन कर उन्हें अपने घर तक भेजेंगे.