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रांची: विश्व तंबाकू दिवस पर RIMS के डॉक्टरों ने की नशा छोड़ने की अपील, कहा- नशा मुक्ति केंद्र निभा रहा अहम योगदान - विश्व तंबाकू दिवस

पूरे विश्व में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन इस साल कोरोना के कहर के कारण किसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है. विश्व तंबाकू दिवस के अवसर पर रिम्स के कई डॉक्टरों ने अपनी राय दी.

Rims doctors appealed to people to quit tobacco on World Tobacco Day in ranchi
विश्व तंबाकू दिवस पर डॉक्टरों की राय
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Published : May 31, 2020, 5:12 PM IST

रांची: पूरे विश्व में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य है कि देश में बढ़ रहे तंबाकू सेवन करने वाले लोगों को जागृत कर उन्हें तंबाकू का सेवन करने से रोका जा सके. विश्व तंबाकू दिवस के अवसर पर हर साल तंबाकू से हो रहे बीमारियों को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए कई संस्थान अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन करवाता है, लेकिन इस बार कोरोना के संकट को देखते हुए और लॉकडाउन का पालन करते हुए किसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है.

जानकारी देते रिम्स के डॉक्टर्स
विश्व तंबाकू दिवस के मौके पर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कार्यरत डेंटल डॉ. अजय कुमार शाही बताते हैं कि जिस प्रकार से बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश में तंबाकू सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, उसी स्तर से खतरनाक बीमारियों की भी समस्या बढ़ती जा रही है, डेंटल डॉक्टर होने के नाते मैंने कई बार देखा है कि कैंसर के ज्यादातर बीमारी गुटखा, खैनी, पान और नशीले पदार्थ सेवन करने से ही होता है. उन्होंने कहा कि बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में गुटका और खैनी सेवन करने वाले लोगों की संख्या अधिक है ऐसे में जरूरत है कि सरकार इन क्षेत्रों में इन सब नशीले पदार्थों पर बैन लगाए. डॉ. अजय कुमार शाही ने कहा कि झारखंड में गुटका और खैनी को पूरी तरह बंद करने के लिए यह भी जरूरी है कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा नशा मुक्ति केंद्र और रिहैबिलिटेशन सेंटर का निर्माण कराया जाए, ताकि इन चीजों से एडिक्टेड लोगों को साइकोलॉजिकल काउंसलिंग कर पूरी तरह से ठीक किया जा सके.



वहीं रिम्स के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के सीनियर डॉक्टर अभिषेक कुमार बताते हैं कि गुटका, खैनी और नशीले पदार्थ से ही ज्यादा कैंसर की बीमारी देखे जाते हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि इस बीमारी को प्राइमरी स्तर पर रोकने के लिए इन नशीले पदार्थों पर पूरी तरह से बैंड लगाया जाए, क्योंकि कई बार इन नशीले पदार्थ से हुए बीमारियों का इलाज कराने के लिए राज्य से बाहर जाने की जरूरत पड़ती है और झारखंड जैसे राज्य में सभी लोग बाहर जाने के लिए सामर्थवान नहीं है, ऐसे में जरूरत है कि राज्य में नशीले पदार्थ की बिक्री और उत्पादन पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए तभी हम विश्व तंबाकू निषेध दिवस को सफल रूप से मनाने का काम कर सकेंगे.


इसे भी पढे़ं:- प्रवासियों के नाम पर राजनीति कर रही राज्य सरकार, दोनों हाथ खोलकर केंद्र सरकार कर रही झारखंड की मदद: दीपक प्रकाश


वहीं, कैंसर विभाग की डॉ रश्मि कुमारी बताती हैं कि ऑंकोलॉजी विभाग में अमूमन 70 से 80% लोग गुटखा, खैनी और बीड़ी जैसे नशीले पदार्थों के उपयोग से ही कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित होते हैं, ऐसे में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लोगों को यह प्रण लेना चाहिए की खैनी गुटखा जैसे चीजों को जल्द से जल्द छोड़ दें तभी हम कैंसर की बिमारी से ग्रसित होने वाले मरीजों की संख्या में कमी ला सकेंगे. वहीं पारा मेडिकल कर्मी रंजन कुमार बताते हैं कि युवाओं को विश्व तंबाकू दिवस के दिन एक प्रण लेना चाहिए, ताकि स्वस्थ रहकर हम एक बेहतर राष्ट्र बना सकें.



झारखंड में कोरोना के संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने बेहतर पहल कर गुटका और पान मसाले पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. झारखंड पूरे देश में तीसरा राज्य बन गया जिसने गुटखा और पान मसाले पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है.

रांची: पूरे विश्व में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य है कि देश में बढ़ रहे तंबाकू सेवन करने वाले लोगों को जागृत कर उन्हें तंबाकू का सेवन करने से रोका जा सके. विश्व तंबाकू दिवस के अवसर पर हर साल तंबाकू से हो रहे बीमारियों को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए कई संस्थान अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन करवाता है, लेकिन इस बार कोरोना के संकट को देखते हुए और लॉकडाउन का पालन करते हुए किसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है.

जानकारी देते रिम्स के डॉक्टर्स
विश्व तंबाकू दिवस के मौके पर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कार्यरत डेंटल डॉ. अजय कुमार शाही बताते हैं कि जिस प्रकार से बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश में तंबाकू सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, उसी स्तर से खतरनाक बीमारियों की भी समस्या बढ़ती जा रही है, डेंटल डॉक्टर होने के नाते मैंने कई बार देखा है कि कैंसर के ज्यादातर बीमारी गुटखा, खैनी, पान और नशीले पदार्थ सेवन करने से ही होता है. उन्होंने कहा कि बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में गुटका और खैनी सेवन करने वाले लोगों की संख्या अधिक है ऐसे में जरूरत है कि सरकार इन क्षेत्रों में इन सब नशीले पदार्थों पर बैन लगाए. डॉ. अजय कुमार शाही ने कहा कि झारखंड में गुटका और खैनी को पूरी तरह बंद करने के लिए यह भी जरूरी है कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा नशा मुक्ति केंद्र और रिहैबिलिटेशन सेंटर का निर्माण कराया जाए, ताकि इन चीजों से एडिक्टेड लोगों को साइकोलॉजिकल काउंसलिंग कर पूरी तरह से ठीक किया जा सके.



वहीं रिम्स के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के सीनियर डॉक्टर अभिषेक कुमार बताते हैं कि गुटका, खैनी और नशीले पदार्थ से ही ज्यादा कैंसर की बीमारी देखे जाते हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि इस बीमारी को प्राइमरी स्तर पर रोकने के लिए इन नशीले पदार्थों पर पूरी तरह से बैंड लगाया जाए, क्योंकि कई बार इन नशीले पदार्थ से हुए बीमारियों का इलाज कराने के लिए राज्य से बाहर जाने की जरूरत पड़ती है और झारखंड जैसे राज्य में सभी लोग बाहर जाने के लिए सामर्थवान नहीं है, ऐसे में जरूरत है कि राज्य में नशीले पदार्थ की बिक्री और उत्पादन पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए तभी हम विश्व तंबाकू निषेध दिवस को सफल रूप से मनाने का काम कर सकेंगे.


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वहीं, कैंसर विभाग की डॉ रश्मि कुमारी बताती हैं कि ऑंकोलॉजी विभाग में अमूमन 70 से 80% लोग गुटखा, खैनी और बीड़ी जैसे नशीले पदार्थों के उपयोग से ही कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित होते हैं, ऐसे में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लोगों को यह प्रण लेना चाहिए की खैनी गुटखा जैसे चीजों को जल्द से जल्द छोड़ दें तभी हम कैंसर की बिमारी से ग्रसित होने वाले मरीजों की संख्या में कमी ला सकेंगे. वहीं पारा मेडिकल कर्मी रंजन कुमार बताते हैं कि युवाओं को विश्व तंबाकू दिवस के दिन एक प्रण लेना चाहिए, ताकि स्वस्थ रहकर हम एक बेहतर राष्ट्र बना सकें.



झारखंड में कोरोना के संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने बेहतर पहल कर गुटका और पान मसाले पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. झारखंड पूरे देश में तीसरा राज्य बन गया जिसने गुटखा और पान मसाले पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है.

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