रांची: पूरे विश्व में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य है कि देश में बढ़ रहे तंबाकू सेवन करने वाले लोगों को जागृत कर उन्हें तंबाकू का सेवन करने से रोका जा सके. विश्व तंबाकू दिवस के अवसर पर हर साल तंबाकू से हो रहे बीमारियों को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए कई संस्थान अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन करवाता है, लेकिन इस बार कोरोना के संकट को देखते हुए और लॉकडाउन का पालन करते हुए किसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है.
वहीं रिम्स के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के सीनियर डॉक्टर अभिषेक कुमार बताते हैं कि गुटका, खैनी और नशीले पदार्थ से ही ज्यादा कैंसर की बीमारी देखे जाते हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि इस बीमारी को प्राइमरी स्तर पर रोकने के लिए इन नशीले पदार्थों पर पूरी तरह से बैंड लगाया जाए, क्योंकि कई बार इन नशीले पदार्थ से हुए बीमारियों का इलाज कराने के लिए राज्य से बाहर जाने की जरूरत पड़ती है और झारखंड जैसे राज्य में सभी लोग बाहर जाने के लिए सामर्थवान नहीं है, ऐसे में जरूरत है कि राज्य में नशीले पदार्थ की बिक्री और उत्पादन पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए तभी हम विश्व तंबाकू निषेध दिवस को सफल रूप से मनाने का काम कर सकेंगे.
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वहीं, कैंसर विभाग की डॉ रश्मि कुमारी बताती हैं कि ऑंकोलॉजी विभाग में अमूमन 70 से 80% लोग गुटखा, खैनी और बीड़ी जैसे नशीले पदार्थों के उपयोग से ही कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित होते हैं, ऐसे में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लोगों को यह प्रण लेना चाहिए की खैनी गुटखा जैसे चीजों को जल्द से जल्द छोड़ दें तभी हम कैंसर की बिमारी से ग्रसित होने वाले मरीजों की संख्या में कमी ला सकेंगे. वहीं पारा मेडिकल कर्मी रंजन कुमार बताते हैं कि युवाओं को विश्व तंबाकू दिवस के दिन एक प्रण लेना चाहिए, ताकि स्वस्थ रहकर हम एक बेहतर राष्ट्र बना सकें.
झारखंड में कोरोना के संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने बेहतर पहल कर गुटका और पान मसाले पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. झारखंड पूरे देश में तीसरा राज्य बन गया जिसने गुटखा और पान मसाले पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है.