रांचीः जिले के बेंगाबाद थाना अंतर्गत चरधरा गांव के 5 वर्षीय बच्चे को कुएं में फेंक कर हत्या करने के आरोप में निचली अदालत से दोषी करार दी गईं गुड़िया देवी को झारखंड हाईकोर्ट ने राहत दी है. अदालत ने गुड़िया देवी की अपील याचिका की सुनवाई के बाद उन्हें दफा 302 का दोषी न मानते हुए दफा 307 का दोषी करार देते हुए उनकी सजा को 7 साल की सजा में बदल दी है. वह पिछले 12 वर्ष से जेल में बंद है, इसलिए अब रिलीज हो जाएंगी.
बच्चे के दोबारा कुएं में गिरने से मौत के तर्क को स्वीकारा
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा पाईं गुड़िया देवी की आपराधिक अपील याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने गवाहों की गवाही को नजर-अंदाज कर आजीवन कारावास की सजा दी है. उन्होंने बताया कि गवाहों ने जो गवाही दी है उसमें बताया है कि कुएं में फेंकने के बाद बच्चे को जब निकाला जा रहा था तो वह जिंदा था, लेकिन निकालने के क्रम में फिर से बच्चा कुएं में गिर गया, जिससे उसकी मृत्यु हुई. इसलिए गुड़िया देवी को हत्या का दोषी न करार दिया जाए. अदालत ने उनके पक्ष को सुनने के बाद उसकी आजीवन कारावास की सजा को 7 वर्ष की सजा में बदल दी.
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यह था मामला
गिरिडीह जिले के बेंगाबाद थाना के जरधरा गांव के गुड़िया देवी अपने मायके में रहती थी, उसी दौरान उसका भाभी से झगड़ा हो गया. आरोप है कि इसके कारण आरोपी ने सो रहे अपने 5 वर्ष के भतीजे को उठाकर कुएं में फेंक दिया था. बाद में उसे कुएं से निकाला गया पर वह मृत मिला. इसी मामले में गिरिडीह की निचली अदालत ने उसे हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास का सजा दी थी. निचली अदालत से मिली सजा के विरोध में आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील याचिका दायर की थी. इसी अपील याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने उन्हें राहत देते हुए 7 वर्ष की कारावास की सजा में बदल दी है. दोषी 12 वर्ष से जेल में बंद है, इसलिए अब रिहा हो जाएगी.