रांची- समाज में गरीबी को अभिशाप के रूप में देखा जाता है. लेकिन इंसान को सबसे ज्यादा तकलीफ उस वक्त होती है जब वह किसी न किसी वजह से लाचार हो जाता है. मसलन, दिव्यांग होने पर, वृद्ध होने पर, विधवा होने पर या फिर परित्यक्ता होने पर जब अपनों का साथ नहीं मिलता तो जिंदगी पहाड़ लगने लगती है. ऐसे जरूरतमंदों के लिए सरकार की योजनाएं चलती आ रही हैं लेकिन उस अनुपात में लाभ नहीं मिल पाता, जितना मिलना चाहिए. भारी भरकम नियम, लाभुकों को थका देते हैं. इन तकलीफों को अगर किसी ने महसूस किया तो वह है झारखंड की हेमंत सरकार ने.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद पहल करते हुए ऐसे जरूरतमंदों के लिए सर्वजन पेंशन योजना शुरू. झारखंड देश का पहला राज्य है जिसने अपने बूते 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को प्रति माह 1 हजार रू पेंशन देने की स्कीम शुरू की . इसके अलावा आदिम जनजाति, निराश्रित महिला सम्मान, एचआईवी/एड्स पीड़ित और स्वामी विवेकानंद निःशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना के तहत पेंशन देने का अभियान शुरू किया. सरकार की पहल पर बड़े-बड़े अफसरों को गांवों में कैंप लगाना पड़ा. इस अभियान से जुड़ा तीन साल का अगर डाटा देखेंगे तो आपको बेहद खुशी मिलेगी. लाभुकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है.
मुख्यमंत्री राज्य वृद्धावस्था पेंशन का स्टेटस: दरअसल, 31 दिसंबर 2019 तक झारखंड में मुख्यमंत्री राज्य वृद्धावस्था पेंशन योजना के लाभुकों की संख्या 3,45,168 थी. लेकिन सर्वजन पेंशन योजना शुरू होने की तारीख यानी 18 नवंबर 2021 को लाभुकों की संख्या करीब-करीब दोगुनी यानी 6,27,907 हो गई. इसके बाद 8 जून 2022 को विशेष अभियान शुरू करने तक लाभुकों की संख्या 9,27,747 पर पहुंच गई. इसके बाद सरकार ने आपकी योजना-आपका सरकार-आपके द्वार कार्यक्रम को 12 अक्टूबर 2022 को शुरू किया. इस तारीख तक लाभुकों की संख्या 12,61,396 हो गई. साल 2022 के समाप्त होने तक यह संख्या 13,51,440 पर पहुंच गई है. सीधे शब्दों में कहें तो हेमंत सरकार जब बनी तब महज 3,45,168 लोगों को वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ मिलता था. लेकिन तीन वर्षों में सरकार की पहल से लाभुकों की संख्या में करीब 400 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई. आज की तारीख में झारखंड के साढ़े तेरह लाख वृद्धों को प्रतिमाह एक हजार रू. बतौर पेंशन मिल रहा है.
निशक्त स्वावलंबन योजना का जबरदस्त रिस्पांस: पिछले कुछ वर्षों से दिव्यांगों के लिए सरकारी तौर पर कई पहल देखने को मिले हैं. केंद्र सरकार ने रेलवे स्टेशनों पर व्हील चेयर सुविधा मुहैया कराई है. लेकिन पेंशन के लिए इतने कड़े शर्त इस वर्ग को और लाचार बना रहे थे. इससे इतर हेमंत सरकार ने चिन्हितीकरण के नियमों को सरल बनाकर लाभ देना शुरू किया. 31 दिसंबर 2019 को झारखंड में स्वामी विवेकानंद नि:शक्त स्वावलंबन योजना का लाभ लेने वालों की संख्या 87,796 थी जो तीन वर्षों में बढ़कर 2.43.513 हो गई है. यही नहीं बड़ी संख्या में व्हील चेयर भी मुहैया कराया गया.
मुख्यमंत्री राज्य निराश्रित महिला सम्मान पेंशन योजना:आज के दौर में भी महिलाओं की एक बड़ी आबादी पुरुषों पर आश्रित है. उनकी जिंदगी तब मुश्किल में पड़ जाती है जब वह विधवा हो जाती है या पति छोड़ देता है. ऐसी महिलाओं के लिए भी पेंशन योजना है. लेकिन दिसंबर 2019 तक लाभुकों की संख्या महज 1,72,196 थी. हेमंत सरकार ने नियम को लचीला बनाया. उसका नतीजा है कि तीन वर्षों में इस कैटेगरी में लाभ लेने वाली महिलाओं की संख्या 3,78,957 हो गई है.
मुख्यमंत्री राज्य आदिम जनजाति पेंशन योजना का स्टेटस: झारखंड में आदिम जनजातियों की स्थिति डांवाडोल है. उनकी संख्या घट रही है. उन्हें सपोर्ट देने के लिए सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं. यहां तक कि उनके घर तक सरकार अनाज पहुंचाने के लिए डाकिया योजना चल रही है. लेकिन अनाज के अलावा अन्य जरूरतों के लिए पैसे चाहिए. 31 दिसंबर 2019 तक इस योजना के लाभुकों की संख्या 52,336 थी जो तीन वर्षों में बढ़कर 69,536 हो गई. यही नहीं मुख्यमंत्री राज्य एचआईवी/एड्स पीड़ित व्यक्ति सहायतार्थ पेंशन योजना के लाभुकों की संख्या 3,375 से बढ़कर 5,502 हो गई है.
इन पांच प्रमुख योजनाओं के लाभुकों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा बता रहा है कि कितनी बड़ी आबादी मुश्किलों में थी. देश में यह पहली सरकार है जिसमें सामाजिक सुरक्षा पर फोकस किया. झारखंड चंद उन राज्यों में शुमार हो गया है, जहां ओल्ड पेंशन स्कीम लागू हो चुका है.