रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार भले ही कम हुई हो, लेकिन प्रवासियों के आगमन से ग्रामीण इलाकों में संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ गया है. इस खतरे को कम करने के लिए सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने सभी 14 सीएचसी में 10 ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बेड का कोविड वार्ड शुरू करने की घोषणा की थी. सीएचसी में बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, कोरोना किट और अन्य जरूरत की चीजें सीएचसी में उपलब्ध है या नहीं इसका ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया, जिसमें स्वास्थ्य विभाग का दावा खोखला साबित हुआ.
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रातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का रियलिटी चेक
रातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में कहीं कोई कोरोना वार्ड नहीं दिखा और न ही कहीं एक भी ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड था. इमरजेंसी के पास दो बेड और एक ऑक्सीजन सिलेंडर था. वहीं बाहर खुले में चार सिलेंडर पड़ा हुआ था. रातू CHC के सुरक्षाकर्मी प्रमोद महतो और फार्मासिस्ट सुनीता मौके पर मौजूद थीं, जिनसे ईटीवी भारत के संवाददाता ने बातचीत की. इस दौरान दोनों ने कहा कि अभी कोई कोरोना वार्ड नहीं खुला है.
कांके सीएचसी रियलिटी चेक में फेल
रियलिटी चेक में रातू CHC के फेल होने के बाद ईटीवी भारत की टीम कांके CHC पहुंची, जहां महिला डॉक्टर पल्लवी शर्मा ओपीडी में थी, लेकिन वहां भी न कोई ऑक्सीजन युक्त बेड दिखा और न ही कोई अलग से कोरोना वार्ड. ईटीवी भारत की टीम ने जब उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यहां आइसोलेशन सेंटर बनाने की बात हो रही थी, लेकिन कोविड वार्ड की कोई जानकारी नहीं थी.
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स्वास्थ्य विभाग की तैयारी के दावों की खुली पोल
रांची मुख्यालय के सबसे पास वाले दो सीएचसी में ही 10-10 बेड वाले ऑक्सीजन सपोर्टेड वार्ड की सिविल सर्जन की घोषणा फेल साबित हुई. ऐसे में समझा जा सकता है कि ग्रामीण इलाके में फैलने वाले संक्रमण के खतरे से निपटने की कैसी तैयारी स्वास्थ्य विभाग की है.
सीएम हेमंत ने ग्रामीण इलाकों में तैयारी के दिये थे निर्देश
14 मई को 18+ वाले युवाओं के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने यह संभावना जताई थी कि गांव में भी संक्रमण फैल सकता है, इसलिए सभी जरूरी तैयारी की जाए.