रांची: आज रांची विश्वविद्यालय 63 साल का हो गया है. आज ही के दिन यानी 12 जुलाई 1960 को तत्कालीन बिहार सरकार के अधीन एक्स्ट्राऑर्डिनरी गजट के तहत रांची विश्वविद्यालय की स्थापना (Establishment of Ranchi University) हुई थी. इन 63 सालों में विश्विद्यालय के समक्ष कई उतार चढ़ाव आए, वहीं इस दौरान यूनिवर्सिटी ने कई उपलब्धियां भी हासिल की. अब यह विश्वविद्यालय शैक्षणिक क्षेत्र के साथ-साथ खेलकूद के क्षेत्र में भी विश्व पटल पर है.
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पहले कैसा था रांची यूनिवर्सिटी: शुरुआती दौर में इस विश्वविद्यालय के पास मात्र 10 पीजी विभाग, 20 एफिलिएटिड कॉलेज और एक कॉन्स्टिट्यूशन कॉलेज था. वहीं, आज की तारीख में इस विश्वविद्यालय के पास 67 एफिलिएटिड कॉलेज हैं. जिसमें 19 डिग्री कॉलेज, 19 कॉन्स्टिट्यूशन कॉलेज, 29 बीएड कॉलेज, 19 नर्सिंग कॉलेज भी इस विश्वविद्यालय के अधीन संचालित हो रही हैं. कुल 30 पीजी विभाग संचालित हो रहे हैं. 26 सब्जेक्ट के वोकेशनल कोर्स चल रहे हैं. एक मैनेजमेंट संस्थान है. फिल्म मेकिंग एंड जर्नलिज्म डिपार्टमेंट के साथ-साथ लॉ इंस्टिट्यूट भी संचालित हो रहे हैं. योग के लिए अलग से डिपार्टमेंट है. राज्य के क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को लेकर एक छत के नीचे एक बेहतरीन 9 भाषाओं के जनजातीय भाषा विभाग भी संचालित हो रहे हैं.
निरंतर हासिल की उपलब्धि: एक-एक सोपान पर चढ़ता हुआ रांची विश्वविद्यालय (Ranchi University) निरंतर कई उपलब्धियां हासिल कर रहा है. इसी कड़ी में यह विश्वविद्यालय 12 जुलाई को अपना स्थापना दिवस (Ranchi University Foundation Day) मना रहा है. राज्य का यह पहला विश्वविद्यालय है जिसके पास अपना कम्युनिटी रेडियो है. 90.4 एफएम रेडियो खांची संचालित हो रही है. कोरोना काल के दौरान यह रेडियो स्टेशन इस विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. आज इस विश्वविद्यालय के पास वह हर सुविधा उपलब्ध है जो एक शिक्षण संस्थान के पास होना चाहिए.
शहीद चौक स्थित कैंपस से हुई शुरुआत: विश्वविद्यालय ने शहीद चौक स्थित कैंपस से अपनी शुरुआत की और आज मोराबादी कैंपस में कई अत्याधुनिक भवन बनकर तैयार है. जिसमें बहुउद्देशीय भवन और परीक्षा भवन भी शामिल हैं. तमाम विभागों का अपना-अपना भवन है. शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी खेल के क्षेत्र में भी आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपना नाम कमा रहे हैं. टोक्यो ओलंपिक में खेलने वाली निक्की प्रधान, सलीमा टेटे जैसे अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी इसी विश्वविद्यालय की छात्रा है. तीरंदाजी में मधुमिता कुमारी जैसे खिलाड़ी का नाम शामिल है. वहीं एथलीट और वॉलीबॉल में भी यहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपना लोहा मनवा चुके हैं. यहां पर पढ़ाई कर ऐसे कई विद्यार्थी है जो आज विदेशों में काम कर रहे हैं. वहीं मीडिया जगत में भी यहां के विद्यार्थी बेहतर स्थिति में है. इस विश्वविद्यालय में वर्तमान में 1 लाख 36 हजार विद्यार्थी नामांकित हैं.
44 कुलपति ने अब तक दिया योगदान: विश्वविद्यालय के कुलपति अजीत कुमार सिन्हा की मानें तो विश्वविद्यालय निरंतर सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. वहीं प्रति कुलपति ने कहा कि उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की है. वह वर्तमान में इस विश्वविद्यालय में कई प्रशासनिक पदों पर भी हैं. लगातार विश्वविद्यालय कई उपलब्धियां हासिल कर रही है. वहीं विश्वविद्यालय के पीआरओ स्मृति सिंह और डीएसडब्ल्यू ने भी अपने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के संबंध में जानकारी दी है. इनकी मानें तो विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को लेकर हर वह कदम उठाए जाते रहे हैं. जिसकी विद्यार्थियों को जरूरत है. इन 63 सालों में कुल 44 कुलपतियों ने अपना योगदान इस विश्वविद्यालय को दिया है. सभी कुलपति ने तन्मयता के साथ विश्वविद्यालय के विकास को लेकर काम किया, जिसका फल आज विद्यार्थियों को मिल रहा है.