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रांची ट्रैफिक पुलिस तनाव में ड्यूटी करने को मजबूर, 1450 की जगह सिर्फ 375 पुलिस संभाल रहे हैं काम

रांची ट्रैफिक पुलिस तनाव में काम करने को मजबूर हैं. इसकी वजह है कि 1450 पुलिसकर्मियों की जगह सिर्फ 375 पुलिसकर्मी ड्यूटी पर तैनात हैं. इससे उन्हें साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिल रहा है.

Ranchi traffic police
रांची ट्रैफिक पुलिस तनाव में ड्यूटी करने को मजबूर
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Published : Mar 12, 2022, 6:11 PM IST

रांचीः रांची में ट्रैफिक व्यवस्था दिन प्रतिदिन ध्वस्त हो रही है. इसकी वजह है कि जरूरत के अनुरूप ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती नहीं की गई है. स्थिति यह है कि रांची में 1450 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की जरूरत हैं, जिसमें सिर्फ 375 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं. ट्रैफिक पुलिसकर्मी विषम परिस्थितियों के साथ साथ सीमित संसाधनों में काम करने को मजबूर हैं. इससे ट्रैफिक जवानों में तनाव से जूझ रहे हैं और कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.

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राजधानी में यातायात व्यवस्था सुदृढ़ रहे. इसको लेकर 375 ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं, जो ओवर ड्यूटी कर रहे हैं. हकीकत में इनकी संख्या 1450 होनी चाहिए. ट्रैफिक पुलिस की संख्या कम होने की वजह से ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ तक नहीं मिल पाता है. लगातार ड्यूटी करने की वजह से उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की कागज पर ड्यूटी 8 घंटे के ही होती है. लेकिन शायद ही कोई ऐसा दिन हो जिस दिन उन्हें 10 से 12 घंटे काम ना करना पड़ता हो.

देखें पूरी रिपोर्ट
ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रभारी ट्रैफिक एसपी सौरभ से मुलाकात की है. ट्रैफिक पुलिस ने साप्ताहित अवकाश की मांग की है. प्रभारी ट्रैफिक एसपी ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस की समस्याओं का निदान करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि नगर निगम 45 चौक चौराहों पर ट्रैफिक पोस्ट का निर्माण करवाए ताकि ड्यूटी के समय जवान पोस्ट पर थोड़ी आराम कर सकें. इसके साथ ही वीकली ऑफ देने को लेकर प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि धूप से बचाव को लेकर जवानों को गॉगल्स भी दिए जा रहे हैं.

राजधानी के लोगों को सुरक्षा देने वाली पुलिस खुद बीमार है. खासकर, ट्रैफिक पुलिस के अधिकतर जवानों को फेफड़े में संक्रमण, हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी है. पुलिसकर्मियों के बीमार होने का मामला स्वास्थ्य जांच में सामने आया था. जवानों का स्वास्थ्य जांच जनवरी माह में करवाया गया था, जिसमें पल्मनरी फंक्शन (पीएफटी) और हेल्थ प्रोफाइल की जांच की गयी थी. इन दौरान 330 जवानों के स्वास्थ्य की जांच हुई थी. डॉक्टरों के अनुसार पुलिस के जवान दिन भर धूल-कण सांस के जरिए ग्रहण करते हैं, जिससे वे बीमारी का शिकार हो रहे हैं.

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पिछले 21 वर्षों में सड़कें चौड़ी नहीं हुई और ना हीं सड़कों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन रोजाना सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है. औसतन हर साल राजधानी में एक लाख से ज्यादा गाड़ियां बढ़ रही हैं. इससे ट्रैफिक पर दबाव लगातार बढ़ रहा है. इसके बावजूद बुनियादी सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं. स्थिति यह है कि शहर के लोग रोजाना जाम की समस्या से जूझ रहे हैं. आठ से दस किलोमीटर की दूरी तय करने में 15 से 20 मिनट सिर्फ जाम से निपटने में लग जाता है. इससे आमलोग मानसिक रूप से परेशान होते हैं. इसके साथ ही राजधानी की ट्रैफिक लाइट भी महीनों से खराब है, जिसे दुरुस्त नहीं किया जा रहा है.

रांची में ट्रैफिक एसपी का पद बीते सात माह से रिक्त है. प्रभारी एसपी के भरोसे यातायात व्यवस्था का काम चल रहा है. एसपी अंजनी कुमार अंजन के तबादले के बाद किसी की ट्रैफिक एसपी के पद पर पोस्टिंग नहीं हुई. वर्तमान में अस्थायी व्यवस्था के तहत ट्रैफिक एसपी का पदभार रांची के सिटी एसपी सौरभ संभाल रहे हैं. नियमित ट्रैफिक एसपी के नहीं होने की वजह से पूर्व से लागू कई व्यवस्थाएं बाधित हुई हैं.

रांचीः रांची में ट्रैफिक व्यवस्था दिन प्रतिदिन ध्वस्त हो रही है. इसकी वजह है कि जरूरत के अनुरूप ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती नहीं की गई है. स्थिति यह है कि रांची में 1450 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की जरूरत हैं, जिसमें सिर्फ 375 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं. ट्रैफिक पुलिसकर्मी विषम परिस्थितियों के साथ साथ सीमित संसाधनों में काम करने को मजबूर हैं. इससे ट्रैफिक जवानों में तनाव से जूझ रहे हैं और कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.

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राजधानी में यातायात व्यवस्था सुदृढ़ रहे. इसको लेकर 375 ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं, जो ओवर ड्यूटी कर रहे हैं. हकीकत में इनकी संख्या 1450 होनी चाहिए. ट्रैफिक पुलिस की संख्या कम होने की वजह से ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ तक नहीं मिल पाता है. लगातार ड्यूटी करने की वजह से उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की कागज पर ड्यूटी 8 घंटे के ही होती है. लेकिन शायद ही कोई ऐसा दिन हो जिस दिन उन्हें 10 से 12 घंटे काम ना करना पड़ता हो.

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ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रभारी ट्रैफिक एसपी सौरभ से मुलाकात की है. ट्रैफिक पुलिस ने साप्ताहित अवकाश की मांग की है. प्रभारी ट्रैफिक एसपी ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस की समस्याओं का निदान करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि नगर निगम 45 चौक चौराहों पर ट्रैफिक पोस्ट का निर्माण करवाए ताकि ड्यूटी के समय जवान पोस्ट पर थोड़ी आराम कर सकें. इसके साथ ही वीकली ऑफ देने को लेकर प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि धूप से बचाव को लेकर जवानों को गॉगल्स भी दिए जा रहे हैं.

राजधानी के लोगों को सुरक्षा देने वाली पुलिस खुद बीमार है. खासकर, ट्रैफिक पुलिस के अधिकतर जवानों को फेफड़े में संक्रमण, हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी है. पुलिसकर्मियों के बीमार होने का मामला स्वास्थ्य जांच में सामने आया था. जवानों का स्वास्थ्य जांच जनवरी माह में करवाया गया था, जिसमें पल्मनरी फंक्शन (पीएफटी) और हेल्थ प्रोफाइल की जांच की गयी थी. इन दौरान 330 जवानों के स्वास्थ्य की जांच हुई थी. डॉक्टरों के अनुसार पुलिस के जवान दिन भर धूल-कण सांस के जरिए ग्रहण करते हैं, जिससे वे बीमारी का शिकार हो रहे हैं.

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पिछले 21 वर्षों में सड़कें चौड़ी नहीं हुई और ना हीं सड़कों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन रोजाना सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है. औसतन हर साल राजधानी में एक लाख से ज्यादा गाड़ियां बढ़ रही हैं. इससे ट्रैफिक पर दबाव लगातार बढ़ रहा है. इसके बावजूद बुनियादी सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं. स्थिति यह है कि शहर के लोग रोजाना जाम की समस्या से जूझ रहे हैं. आठ से दस किलोमीटर की दूरी तय करने में 15 से 20 मिनट सिर्फ जाम से निपटने में लग जाता है. इससे आमलोग मानसिक रूप से परेशान होते हैं. इसके साथ ही राजधानी की ट्रैफिक लाइट भी महीनों से खराब है, जिसे दुरुस्त नहीं किया जा रहा है.

रांची में ट्रैफिक एसपी का पद बीते सात माह से रिक्त है. प्रभारी एसपी के भरोसे यातायात व्यवस्था का काम चल रहा है. एसपी अंजनी कुमार अंजन के तबादले के बाद किसी की ट्रैफिक एसपी के पद पर पोस्टिंग नहीं हुई. वर्तमान में अस्थायी व्यवस्था के तहत ट्रैफिक एसपी का पदभार रांची के सिटी एसपी सौरभ संभाल रहे हैं. नियमित ट्रैफिक एसपी के नहीं होने की वजह से पूर्व से लागू कई व्यवस्थाएं बाधित हुई हैं.

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