रांची: सड़क हादसे को रोकने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं और इसको लेकर समय-समय पर आला अधिकारियों के द्वारा पदाधिकारियों को कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं. लेकिन यह दिशा निर्देश कागजों पर ही दिख रहे हैं(Ranchi roads have not become accident free zone). धरातल पर उतरने में इस दिशा निर्देश को काफी समय लग जाता है.
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राजधानी रांची की बात करें तो नगर निगम और जिला प्रशासन के द्वारा यह तय किया गया था कि राजधानी रांची में सड़क पर चलने वाले लोगों को सुरक्षित रखने के लिए जगह जगह पर बैरिकेडिंग लगाए जाएंगे और तीव्र मोड़ पर कॉन्वैक्स ग्लास लगाए जाएंगे ताकि सड़क हादसे को कम किया जा सके. सड़क हादसे को कम करने के लिए राजधानी रांची में किए गए कार्यों का ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब जायजा लिया तो देखा कि कई महत्वपूर्ण चौक चौराहों पर बैरिकेडिंग तो लगा दिए गए हैं लेकिन अन्य सुविधाएं अभी भी मुहैया नहीं कराई गई हैं, जिस वजह से आए दिन उन स्थानों पर घटनाएं होती रहती हैं.
सड़क हादसे के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2021-22 में करीब 1100 लोग सड़क हादसे के शिकार हुए. जिसमें 800 लोगों की सड़क हादसे में मौत हो गई वही करीब 200 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. जिला परिवहन कार्यालय व सड़क सुरक्षा समिति से मिले आंकड़े के अनुसार वर्ष 2021 में कुल 644 लोग सड़क हादसे के शिकार हुए जिसमें 448 लोगों की मौत हो गई. वर्ष 2022 के आंकड़े को देखें तो जनवरी से लेकर जुलाई माह तक करीब 400 लोग सड़क हादसे के शिकार हुए जिसमें ढाई सौ लोगों की मौत हो गई.
सड़क हादसे में हो रही मौतों को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश बताते हैं कि नगर निगम और सड़क सुरक्षा समिति की तरफ से राजधानी के विभिन्न चौक चौराहों पर डायवर्सन के लिए बोलार्ड्स लगाए गए हैं. वहीं जहां तीव्र मोड़ या तीखे मोड़ हैं वहां पर कॉन्वेक्स मिरर लगाने की भी तैयारियां शुरू कर दी गई है. जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश ने बताया कि तीव्र मोड़ों पर कॉन्वेक्स ग्लास लगाने की जहां तक बात है उसके लिए भी काम किए जा रहे हैं. सड़क पर सफर करने वाले लोगों को सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है और राजधानी के विभिन्न चौक चौराहों पर कॉन्वेक्स ग्लास लगाने की भी प्रक्रिया की जा रही है. वहीं उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा समिति और जिला परिवहन कार्यालय के तरफ से समय-समय पर चेकिंग अभियान भी चलाया जाता है ताकि लोग सड़क पर चलने से पहले सुरक्षा के नियमों का ख्याल रखें.
उन्होंने बताया कि आए दिन यह भी देखने को मिलने लगा है कि लोग सिर्फ फाइन से बचने के लिए सिर पर वैसे हेलमेट का प्रयोग करते हैं, जो सुरक्षा के मानकों के हिसाब से अधिकृत नहीं है. सड़क हादसे में ये हेलमेट लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसको लेकर आने वाले समय में अभियान चलाया जाएगा, वैसे हेलमेट को ही पहनने की अनुमति दी जाएगी जो आईएसआई मार्का से अधिकृत हो.
वहीं हमने जब नगर निगम के उप महापौर संजीव विजयवर्गीय से बात की तो उन्होंने कहा कि सड़क हादसे और राजधानी को स्मूथ ट्रैफिक देने के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं. जैसे विभिन्न चौक चौराहे का चौड़ीकरण करने का काम किया जा रहा है, वहीं जिस चौक पर अतिक्रमण किए गए हैं वहां पर इंफोर्समेंट की टीम और नगर निगम के लोग अतिक्रमण को हटाने में जुटे हैं ताकि सड़क के चौड़ीकरण में कोई बाधा ना हो. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सड़क सुरक्षा समिति और नगर निगम के लोग एक बार फिर से बैठक करेंगे और बैठक में जहां भी जो कमियां आ रही हैं, उसे जल्द से जल्द पूरा कर राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने का कार्य किया जाएगा.
रोड सेफ्टी पर काम कर रही राइज अप नाम की संस्था के संचालक ऋषभ आनंद बताते हैं कि राजधानी रांची में हुए सड़क हादसे के आंकड़े को देखें तो निश्चित ही विचलित करने वाली है. ऐसे में जरूरी है रांची जिला प्रशासन और नगर निगम जल्द से जल्द लोगों को सड़क पर सुरक्षित रखने के लिए सारी व्यवस्थाओं को मुहैया कराए ताकि लोग अपने घर सुरक्षित पहुंच सके. उन्होंने बताया कि राजधानी रांची में विभिन्न जगहों पर ट्रैफिक पुलिस को वैसे लोगों पर नकेल कसने की जरूरत है जो ड्रिंक ड्राइव और रोड रेज को बढ़ावा देते हैं. ऐसे लोगों पर रोक लगाने के लिए समय-समय पर ट्रैफिक पुलिस को ब्रेथ एनालाइजर के माध्यम से उनका अल्कोहल मीटर चेक करने की जरूरत है. वहीं उन्होंने बताया कि हेलमेट की क्वालिटी के अलावा राजधानी के विभिन्न चौक चौराहों पर कॉन्वैक्स मिरर को भी जल्द से जल्द लगाएं ताकि लोग इसका उपयोग कर सड़क पर खुद को सुरक्षित रख सके.
गौरतलब है कि जिला प्रशासन और नगर निगम के पदाधिकारियों ने कहा था कि राजधानी रांची में जल्द से जल्द सड़क सुरक्षा को लेकर सारे कार्य पूरे कर दिए जाएंगे, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों को सड़क हादसे से बचाने के लिए अभी और भी काम करने की जरूरत है. अब देखने वाली बात होगी कि नगर निगम और जिला प्रशासन के द्वारा किए गए वादे और दावे कब तक सड़क पर देखने को मिलते हैं.