रांची: राज्य में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब ढलान पर है. लेकिन ग्लोबल पेंडेमिक बन चुके कोविड-19 (Covid-19) का खतरा अभी कम नहीं हुआ है. संभावित तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों की राय को ध्यान में रखकर सरकार अपनी तरफ से सभी व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रखना चाहती है, ताकि संभावित तीसरी लहर आयी भी तो मरीजों का हाल दूसरी वेव जैसी न हो.
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क्या कुछ किये गए बदलाव
अब रिम्स के ट्रॉमा सेंटर, इमरजेंसी और आईसीयू के साथ-साथ मेडिसिन सर्जरी, ऑर्थो, डेंगू वार्ड समेत कई वार्ड के हर बेड तक ऑक्सीजन पाइप पहुंचा दिया गया है. वहीं, मल्टी स्टोरी पार्किंग (Multi Storey Parking) अभी भी पूर्व की भांति अस्थाई कोविड-19 अस्पताल में तब्दील है. बड़ी संख्या में रिम्स की नर्सों, पारा मेडिकल स्टाफ जूनियर डॉक्टर को वेंटीलेटर, हाई फ्लो मशीन मैनेजमेंट की जानकारी दी जा रही है. 2000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले पीएसए मशीन भी बनकर तैयार है. तीसरी लहर में बच्चों के होने की संभावना को देखते हुए रिम्स के SNCU और PICU को संसाधनों से लैस किया जा रहा है. दोनों जगहों पर पहले से ही वेंटिलेटर और हाई फ्लो मशीन (High Flow Machine) लगाया जा रहा है.
क्या कहते हैं रिम्स कोरोना टास्क फोर्स के डॉक्टर
रिम्स कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य और ट्रॉमा सेंटर के डॉ. अजीत डुंगडुंग कहते हैं कि रिम्स ने संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी पूरी कर ली है. इस बार हालात दूसरी वेव जैसे नहीं होने दिए जाएंगे, क्योंकि दूसरी लहर से सबक सीखकर रिम्स ने खुद को इतना तैयार कर लिया है कि डॉक्टर से लेकर दवा तक और 1000 बेड वाले कोरोना अस्पताल में तब्दील होने में हमें अब चंद घंटे ही लगेगा.
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250 ऑक्सीजन युक्त बेड की थी व्यवस्था
कोरोना की पहली और दूसरी वेव के बीच करीब 11-12 महीने के गैप के बावजूद शायद रिम्स और सरकार दूसरे वेव की आक्रमकता का अनुमान नहीं लगा सकी थी. शायद यही वजह थी कि इस दौरान रिम्स में संसाधन नहीं बढ़ा सके, जितना अब बढ़े हैं.