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Ranchi News: अच्छी बारिश के बावजूद किसानों को धान की खेती नहीं करने की सलाह, कृषि पदाधिकारी ने कहा- परती छोड़ दें खेत - farmers were advised not to cultivate

लगातार दो साल से झारखंड मानसून की मार झेल रहा है. इस वर्ष अगस्त में राज्य के अधिकांश जिलों में अच्छी बारिश हो रही है. इसके बावजूद कृषि पदाधिकारी ने धान की खेती नहीं करने की किसानों को सलाह दी.

Ranchi News
अच्छी बारिश के बावजूद किसानों को धान की खेती नहीं करने की सलाह दी है.
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 16, 2023, 5:47 PM IST

किसानों से अपील करते कृषि पदाधिकारी रामशंकर सिंह

रांची: राज्य में इन दिनों हो रही अच्छी वर्षा को लेकर रांची के कृषि पदाधिकारी ने इसकी तुलना 'का वर्षा जब कृषि सूखने' वाले मुहावरे से की है. उन्होंने रांची और राज्य के वैसे अन्नदाता किसान जो अभी भी धान की रोपनी कर रहे हैं, उनके लिए जरूरी सलाह भी दी है.

ये भी पढ़ें: Jharkhand Moonsoon: राज्य में इस बार औसत से कम हुई बारिश, कृषि पदाधिकारी ने बताई किसानों के फायदे की बात

कृषि पदाधिकारी ने क्या कहा: कृषि पदाधिकारी रामशंकर सिंह ने ईटीवी भारत के माध्यम से राज्य के किसानों से आग्रह किया है कि वर्षा के बावजूद अब वह धान की रोपनी नहीं करें और खेत को 15 दिन या एक महीने के लिए परती छोड़ दें. रामशंकर सिंह ने कहा कि वैसे भी 15 अगस्त के बाद जैसे-जैसे धान की रोपनी में देरी होती है, वैसे-वैसे धान का उत्पादन कम होता जाता है.

फलन होने की संभावना नहीं के बराबर: कृषि पदाधिकारी ने कहा कि अब अगर इस समय धान का बिचड़ा किसान रोपेंगे तो उसका विकास और उसमें फलन होने की संभावना नहीं के बराबर है. उन्होंने कहा कि धान की फसल को विकसित होने के लिए जिस तरह का क्लाइमेट चाहिए होता है, वह नहीं मिलेगा और फलन भी अच्छे से नहीं होगा.

वैकल्पिक रबी की खेती की ओर दें ध्यान: कृषि पदाधिकारी ने कहा कि ऐसे में सुखाड़ की वजह परेशान किसान अब खेती में धान का मोह त्याग कर वैकल्पिक रबी की खेती पर ध्यान दें. उन्होंने वर्षा के बावजूद खेत को परती छोड़ने की बात कही. उन्होंने कहा कि जिस इलाके में वर्षा बेहद कम हुई है, वहां के किसानों को बिरसा फसल विस्तार योजना के तहत जल्द ही चना, सरसों, मोटे अनाज के बीज निशुल्क बांटने का काम शुरू होगा.

राज्य में क्या है खरीफ फसल की स्थिति: झारखंड में इस वर्ष 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ फसल लगाने का लक्ष्य था. जिसमें से अब तक 17 लाख 27 हजार 101 हेक्टेयर में आच्छादन हुआ है. राज्य की सबसे प्रमुख फसल धान की खेती का लक्ष्य 18 लाख हेक्टेयर की जगह सिर्फ 11 लाख 17 हजार 61 हेक्टेयर में रोपनी हुई है. राज्य के पलामू (10.33%), कोडरमा (12.61%), गढ़वा (29.18%), चतरा (16.35%), धनबाद (15.8%), जामताड़ा (30%), रांची (47%) धान की रोपनी ही हुई है.


राज्य में सामान्य से 33% कम वर्षा: रांची मौसम विभाग के अनुसार 15 सितंबर तक राज्य में 920.8 मिलीमीटर की जगह 614 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड हुई है, जो सामान्य से 33% कम है. राज्य के चार जिले पूर्वी सिंहभूम, गोड्डा, साहिबगंज और सिमडेगा ऐसे चार जिले हैं, जहां सामान्य वर्षा हुई है. जबकि 20 जिलों में सामान्य से कम वर्षा रिकॉर्ड किया गया है. सबसे खराब स्थिति चतरा जिले की है, जहां सामान्य से 63% कम वर्षा हुई है.

वैसे-वैसे धान का उत्पादन कम होता जाता है: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार राज्य में अगस्त के अंतिम दिनों और सितंबर महीने में अच्छी वर्षा के बावजूद राज्य में धान की खेती के हिसाब से यह ज्यादा फायदेमंद नहीं है. 21 दिन के बिचड़ा की रोपनी कर देना चाहिए. जैसे-जैसे रोपनी में देरी होती है, वैसे-वैसे धान का उत्पादन कम होता जाता है.

किसानों से अपील करते कृषि पदाधिकारी रामशंकर सिंह

रांची: राज्य में इन दिनों हो रही अच्छी वर्षा को लेकर रांची के कृषि पदाधिकारी ने इसकी तुलना 'का वर्षा जब कृषि सूखने' वाले मुहावरे से की है. उन्होंने रांची और राज्य के वैसे अन्नदाता किसान जो अभी भी धान की रोपनी कर रहे हैं, उनके लिए जरूरी सलाह भी दी है.

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कृषि पदाधिकारी ने क्या कहा: कृषि पदाधिकारी रामशंकर सिंह ने ईटीवी भारत के माध्यम से राज्य के किसानों से आग्रह किया है कि वर्षा के बावजूद अब वह धान की रोपनी नहीं करें और खेत को 15 दिन या एक महीने के लिए परती छोड़ दें. रामशंकर सिंह ने कहा कि वैसे भी 15 अगस्त के बाद जैसे-जैसे धान की रोपनी में देरी होती है, वैसे-वैसे धान का उत्पादन कम होता जाता है.

फलन होने की संभावना नहीं के बराबर: कृषि पदाधिकारी ने कहा कि अब अगर इस समय धान का बिचड़ा किसान रोपेंगे तो उसका विकास और उसमें फलन होने की संभावना नहीं के बराबर है. उन्होंने कहा कि धान की फसल को विकसित होने के लिए जिस तरह का क्लाइमेट चाहिए होता है, वह नहीं मिलेगा और फलन भी अच्छे से नहीं होगा.

वैकल्पिक रबी की खेती की ओर दें ध्यान: कृषि पदाधिकारी ने कहा कि ऐसे में सुखाड़ की वजह परेशान किसान अब खेती में धान का मोह त्याग कर वैकल्पिक रबी की खेती पर ध्यान दें. उन्होंने वर्षा के बावजूद खेत को परती छोड़ने की बात कही. उन्होंने कहा कि जिस इलाके में वर्षा बेहद कम हुई है, वहां के किसानों को बिरसा फसल विस्तार योजना के तहत जल्द ही चना, सरसों, मोटे अनाज के बीज निशुल्क बांटने का काम शुरू होगा.

राज्य में क्या है खरीफ फसल की स्थिति: झारखंड में इस वर्ष 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ फसल लगाने का लक्ष्य था. जिसमें से अब तक 17 लाख 27 हजार 101 हेक्टेयर में आच्छादन हुआ है. राज्य की सबसे प्रमुख फसल धान की खेती का लक्ष्य 18 लाख हेक्टेयर की जगह सिर्फ 11 लाख 17 हजार 61 हेक्टेयर में रोपनी हुई है. राज्य के पलामू (10.33%), कोडरमा (12.61%), गढ़वा (29.18%), चतरा (16.35%), धनबाद (15.8%), जामताड़ा (30%), रांची (47%) धान की रोपनी ही हुई है.


राज्य में सामान्य से 33% कम वर्षा: रांची मौसम विभाग के अनुसार 15 सितंबर तक राज्य में 920.8 मिलीमीटर की जगह 614 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड हुई है, जो सामान्य से 33% कम है. राज्य के चार जिले पूर्वी सिंहभूम, गोड्डा, साहिबगंज और सिमडेगा ऐसे चार जिले हैं, जहां सामान्य वर्षा हुई है. जबकि 20 जिलों में सामान्य से कम वर्षा रिकॉर्ड किया गया है. सबसे खराब स्थिति चतरा जिले की है, जहां सामान्य से 63% कम वर्षा हुई है.

वैसे-वैसे धान का उत्पादन कम होता जाता है: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार राज्य में अगस्त के अंतिम दिनों और सितंबर महीने में अच्छी वर्षा के बावजूद राज्य में धान की खेती के हिसाब से यह ज्यादा फायदेमंद नहीं है. 21 दिन के बिचड़ा की रोपनी कर देना चाहिए. जैसे-जैसे रोपनी में देरी होती है, वैसे-वैसे धान का उत्पादन कम होता जाता है.

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