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ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा को लेकर वामदल के नेताओं ने जताई चिंता, कहा- आंदोलन को कमजोर बनाती है हिंसा

26 जनवरी को किसान आंदोलन में हुई हिंसा को लेकर विपक्षी पार्टी केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है. वहीं किसानों के समर्थन में उतरी वाम दल पार्टी ने कहा कि किसानों के ट्रैक्टर रैली में जो हिंसा हुई है वह कहीं न कहीं रैली और आंदोलन को कमजोर बनाता है.

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वामदल नेता
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Published : Jan 26, 2021, 9:36 PM IST

Updated : Jan 26, 2021, 9:45 PM IST

रांचीः गणतंत्र दिवस किसान आंदोलन में हुई हिंसा को लेकर जहां पूरे देश के सभी नेता केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे है. वहीं झारखंड में वाम दल के नेता और कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में सड़क पर उतर कर उनका साथ दिया. दिल्ली में हुई हिंसा पर मासस नेता सुशांतो ने बताया कि पिछले 2 महीनों से दिल्ली में किसान आंदोलन कर रहे हैं, उनका आंदोलन दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है और सरकार पर दबाव भी बना रहा है, लेकिन 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर रैली में जो हिंसा हुई है वह कहीं न कहीं रैली और आंदोलन को कमजोर बनाता है. किसानों की ओर से अपनाए गए इस रूख का मार्क्सवादी समन्वय समिति निंदा करती है. हम किसान आंदोलन के साथ हैं, लेकिन आंदोलन शांतिपूर्ण और अहिंसा पूर्वक हो. उस आंदोलन को जितने दिन भी चलाना पड़े हम चलाएंगे, लेकिन हिंसा का रुख करना कहीं से भी जायज नहीं है.

मीडिया से बात करते वाम दल नेता
किसानों का आंदोलन हिंसात्मक वहीं सीपीआईएमएल के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद बताते हैं कि जिस तरह से दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों का आंदोलन हिंसात्मक हुआ है. उससे यही प्रतीत होता है कि उनकी रैली में कुछ असामाजिक तत्व को प्रवेश कराया गया. ताकि इस आंदोलन में हिंसा कर किसानों को बदनाम किया जा सके, ताकि किसान के आंदोलन को सरकार की ओर से निराधार बताया जा सके. वहीं उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों की ओर से कृषि आंदोलन में उपद्रव मचा कर विरोध किया गया, लेकिन सभी किसानों की ओर से उपद्रव नहीं मचाया गया है.


इसे भी पढ़ें- चतरा: कुंदा में स्थित किला खंडहर में हो रहा तब्दील, प्रशासन की अनदेखी का हो रह शिकार


किसानों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस
सीपीआईएम के किसान नेता प्रफुल्ल लिंडा बताते है कि जिस प्रकार से प्रशासन की ओर से किसानों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़े गए हैं, वह निंदनीय है. वहीं किसानों से भी आग्रह किया गया है कि अपने अहिंसा वादी आंदोलन के मार्ग से न भटकें, हम अपने लक्ष्य की ओर पहुंचने वाले हैं. इसीलिए हिंसात्मक होकर अपने लक्ष्य से भटकने का काम न करें.

नए कृषि कानून को वापस लेने के लिए 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ओर से वृहद स्तर पर ट्रैक्टर रैली निकाली गई, जिसको लेकर प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी. वहीं किसानों ने भी रैली को सफल बनाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया.

रांचीः गणतंत्र दिवस किसान आंदोलन में हुई हिंसा को लेकर जहां पूरे देश के सभी नेता केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे है. वहीं झारखंड में वाम दल के नेता और कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में सड़क पर उतर कर उनका साथ दिया. दिल्ली में हुई हिंसा पर मासस नेता सुशांतो ने बताया कि पिछले 2 महीनों से दिल्ली में किसान आंदोलन कर रहे हैं, उनका आंदोलन दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है और सरकार पर दबाव भी बना रहा है, लेकिन 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर रैली में जो हिंसा हुई है वह कहीं न कहीं रैली और आंदोलन को कमजोर बनाता है. किसानों की ओर से अपनाए गए इस रूख का मार्क्सवादी समन्वय समिति निंदा करती है. हम किसान आंदोलन के साथ हैं, लेकिन आंदोलन शांतिपूर्ण और अहिंसा पूर्वक हो. उस आंदोलन को जितने दिन भी चलाना पड़े हम चलाएंगे, लेकिन हिंसा का रुख करना कहीं से भी जायज नहीं है.

मीडिया से बात करते वाम दल नेता
किसानों का आंदोलन हिंसात्मक वहीं सीपीआईएमएल के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद बताते हैं कि जिस तरह से दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों का आंदोलन हिंसात्मक हुआ है. उससे यही प्रतीत होता है कि उनकी रैली में कुछ असामाजिक तत्व को प्रवेश कराया गया. ताकि इस आंदोलन में हिंसा कर किसानों को बदनाम किया जा सके, ताकि किसान के आंदोलन को सरकार की ओर से निराधार बताया जा सके. वहीं उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों की ओर से कृषि आंदोलन में उपद्रव मचा कर विरोध किया गया, लेकिन सभी किसानों की ओर से उपद्रव नहीं मचाया गया है.


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किसानों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस
सीपीआईएम के किसान नेता प्रफुल्ल लिंडा बताते है कि जिस प्रकार से प्रशासन की ओर से किसानों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़े गए हैं, वह निंदनीय है. वहीं किसानों से भी आग्रह किया गया है कि अपने अहिंसा वादी आंदोलन के मार्ग से न भटकें, हम अपने लक्ष्य की ओर पहुंचने वाले हैं. इसीलिए हिंसात्मक होकर अपने लक्ष्य से भटकने का काम न करें.

नए कृषि कानून को वापस लेने के लिए 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ओर से वृहद स्तर पर ट्रैक्टर रैली निकाली गई, जिसको लेकर प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी. वहीं किसानों ने भी रैली को सफल बनाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया.

Last Updated : Jan 26, 2021, 9:45 PM IST
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