रांची: चुनाव आयोग की ओर से रामगढ़ उपचुनाव की घोषणा कर दी गई है. यहां पर 27 फरवरी को मतदान होगा और 2 मार्च को काउंटिंग. इस सीट को जीतने के लिए पिछले कुछ दिनों राजनीति दलों ने जोर-आजमाइश शुरू कर दी थी. बडे़-बड़े नेताओं का रामगढ़ में दौरा शुरु हो गया. वहां के लोगों से मिलने जुलने का सिलसिला भी तेज हो गया है. लेकिन सवाल है कि जनता के मन में क्या है, ये तो दो मार्च को ही पता चलेगा.
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बाबूलाल ने जीता पहला उपचुनाव: महागठबंधन और एनडीए के बीच में यहां मुकाबला होने की उम्मीद है. पलड़ा किसका भारी पड़ेगा इसको जानने के लिए आंकड़ों को समझना जरूरी है. 2019 के चुनाव के आंकड़ों की बात करेंगे उससे पहले बताते हैं इस सीट पर किसका दबदबा रहा है. 2000 झारखंड अलग होने के बाद यहां पर पहला चुनाव 2001 में हुआ था वह भी एक उपचुनाव ही था. इस उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी.
आजसू का दबदाब: 2001 के बाद 2005, 2009 और 2014 में आजसू के चंद्र प्रकाश चौधरी ने जीत दर्जी की. आजसू बीजेपी का परंपरागत सहयोगी रहा है. 2019 में यहां से कांग्रेस की ममता देवी ने चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीत चौधरी को हराकर सीट पर कब्जा किया. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि 2019 से पहले झारखंड की इस सीट पर एनडीए का ही कब्जा रहा है.
ममता ने कैसै पलटी बाजी: अब बात करते हैं कि 2019 में ममता देवी ने इस सीट पर कैसे उलटफेर किया. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजूस एक साथ थी. लेकिन 2019 चुनाव से ठीक पहले सीटों के बंटवारे के विवाद को लेकर दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. इस चुनाव में ममता देवी को 28,718 वोटों से जीत हासिल हुई थी. ममता देवी को कुल 99,944 वोट मिले, आसजू की प्रत्याशी सुनीता चौधरी दूसरे नंबर पर रहीं उन्हें कुल 71,226 वोट मिले वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी प्रत्याशी रणंजय सिंह रहे उन्हें कुल 31,874 वोट मिले थे.
क्या एनडीए रहेगा एकजुट: ऐसे में अगर इस बार एनडीए एकजुट रहता है यानी बीजेपी-आजसू साझा प्रत्याशी देती है तो महागठबंधन के लिए मामला बिगड़ सकता है. क्योंकि पिछले चुनाव में आजसू और बीजेपी को मिले वोट को जोड़ दें तो वोट का आंकड़ा 103,100 हो जाता है, जो ममता देवी को मिले वोट 99,944 से अधिक है. 2019 चुनाव के बाद एक बार फिर बीजेपी और आजसू एक साथ आ गए कई राज्यसभा चुनाव हो या फिर मांडर उपचुनाव आजसू ने बीजेपी का साथ दिया. यह कायस लगाए जा रहे हैं कि इस बार बीजेपी आसजू का साथ दे सकती है.
सुनीता देवी बनाम बजरंग महतो: गोला गोली कांड में कोर्ट से सजा मिलने के बाद ममता देवी कि विधायकी चली गई. जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव की नौबत आई है. यहां पर इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि ममता देवी के पति बजरंग महतो को कांग्रेस टिकट दे सकती है. वहीं एनडीए की तरफ से चंद्रप्राकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी एक बार फिर मैदान में दिख सकती हैं.