रांची: भाई-बहनों का त्योहार रक्षाबंधन बस कुछ ही दिनों में आने वाला है. इसे लेकर बहनें राखी की शॉपिंग करने में जुट गई हैं. वहीं भाई भी बहनों के लिए अच्छे-अच्छे उपहार खरीद रहे हैं. लेकिन पहले की तुलना में अब काफी बदलाव आया है. बदलते समय के साथ टेक्नोलॉजी का असर भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन पर भी पड़ा है. ऑनलाइन मार्केटिंग के बढ़ रहे क्रेज ने रक्षाबंधन के मौके पर सजने वाले राखी बाजार को फीका कर दिया है.
इस साल 31 अगस्त को रक्षा बंधन है. हालांकि कुछ जगहों पर 30 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाया जायेगा. मगर, बाजार में जो रौनक होना चाहिए था, वह नहीं दिख रहा है. घर बैठे फ्लिपकार्ट, अमेजॉन जैसे ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म से बहन घर से दूर अपने प्यारे भैया को राखी भेजकर औपचारिकता पूरी कर रही हैं. रांची के डोरंडा बाजार में कई वर्षों से राखी दुकान लगाने वाले कुणाल कहते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग की मार राखी बाजार पर भी पड़ा है. जिस वजह से ग्राहक दुकान पर आने के बजाय घर बैठे राखी पसंद कर अपने भाई को भेज देती हैं.
बाजार से लेकर डाकघर तक में भीड़ कम: राखी बाजार का सीधा कनेक्शन डाकघर से है. जहां पारंपरिक रूप से बाजार से राखी खरीद कर पोस्ट ऑफिस के माध्यम से बाहर अपने प्यारे भैया को बहनें राखी भेजती हैं. लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग के कारण इस परंपरा का सीधा असर इस बार बाजार से लेकर डाकघर तक में देखने को मिल रहा है. हालत यह है कि रांची के सबसे बड़े डोरंडा पोस्ट ऑफिस में सारी व्यवस्था होने के बावजूद भी राखी भेजने वालों की संख्या काफी कम है. डाक विभाग के द्वारा अन्य वर्षो की तरह इस वर्ष भी राखी के लिए कई काउंटर खोले गए हैं. मगर इन काउंटर पर आने वाले लोगों की संख्या काफी कम है. यह वही पोस्ट ऑफिस है, जहां से राखी के मौके पर एक महीने पहले से प्रतिदिन करीब 1,000 राखी का लिफाफा भेजा जाता था.
'आज भी पोस्ट ऑफिस पर लोगों को है विश्वास': जानकारी के मुताबिक, इस बार कुछ दिन पहले शुरुआत के समय करीब 500 लिफाफा प्रतिदिन भेजा गया जो धीरे-धीरे कम होता चला गया. हालांकि, पोस्टमास्टर अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग का कोई खास असर डाक विभाग पर नहीं पड़ा है. क्योंकि ऑनलाइन शॉपिंग के जो भी प्लेटफार्म हैं, उनकी उपस्थिति ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं है. जबकि डाक विभाग गांव-गांव तक कार्यरत है और राखी के मौके पर इस संस्थान के प्रति लोगों का अटूट विश्वास होने की वजह से लोग कुरियर के बजाय यहीं से राखी का लिफाफा भेजते हैं. जो ना केवल लेह-लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्र तक पहुंचाया जाता है, बल्कि विदेशों में रहने वाले भाई तक भी रक्षा सूत्र पहुंचा दिया जाता है.