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राजभवन ने जैन यूनिवर्सिटी बिल लौटाया तो दुर्गा सोरेन यूनिवर्सिटी को क्यों दी मंजूरी, झारखंड में क्यों आई है निजी विवि की बाढ़? जांच में कहां है पेंच

राजभवन ने जैन यूनिवर्सिटी बिल लौटा दिया है, वहीं दुर्गा सोरेन यूनिवर्सिटी बिल को मंजूरी दे दी है. इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं. आखिर पिछले कुछ सालों में झारखंड में निजी विवि की बाढ़ क्यों आई है, जांच में पेंच कहां फंसा है, जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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Published : Jul 21, 2023, 8:39 PM IST

Updated : Jul 22, 2023, 6:45 PM IST

रांची: झारखंड में निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ सी आ गई है. राज्य गठन के बाद से अबतक करीब 20 निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े विधेयक सदन से पारित हो चुके हैं. विश्वविद्यालयों का संचालन भी हो रहा है. लेकिन कुछ एक को छोड़ दें तो ज्यादातर निजी विश्वविद्यालयों से लोग वाकिफ नहीं हैं. इस बीच पिछले दिनों राजभवन से सवालों के साथ जैन विश्वविद्यालय विधेयक सरकार को वापस लौटाए जाने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.

सबसे बड़ा सवाल है कि साल 2023 के बजट सत्र के दौरान ही जैन विवि और दुर्गा सोरेन विवि विधेयक को सदन से पारित कराया गया था. लेकिन राजभवन ने सिर्फ जैन विश्वविद्यालय विधेयक को जिन सवालों के साथ वापस लौटाया, वह क्या दुर्गा सोरेन विवि पर लागू नहीं होता. इस मसले पर राजभवन के अधिकारियों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. निजी विवि के आधारभूत संरचना को लेकर बनी कमेटी की रिपोर्ट पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव राहुल कुमार पुरवार और उच्च शिक्षा निदेशक गरिमा सिंह से भी बात करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.

ये भी पढ़ें- झारखंड के राज्यपाल ने जैन यूनिवर्सिटी बिल सरकार को लौटाया, पूछा- प्राइवेट यूनिवर्सिटी की गड़बड़ियों पर जांच कहां पहुंची

इसी मसले की जांच के लिए बनी विधानसभा की विशेष कमेटी के सदस्य जमुआ विधायक केदार हाजरा से बात की गई. उन्होंने बताया कि अभी तक सिर्फ एक बैठक हो पाई है. पहली बैठक में सभी निजी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर संस्थान का स्टेट्स रिपोर्ट मांगी गयी थी. उन्होंने कहा कि कई विश्वविद्यालयों ने जानकारी मुहैया भी कराई है. लेकिन उसका अबतक आंकलन नहीं किया जा सका है. उन्होंने कहा कि तय हुआ था कि निजी विश्वविद्यालयों से डाक्यूमेंट आने के बाद स्थल निरीक्षण किया जाएगा. इसी बीच कमेटी के संयोजक स्टीफन मरांडी जी की तबीयत खराब हो गई. इसकी वजह से आगे की बैठक नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित मॉनसून सत्र के दौरान सभी सदस्य जुटेंगे तो इसपर आगे फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बीच स्पीकर की ओर से कमेटी की जांच अवधि को जुलाई 2024 तक बढ़ा दिया गया है.

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विधायक केदार हाजरा का बयान

कमेटी के संयोजक सह भाकपा माले विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि हम लोगों ने स्थल निरीक्षण की प्लानिंग कर ली थी. इसी दौरान संयोजक स्टीफन मरांडी जी बीमार पड़ गये. अब देखना है कि वह या फिर स्पीकर महोदय आगे क्या निर्णय लेते हैं.

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विधायक बिनोद सिंह का बयान

कब विवाद में आया जैन विश्वविद्यालय: खास बात है कि इसी जैन विश्वविद्यालय विधेयक को 2022 के शीतकालीन सत्र में भी सदन में लाया गया था. लेकिन इसपर जमकर सवाल उठे थे. विधायक बिनोद सिंह ने कहा था कि जिस सोसायटी के नाम पर साल 2017 में अरका जैन विश्वविद्यालय विधेयक पारित हुआ, उसी सोसायटी के नाम पर जैन विश्वविद्यालय विधेयक को कैसे पारित किया जा सकता है. लंबोदर महतो समेत अन्य विधायकों ने कहा था कि ज्यादातर निजी विवि भाड़े के कमरों में चल रहे हैं. बिना इंफ्रास्ट्रक्चर के कैसे संचालन की अनुमति दी जा सकती है.

क्या है जांच रिपोर्ट का स्टेट्स: इन सवालों को गंभीर बताते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने स्पीकर से जांच कमेटी बनाने का आग्रह किया था. इसपर स्वीकर रबींद्रनाथ महतो ने झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था. इस कमेटी में विधायक बिनोद सिंह, केदार हाजरा, लंबोदर महतो और रामचंद्र सिंह को शामिल किया गया था. लेकिन करीब सात माह गुजरने के बावजूद कमेटी की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई.

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जैन विवि में इतनी दिलचस्पी क्यों: सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात ये है कि, जिस जैन विश्वविद्यालय पर शीतकालीन सत्र में सवाल उठने पर बिल को वापस लेकर सभी निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी, उसी जैन विश्वविद्यालय से जुड़े विधेयक को चंद माह बाद ही बजट सत्र में लाकर हेमंत सरकार ने पारित भी करा लिया था.

राजभवन ने क्या कहकर लौटाया बिल: दरअसल, राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण ने कई सवालों के साथ जैन विश्वविद्यालय विधेयक को वापस लौटाया है. उन्होंने सरकार के साथ-साथ स्पीकर रबींद्रनाथ महतो से भी सवाल किया है कि निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ. उन्होंने यह भी पूछा है कि उच्च शिक्षा निदेशक गरिमा सिंह की अध्यक्षता में निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए कमेटी बनी थी. कमेटी की रिपोर्ट में क्या है. अब सवाल है कि जब जांच के हवाला देकर बिल लौटाया गया तो फिर दुर्गा सोरेन विश्वविद्यालय विधेयक को मंजूरी क्यों दी गई.

निजी विवि में सरकारों की रही है दिलचस्पी: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्रों को पढ़ाई के लिए राज्य से बाहर जाने से रोकने का हवाला देकर राज्य में धड़ल्ले से निजी विश्वविद्यालयों को खोलने की अनुमति मिलती रही है. हालांकि हर बार सदन में ऐसे विश्वविद्यालयों की आधारभूत संरचना और व्यवस्था का हवाला देकर सवाल उठते रहे हैं. इसके बावजूद बिल को सदन में संख्या बल की बदौलत पारित करा लिया जाता है. ऐसा नहीं कि सिर्फ वर्तमान हेमंत सरकार ही ऐसा काम कर रही है. हेमंत सरकार ने अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े छह विधेयक को विधानसभा से पारित कराया है. लेकिन तत्कालीन रघुवर सरकार ने भी निजी विश्वविद्ययों के गठन में ज्यादा दिलचस्पी दिखायी. अपने पांच साल के कार्यकाल में रघुवर दास की सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े दो संशोधन के अलावा 12 विधेयक सदन से पारित कराया.

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हेमंत कार्यकाल में पारित निजी विवि विधेयक: हेमंत सरकार ने अपने साढ़े तीन साल से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान तमाम सवालों के बावजूद कुल छह विधेयक पारित कराए. इनमें श्रीनाथ विश्वविद्यालय विधेयक 2021, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय विधेयक 2022, सोना देवी विश्वविद्यालय विधेयक 2022, बाबू दिनेश सिंह विश्वविद्यालय विधेयक 2022, दुर्गा सोरेन विश्वविद्यालय विधेयक, 2023 और जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2023 शामिल हैं. लेकिन जैन विश्वविद्यालय से जुड़ा विधेयक राजभवन से लौटाए जाने के बाद मामला फिर से अधर में लटक गया है.

रघुवर कार्यकाल में निजी विवि की आई बाढ़: आंकड़ें बता रहे हैं कि तत्कालीन रघुवर सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ ला दी. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्रों को दूसरे राज्यों में पढ़ाई के लिए रोकने का हवाला देकर धड़ाधड़ निजी विश्वविद्यालय से जुड़े विधेयक पारित किए गये.

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साल 2018 में दो संशोधन समेत कुल 8 विधेयक पारित कराया था. उनमें उषा मार्टिन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018, कैपिटल विश्वविद्यालय विधेयक 2018, साईंनाथ विश्वविद्यालय विधेयक 2018, झारखंड राय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018 , राधा गोविंद विश्वविद्यालय विधेयक 2018, रामकृष्ण धर्माथ (आर.के.डी.एफ) विश्वविद्यालय विधेयक 2018 नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय विधेयक 2018, रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय विधेयक 2018 का नाम शामिल है.

साल 2017 में रघुवर सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े कुल तीन विधेयक को विधानसभा से पारित कराया था. उनमें सरला बिरला विश्वविद्यालय विधेयक 2017, वाई.बी.एन.विश्वविद्यालय विधेयक 2017, अरका जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2017 के नाम शामिल हैं. साल 2016 में रघुवर सरकार ने अमिटी विश्वविद्यालय विधेयक 2016, प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय विधेयक, 2016 और आईसेक्ट विश्वविद्यालय विधेयक 2016 समेत कुल तीन विधेयक पारित कराया था.

खास बात है कि राजभवन से पिछले कुछ वर्षों में कई विधेयक लौटाए जा चुके हैं. पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता से जुड़ा बिल समेत मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक, पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2022, कोर्ट फीस (झारखंड संशोधन) विधेयक 2021 और झारखंड कराधार अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक 2022 को कई सुझाव और सवाल के अलावा हिन्दी-अंग्रेजी रूपांतरण में खामियों का जिक्र करते हुए अलग-अलग समय में लौटाया था. अब देखना है कि वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा जैन विश्वविद्यालय विधेयक के लौटाए जाने के बाद सरकार क्या कदम उठाती है.

रांची: झारखंड में निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ सी आ गई है. राज्य गठन के बाद से अबतक करीब 20 निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े विधेयक सदन से पारित हो चुके हैं. विश्वविद्यालयों का संचालन भी हो रहा है. लेकिन कुछ एक को छोड़ दें तो ज्यादातर निजी विश्वविद्यालयों से लोग वाकिफ नहीं हैं. इस बीच पिछले दिनों राजभवन से सवालों के साथ जैन विश्वविद्यालय विधेयक सरकार को वापस लौटाए जाने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.

सबसे बड़ा सवाल है कि साल 2023 के बजट सत्र के दौरान ही जैन विवि और दुर्गा सोरेन विवि विधेयक को सदन से पारित कराया गया था. लेकिन राजभवन ने सिर्फ जैन विश्वविद्यालय विधेयक को जिन सवालों के साथ वापस लौटाया, वह क्या दुर्गा सोरेन विवि पर लागू नहीं होता. इस मसले पर राजभवन के अधिकारियों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. निजी विवि के आधारभूत संरचना को लेकर बनी कमेटी की रिपोर्ट पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव राहुल कुमार पुरवार और उच्च शिक्षा निदेशक गरिमा सिंह से भी बात करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.

ये भी पढ़ें- झारखंड के राज्यपाल ने जैन यूनिवर्सिटी बिल सरकार को लौटाया, पूछा- प्राइवेट यूनिवर्सिटी की गड़बड़ियों पर जांच कहां पहुंची

इसी मसले की जांच के लिए बनी विधानसभा की विशेष कमेटी के सदस्य जमुआ विधायक केदार हाजरा से बात की गई. उन्होंने बताया कि अभी तक सिर्फ एक बैठक हो पाई है. पहली बैठक में सभी निजी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर संस्थान का स्टेट्स रिपोर्ट मांगी गयी थी. उन्होंने कहा कि कई विश्वविद्यालयों ने जानकारी मुहैया भी कराई है. लेकिन उसका अबतक आंकलन नहीं किया जा सका है. उन्होंने कहा कि तय हुआ था कि निजी विश्वविद्यालयों से डाक्यूमेंट आने के बाद स्थल निरीक्षण किया जाएगा. इसी बीच कमेटी के संयोजक स्टीफन मरांडी जी की तबीयत खराब हो गई. इसकी वजह से आगे की बैठक नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित मॉनसून सत्र के दौरान सभी सदस्य जुटेंगे तो इसपर आगे फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बीच स्पीकर की ओर से कमेटी की जांच अवधि को जुलाई 2024 तक बढ़ा दिया गया है.

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विधायक केदार हाजरा का बयान

कमेटी के संयोजक सह भाकपा माले विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि हम लोगों ने स्थल निरीक्षण की प्लानिंग कर ली थी. इसी दौरान संयोजक स्टीफन मरांडी जी बीमार पड़ गये. अब देखना है कि वह या फिर स्पीकर महोदय आगे क्या निर्णय लेते हैं.

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विधायक बिनोद सिंह का बयान

कब विवाद में आया जैन विश्वविद्यालय: खास बात है कि इसी जैन विश्वविद्यालय विधेयक को 2022 के शीतकालीन सत्र में भी सदन में लाया गया था. लेकिन इसपर जमकर सवाल उठे थे. विधायक बिनोद सिंह ने कहा था कि जिस सोसायटी के नाम पर साल 2017 में अरका जैन विश्वविद्यालय विधेयक पारित हुआ, उसी सोसायटी के नाम पर जैन विश्वविद्यालय विधेयक को कैसे पारित किया जा सकता है. लंबोदर महतो समेत अन्य विधायकों ने कहा था कि ज्यादातर निजी विवि भाड़े के कमरों में चल रहे हैं. बिना इंफ्रास्ट्रक्चर के कैसे संचालन की अनुमति दी जा सकती है.

क्या है जांच रिपोर्ट का स्टेट्स: इन सवालों को गंभीर बताते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने स्पीकर से जांच कमेटी बनाने का आग्रह किया था. इसपर स्वीकर रबींद्रनाथ महतो ने झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था. इस कमेटी में विधायक बिनोद सिंह, केदार हाजरा, लंबोदर महतो और रामचंद्र सिंह को शामिल किया गया था. लेकिन करीब सात माह गुजरने के बावजूद कमेटी की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई.

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जैन विवि में इतनी दिलचस्पी क्यों: सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात ये है कि, जिस जैन विश्वविद्यालय पर शीतकालीन सत्र में सवाल उठने पर बिल को वापस लेकर सभी निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी, उसी जैन विश्वविद्यालय से जुड़े विधेयक को चंद माह बाद ही बजट सत्र में लाकर हेमंत सरकार ने पारित भी करा लिया था.

राजभवन ने क्या कहकर लौटाया बिल: दरअसल, राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण ने कई सवालों के साथ जैन विश्वविद्यालय विधेयक को वापस लौटाया है. उन्होंने सरकार के साथ-साथ स्पीकर रबींद्रनाथ महतो से भी सवाल किया है कि निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ. उन्होंने यह भी पूछा है कि उच्च शिक्षा निदेशक गरिमा सिंह की अध्यक्षता में निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए कमेटी बनी थी. कमेटी की रिपोर्ट में क्या है. अब सवाल है कि जब जांच के हवाला देकर बिल लौटाया गया तो फिर दुर्गा सोरेन विश्वविद्यालय विधेयक को मंजूरी क्यों दी गई.

निजी विवि में सरकारों की रही है दिलचस्पी: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्रों को पढ़ाई के लिए राज्य से बाहर जाने से रोकने का हवाला देकर राज्य में धड़ल्ले से निजी विश्वविद्यालयों को खोलने की अनुमति मिलती रही है. हालांकि हर बार सदन में ऐसे विश्वविद्यालयों की आधारभूत संरचना और व्यवस्था का हवाला देकर सवाल उठते रहे हैं. इसके बावजूद बिल को सदन में संख्या बल की बदौलत पारित करा लिया जाता है. ऐसा नहीं कि सिर्फ वर्तमान हेमंत सरकार ही ऐसा काम कर रही है. हेमंत सरकार ने अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े छह विधेयक को विधानसभा से पारित कराया है. लेकिन तत्कालीन रघुवर सरकार ने भी निजी विश्वविद्ययों के गठन में ज्यादा दिलचस्पी दिखायी. अपने पांच साल के कार्यकाल में रघुवर दास की सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े दो संशोधन के अलावा 12 विधेयक सदन से पारित कराया.

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हेमंत कार्यकाल में पारित निजी विवि विधेयक: हेमंत सरकार ने अपने साढ़े तीन साल से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान तमाम सवालों के बावजूद कुल छह विधेयक पारित कराए. इनमें श्रीनाथ विश्वविद्यालय विधेयक 2021, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय विधेयक 2022, सोना देवी विश्वविद्यालय विधेयक 2022, बाबू दिनेश सिंह विश्वविद्यालय विधेयक 2022, दुर्गा सोरेन विश्वविद्यालय विधेयक, 2023 और जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2023 शामिल हैं. लेकिन जैन विश्वविद्यालय से जुड़ा विधेयक राजभवन से लौटाए जाने के बाद मामला फिर से अधर में लटक गया है.

रघुवर कार्यकाल में निजी विवि की आई बाढ़: आंकड़ें बता रहे हैं कि तत्कालीन रघुवर सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ ला दी. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्रों को दूसरे राज्यों में पढ़ाई के लिए रोकने का हवाला देकर धड़ाधड़ निजी विश्वविद्यालय से जुड़े विधेयक पारित किए गये.

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साल 2018 में दो संशोधन समेत कुल 8 विधेयक पारित कराया था. उनमें उषा मार्टिन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018, कैपिटल विश्वविद्यालय विधेयक 2018, साईंनाथ विश्वविद्यालय विधेयक 2018, झारखंड राय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018 , राधा गोविंद विश्वविद्यालय विधेयक 2018, रामकृष्ण धर्माथ (आर.के.डी.एफ) विश्वविद्यालय विधेयक 2018 नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय विधेयक 2018, रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय विधेयक 2018 का नाम शामिल है.

साल 2017 में रघुवर सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े कुल तीन विधेयक को विधानसभा से पारित कराया था. उनमें सरला बिरला विश्वविद्यालय विधेयक 2017, वाई.बी.एन.विश्वविद्यालय विधेयक 2017, अरका जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2017 के नाम शामिल हैं. साल 2016 में रघुवर सरकार ने अमिटी विश्वविद्यालय विधेयक 2016, प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय विधेयक, 2016 और आईसेक्ट विश्वविद्यालय विधेयक 2016 समेत कुल तीन विधेयक पारित कराया था.

खास बात है कि राजभवन से पिछले कुछ वर्षों में कई विधेयक लौटाए जा चुके हैं. पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता से जुड़ा बिल समेत मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक, पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2022, कोर्ट फीस (झारखंड संशोधन) विधेयक 2021 और झारखंड कराधार अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक 2022 को कई सुझाव और सवाल के अलावा हिन्दी-अंग्रेजी रूपांतरण में खामियों का जिक्र करते हुए अलग-अलग समय में लौटाया था. अब देखना है कि वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा जैन विश्वविद्यालय विधेयक के लौटाए जाने के बाद सरकार क्या कदम उठाती है.

Last Updated : Jul 22, 2023, 6:45 PM IST
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