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मेडिकल छात्रों का भविष्यः रघुवर दास की हेमंत सरकार से अपील, मजबूती के साथ सरकार रखे अपना पक्ष

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Published : Jan 27, 2021, 5:25 PM IST

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास लगातार मेडिकल कॉलेज के छात्रों के साथ खड़े हैं. इस बार उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले का जिक्र किया और बताया कि छात्रों की याचिका पर NMC और झारखंड सरकार से एक सप्ताह में स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा है.

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रघुवर दास

रांचीः पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास लगातार मेडिकल कॉलेज के छात्रों के साथ दिखाई दे रहे हैं. इस बार उन्होंने ट्वीट कर बताया कि 'झारखंड के MBBS छात्रों के लिए सुखद समाचार। माननीय उच्चतम न्यायालय ने छात्रों की याचिका पर NMC और झारखंड सरकार से एक सप्ताह में स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा है। मजबूती से पक्ष रखने पर राज्य में 300 मेडिकल सीटें बढ़ जाएंगी। सरकार मजबूती से पक्ष रखकर छात्रों का भविष्य सुरक्षित करे।'

पूर्व सीएम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को किया था फोन

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से फोन पर बात कर झारखंड में मेडिकल कॉलेज में नामांकन के लिए छूट देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि राज्य में तीन मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हैं, लेकिन पिछले एक साल में राज्य सरकार ने कुछ शर्तों को पूरा नहीं किया है जिसके कारण नेशनल मेडिकल कमीशन ने नामांकन की अनुमति नहीं दी है. इससे झारखंड के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थिति में झारखंड के छात्रों के लिए यह छूट दी जाए. तीनों मेडिकल कॉलेज में 100-100 सीटों के लिए नामांकन हो सकेगा.

सुप्रीम कोर्ट में है मामला

झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2020-21 में नेशनल मेडिकल कौंसिल द्वारा नामांकन पर रोक लगाए जाने के खिलाफ कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अभिषेक कुमार और अन्य ने याचिका दायर की है. तीन कॉलेजों में सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहने पर एनएमसी ने नामांकन पर रोक लगा दी है. याचिका में कहा गया है कि हजारीबाग, दुमका एवं पलामू मेडिकल कॉलेजों में 300 एमबीबीएस सीटें हैं, जो राज्य के कुल एमबीबीएस सीटों का पचास फीसदी है. नामांकन पर रोक लगाने से राज्य के मेधावी विद्यार्थी अच्छे अंक प्राप्त कर भी सीट पाने से वंचित रह गए हैं. याचिका में कहा गया है कि एनएमसी के नियमों और मानकों का पालन करने का दायित्व राज्य सरकार का है. राज्य सरकार की गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा रहा है. ऐसे में उन्हें नामांकन की अनुमति मिलनी चाहिए. छात्रों का कहना है कि इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक फरियाद की गई. लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. इस वजह से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. याचिका वरीय अधिवक्ता वैभव नीति के माध्यम से दायर की गई है.

रांचीः पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास लगातार मेडिकल कॉलेज के छात्रों के साथ दिखाई दे रहे हैं. इस बार उन्होंने ट्वीट कर बताया कि 'झारखंड के MBBS छात्रों के लिए सुखद समाचार। माननीय उच्चतम न्यायालय ने छात्रों की याचिका पर NMC और झारखंड सरकार से एक सप्ताह में स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा है। मजबूती से पक्ष रखने पर राज्य में 300 मेडिकल सीटें बढ़ जाएंगी। सरकार मजबूती से पक्ष रखकर छात्रों का भविष्य सुरक्षित करे।'

पूर्व सीएम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को किया था फोन

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से फोन पर बात कर झारखंड में मेडिकल कॉलेज में नामांकन के लिए छूट देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि राज्य में तीन मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हैं, लेकिन पिछले एक साल में राज्य सरकार ने कुछ शर्तों को पूरा नहीं किया है जिसके कारण नेशनल मेडिकल कमीशन ने नामांकन की अनुमति नहीं दी है. इससे झारखंड के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थिति में झारखंड के छात्रों के लिए यह छूट दी जाए. तीनों मेडिकल कॉलेज में 100-100 सीटों के लिए नामांकन हो सकेगा.

सुप्रीम कोर्ट में है मामला

झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2020-21 में नेशनल मेडिकल कौंसिल द्वारा नामांकन पर रोक लगाए जाने के खिलाफ कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अभिषेक कुमार और अन्य ने याचिका दायर की है. तीन कॉलेजों में सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहने पर एनएमसी ने नामांकन पर रोक लगा दी है. याचिका में कहा गया है कि हजारीबाग, दुमका एवं पलामू मेडिकल कॉलेजों में 300 एमबीबीएस सीटें हैं, जो राज्य के कुल एमबीबीएस सीटों का पचास फीसदी है. नामांकन पर रोक लगाने से राज्य के मेधावी विद्यार्थी अच्छे अंक प्राप्त कर भी सीट पाने से वंचित रह गए हैं. याचिका में कहा गया है कि एनएमसी के नियमों और मानकों का पालन करने का दायित्व राज्य सरकार का है. राज्य सरकार की गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा रहा है. ऐसे में उन्हें नामांकन की अनुमति मिलनी चाहिए. छात्रों का कहना है कि इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक फरियाद की गई. लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. इस वजह से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. याचिका वरीय अधिवक्ता वैभव नीति के माध्यम से दायर की गई है.

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