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हेल्थ सर्वे अभियान: एंटीजन किट से जांच में फॉल्स रिजल्ट की संभावना 40% तक, जांच पर उठ रहे सवाल

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Published : Jun 2, 2021, 10:58 PM IST

झारखंड सरकार ग्रामीण इलाकों में डोर टू डोर हेल्थ सर्वे अभियान चला रही है. जिन लोगों में कोरोना के लक्षण मिल रहे हैं उनकी रैपिड एंटीजन टेस्ट से कोरोना जांच की जा रही है. अभी तक ग्रामीण इलाकों में एक लाख 30 हजार 507 लोगों के एंटीजन किट में महज 796 लोगों का कोरोना पॉजिटिव मिलना यह सवाल खड़े करता है कि क्या वास्तव में ग्रामीण इलाकों में कोरोना का संक्रमण इतना कम है या फिर एंटीजन किट से हो रही जांच की रिपोर्ट ही संदिग्ध है.

health survey campaign in Jharkhand
झारखंड में हेल्थ सर्वे अभियान

रांची: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों डोर टू डोर हेल्थ सर्वे अभियान चल रहा है. इस अभियान में सर्वे के दौरान जिन लोगों में कोरोना के लक्षण या जिस परिवार में पिछले दो महीने में किसी की मौत हुई हो उस परिवार के अन्य सदस्यों का रैपिड एंटीजन टेस्ट(एंटीजन किट) कराया जा रहा है. एंटीजन किट की विश्वसनीयता पर शुरू से सवाल उठते रहे हैं कि इसमें 30 से 40% तक फॉल्स रिपोर्टिंग की संभावना होती है. ऐसे में अभी तक ग्रामीण इलाकों में एक लाख 30 हजार 507 लोगों के एंटीजन किट में महज 796 लोगों का कोरोना पॉजिटिव मिलना यह सवाल खड़े करता है कि क्या वास्तव में ग्रामीण इलाकों में कोरोना का संक्रमण इतना कम है या फिर एंटीजन किट से हो रही जांच की रिपोर्ट ही संदिग्ध है.

रैपिड एंटीजन टेस्ट की जांच पर सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि सरकार इस पर भले भरोसा कर रही हो लेकिन आरटीपीसीआर, ट्रू नेट और रैपिड एंटीजन टेस्ट से हुई जांच में पॉजिटिविटी रेट में बड़ा अंतर कई सवाल खड़े करता है. कुछ दिन पहले राज्य में आरटीपीसीआर की पॉजिटिविटी रेट 6.27%, ट्रू नेट का 11.13% और रैपिड एंटीजन किट से जांच की पॉजिटिविटी रेट 1.11% ही था. अब आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर क्यों है यह एक बड़ा सवाल है.

यह भी पढ़ें: इश्क मुकम्मल: पहले प्यार, फिर फरार...लड़की के पिता से खाई मार, फिर भरे गांव के बीच भरी प्रेमिका की मांग

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?

झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन के महासचिव और प्रख्यात डॉक्टर बिमलेश सिंह ने कहा कि एंटीजन किट में यह संभव है कि पॉजिटिव व्यक्ति की भी रिपोर्ट निगेटिव हो लेकिन इसमें रिपोर्ट 15-30 मिनट में ही मिल जाना ही किट को उपयोगी बना देता है. जब संक्रमण तेजी से फैल रहा हो और उसे रोकने के लिए मास लेवल पर टेस्ट जरूरी हो तो ऐसे में एंटीजन किट जांच ही एकमात्र विकल्प है क्योंकि ट्रू नेट जांच में बहुत अधिक संख्या में जांच नहीं हो पाती है और आरटीपीसीआर जांच में काफी समय लग जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी ?

एंटीजन किट जांच के सवाल पर एनएचएम के आईईसी अफसर सिद्धार्थ त्रिपाठी कहते हैं कि जब हर दिन बड़ी संख्या में जांच हो रही है और जल्दी से जल्दी संक्रमित की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करना है तो वैसे में एकमात्र उपाय एंटीजन किट ही है. यह वजह है कि सरकार ज्यादा से ज्यादा एंटीजन किट टेस्ट करा रही है. एंटीजन टेस्ट के फॉल्स रिपोर्टिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना को देखते हुए वैसे संदिग्ध जिसमें कोरोना के लक्षण हैं लेकिन एंटीजन किट में रिपोर्ट निगेटिव आ जाता है उनका ट्रू नेट या आरटीपीसीआर जांच कराया जाता है. उसकी रिपोर्ट आने तक उन्हें आइसोलेशन में रहने को कहा जाता है.

रांची: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों डोर टू डोर हेल्थ सर्वे अभियान चल रहा है. इस अभियान में सर्वे के दौरान जिन लोगों में कोरोना के लक्षण या जिस परिवार में पिछले दो महीने में किसी की मौत हुई हो उस परिवार के अन्य सदस्यों का रैपिड एंटीजन टेस्ट(एंटीजन किट) कराया जा रहा है. एंटीजन किट की विश्वसनीयता पर शुरू से सवाल उठते रहे हैं कि इसमें 30 से 40% तक फॉल्स रिपोर्टिंग की संभावना होती है. ऐसे में अभी तक ग्रामीण इलाकों में एक लाख 30 हजार 507 लोगों के एंटीजन किट में महज 796 लोगों का कोरोना पॉजिटिव मिलना यह सवाल खड़े करता है कि क्या वास्तव में ग्रामीण इलाकों में कोरोना का संक्रमण इतना कम है या फिर एंटीजन किट से हो रही जांच की रिपोर्ट ही संदिग्ध है.

रैपिड एंटीजन टेस्ट की जांच पर सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि सरकार इस पर भले भरोसा कर रही हो लेकिन आरटीपीसीआर, ट्रू नेट और रैपिड एंटीजन टेस्ट से हुई जांच में पॉजिटिविटी रेट में बड़ा अंतर कई सवाल खड़े करता है. कुछ दिन पहले राज्य में आरटीपीसीआर की पॉजिटिविटी रेट 6.27%, ट्रू नेट का 11.13% और रैपिड एंटीजन किट से जांच की पॉजिटिविटी रेट 1.11% ही था. अब आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर क्यों है यह एक बड़ा सवाल है.

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?

झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन के महासचिव और प्रख्यात डॉक्टर बिमलेश सिंह ने कहा कि एंटीजन किट में यह संभव है कि पॉजिटिव व्यक्ति की भी रिपोर्ट निगेटिव हो लेकिन इसमें रिपोर्ट 15-30 मिनट में ही मिल जाना ही किट को उपयोगी बना देता है. जब संक्रमण तेजी से फैल रहा हो और उसे रोकने के लिए मास लेवल पर टेस्ट जरूरी हो तो ऐसे में एंटीजन किट जांच ही एकमात्र विकल्प है क्योंकि ट्रू नेट जांच में बहुत अधिक संख्या में जांच नहीं हो पाती है और आरटीपीसीआर जांच में काफी समय लग जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी ?

एंटीजन किट जांच के सवाल पर एनएचएम के आईईसी अफसर सिद्धार्थ त्रिपाठी कहते हैं कि जब हर दिन बड़ी संख्या में जांच हो रही है और जल्दी से जल्दी संक्रमित की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करना है तो वैसे में एकमात्र उपाय एंटीजन किट ही है. यह वजह है कि सरकार ज्यादा से ज्यादा एंटीजन किट टेस्ट करा रही है. एंटीजन टेस्ट के फॉल्स रिपोर्टिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना को देखते हुए वैसे संदिग्ध जिसमें कोरोना के लक्षण हैं लेकिन एंटीजन किट में रिपोर्ट निगेटिव आ जाता है उनका ट्रू नेट या आरटीपीसीआर जांच कराया जाता है. उसकी रिपोर्ट आने तक उन्हें आइसोलेशन में रहने को कहा जाता है.

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