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रांचीः पासवा ने प्राइवेट स्कूल संचालकों से किया अनुरोध, स्कूल, ट्यूशन के अतिरिक्त न लें अन्य फीस

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने निजी अस्पतालों के बारे में कहा कि निजी अस्पताल में लोगों से पैसों की वसूली के साथ-साथ उनका शोषण किया जा रहा है. वहीं, निजी स्कूल संचालकों से अनुरोध किया कि स्कूल ट्यूशन फीस के अतिरिक्त कोई अन्य फीस न लें.

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन
पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे
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Published : Sep 21, 2020, 2:18 PM IST

रांचीः प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में निजी स्कूलों के खिलाफ एक साजिश के तहत आमजन में माइंड सेट तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. ये जाहिर किया जा रहा है कि इन शिक्षण संस्थानों में अभिभावकों और विद्यार्थियों का आर्थिक दोहन हो रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि शिक्षा के मंदिर में नहीं बल्कि निजी अस्पतालों में आमजनों का आर्थिक दोहन हो रहा है.

पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे
निजी अस्पतालों में पैसों की वसूली

झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी अस्पताल में किस तरह से लोगों का शोषण हो रहा है. यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है. इन अस्पतालों में जान बचे या जाए, लोगों से पैसे की वसूली की जा रही है. कभी बिना जरुरत मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की बात आती है, तो कभी मौत के बाद भी इलाज जारी रखने का ढोंग और कभी किडनी और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग को निकाल कर बेचने की शिकायत भी सामने आती है. वहीं, कई मौके पर पैसे नहीं देने पर शव देने से भी इनकार कर दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें- चतरा: 7 सालों से दर्द से तड़प रहा मोहन, इलाज के अभाव में खाट पर कट रही जिंदगी

निजी स्कूलों को खत्म करने की साजिश

दूसरी तरफ एक साजिश के तहत निजी स्कूलों को खत्म करने की साजिश की जा रही है. शिक्षा के मंदिर में जहां अभिभावकों से थोड़ी बहुत सहायता लेकर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है. वैसे शिक्षण संस्थानों को बदनाम करने की साजिश को बेनकाब करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि झारखंड में 20 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हैं, जो करोना महामारी में भी ऑनलाइन क्लास लेकर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. झारखंड के सरकारी विद्यालयों की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है. सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को समय पर तनख्वाह तो मिलती हैं, लेकिन पढ़ाई नहीं होती. प्राइवेट स्कूल के प्रति आम जनों का अनादर का भाव अच्छे संकेत नहीं हैं. स्कूल फीस अगर विद्यालय ले रहे हैं तो कोई गुनाह नहीं कर रहे हैं.

मासिक फीस देने का अनुरोध

झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि मासिक स्कूल फीस अवश्य दें. वरना स्कूल बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा और लाखों शिक्षक कर्मचारी के बीच भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. इसके साथ ही लाखों बच्चों का भविष्य अधर में लटक जाएगा. वहीं, उन्होंने निजी विद्यालयों के संचालकों से भी अनुरोध किया कि वह स्कूल ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य फीस अभी नहीं लें.

रांचीः प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में निजी स्कूलों के खिलाफ एक साजिश के तहत आमजन में माइंड सेट तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. ये जाहिर किया जा रहा है कि इन शिक्षण संस्थानों में अभिभावकों और विद्यार्थियों का आर्थिक दोहन हो रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि शिक्षा के मंदिर में नहीं बल्कि निजी अस्पतालों में आमजनों का आर्थिक दोहन हो रहा है.

पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे
निजी अस्पतालों में पैसों की वसूली

झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी अस्पताल में किस तरह से लोगों का शोषण हो रहा है. यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है. इन अस्पतालों में जान बचे या जाए, लोगों से पैसे की वसूली की जा रही है. कभी बिना जरुरत मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की बात आती है, तो कभी मौत के बाद भी इलाज जारी रखने का ढोंग और कभी किडनी और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग को निकाल कर बेचने की शिकायत भी सामने आती है. वहीं, कई मौके पर पैसे नहीं देने पर शव देने से भी इनकार कर दिया जाता है.

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निजी स्कूलों को खत्म करने की साजिश

दूसरी तरफ एक साजिश के तहत निजी स्कूलों को खत्म करने की साजिश की जा रही है. शिक्षा के मंदिर में जहां अभिभावकों से थोड़ी बहुत सहायता लेकर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है. वैसे शिक्षण संस्थानों को बदनाम करने की साजिश को बेनकाब करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि झारखंड में 20 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हैं, जो करोना महामारी में भी ऑनलाइन क्लास लेकर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. झारखंड के सरकारी विद्यालयों की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है. सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को समय पर तनख्वाह तो मिलती हैं, लेकिन पढ़ाई नहीं होती. प्राइवेट स्कूल के प्रति आम जनों का अनादर का भाव अच्छे संकेत नहीं हैं. स्कूल फीस अगर विद्यालय ले रहे हैं तो कोई गुनाह नहीं कर रहे हैं.

मासिक फीस देने का अनुरोध

झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि मासिक स्कूल फीस अवश्य दें. वरना स्कूल बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा और लाखों शिक्षक कर्मचारी के बीच भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. इसके साथ ही लाखों बच्चों का भविष्य अधर में लटक जाएगा. वहीं, उन्होंने निजी विद्यालयों के संचालकों से भी अनुरोध किया कि वह स्कूल ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य फीस अभी नहीं लें.

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