ETV Bharat / state

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी का विरोधः नक्सलियों का चार राज्यों में तीन दिन बंद का ऐलान, नक्सलियों ने लगाए पोस्टर

बिहार-झारखंड में माओवादियों के सुप्रीम कमांडर प्रशांत बोस और गढ़ चिरौली मुठभेड़ में 26 नक्सलियों के मारे जाने से नक्सली बौखला गए है. अभी नक्सलियों ने 20 नवंबर को भारत बंद (Bharat band) का आह्वान किया था, अब चार राज्यों में 23 नवंबर से तीन दिन के बंद का ऐलान किया है.

protest-against-arrest-of-prashant-bose-naxalites-announce-three-day-band-in-four-states-naxalites-put-up-posters
प्रशांत बोस की गिरफ्तारी का विरोध
author img

By

Published : Nov 21, 2021, 4:02 PM IST

रांचीः भाकपा माओवादियों ने अपने केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रशांत बोस (Prashant bose) और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के विरोध में अब चार राज्यों में तीन दिवसीय बंद (three day band of naxalites) का ऐलान कर दिया है. बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भाकपा माओवादियों ने 23 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक बंद का ऐलान किया है. इस संबंध में माओवादियों की ओर से पोस्टर लगाए गए हैं. इससे पहले इसी 20 नवंबर को माओवादियों ने भारत बंद (Bharat band) का ऐलान किया था. बंद के दौरान झारखंड में कई जगह रेलवे ट्रैक को निशाना बनाया गया था.

ये भी पढ़ें-Naxal Attack: अलर्ट हुई गिरिडीह पुलिस, डुमरी पथ पर रोका गया आवागमन

माओवादियों के पत्र में क्या लिखा है

भाकपा माओवादियों की बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश सीमांत रीजनल कमेटी की ओर से अलग-अलग इलाकों में पोस्टर लगाकर चार राज्यों में तीन दिवसीय बंद का ऐलान किया गया है. पोस्टर में बताया गया है कि 12 नवंबर की सुबह संगठन के वरिष्ठ और बुजुर्ग केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो के मेंबर प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और उनकी पत्नी केंद्रीय कमेटी तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो सदस्य शीला मरांडी को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने दोनों को उस समय गिरफ्तार किया जब वे अपना इलाज कराने के लिए जा रहे थे.

Protest against arrest of Prashant Bose Naxalites announce three day band in four states Naxalites put up posters
प्रशांत बोस की गिरफ्तारी का विरोधः नक्सलियों का चार राज्यों में तीन दिन बंद का ऐलान

माओवादियों ने यह आरोप लगाया है कि दोनों पर पुलिस जुल्म कर रही है. दोनों को इलाज की जरूरत है लेकिन इसके बावजूद उन्हें जेल भेज दिया गया. माओवादियों का कहना है कि 75 वर्षीय किशन दा और 61 वर्षीय शीला दोनों ही वृद्ध हैं और अस्वस्थ चल रहे हैं. लेकिन पुलिस हिरासत में रखकर पूछताछ के दौरान उन्हें घोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जा रहीं हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुठभेड़ में 26 नक्सलियों के मारे जाने को लेकर भी माओवादियों ने ऐलान किया है. माओवादियों का कहना है कि 26 साथियों को मारने वाले पुलिसकर्मियों को संगठन सजा देगा.



जेल की सुरक्षा बढ़ाई गई, अलर्ट पर पुलिस

दूसरी तरफ रिमांड अवधि खत्म होने के बाद प्रशांत बोस और शीला मरांडी को कड़ी सुरक्षा के बीच रांची से सरायकेला जेल भेज दिया गया है. प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद झारखंड पुलिस भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. सरायकेला जेल की सुरक्षा पहले से ही बढ़ा दी गई है. इसी जेल में प्रशांत बोस और उनकी पत्नी बंद हैं. वहीं नक्सलियों के बंद को देखते हुए भी नक्सल प्रभावित जिलों के प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है. सुरक्षाबलों को अभियान में पूरी सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया गया है.

गढ़चिरौली मुठभेड़ के विरोध में इन राज्यों में बंद का ऐलान

इधर, प्रशांत बोस की गिरफ्तारी और महाराष्ट्र में गढ़चिरौली में पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में 26 नक्सलियों के मारे जाने के विरोध में 27 नवंबर को छह राज्यों में नक्सलियों ने बंद का ऐलान किया है. केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने रिलीज जारी कर यह जानकारी दी है.


ये भी पढ़ें-बिहार के वैशाली में सड़क किनारे 9 जिंदा बम बरामद, इलाके में मची अफरा-तफरी

20 सालों में माओवादियों को सबसे बड़ा झटका

देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस और शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ा झटका है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था और न ही मारा गया था. साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर थे. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों के प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था, जिसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था. तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए प्रशांत बोस के लिए पालकी बनाई गई थी.

पांच दशक से था सक्रिय

भाकपा माओवादियों का पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस के साथ केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी.

रांचीः भाकपा माओवादियों ने अपने केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रशांत बोस (Prashant bose) और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के विरोध में अब चार राज्यों में तीन दिवसीय बंद (three day band of naxalites) का ऐलान कर दिया है. बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भाकपा माओवादियों ने 23 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक बंद का ऐलान किया है. इस संबंध में माओवादियों की ओर से पोस्टर लगाए गए हैं. इससे पहले इसी 20 नवंबर को माओवादियों ने भारत बंद (Bharat band) का ऐलान किया था. बंद के दौरान झारखंड में कई जगह रेलवे ट्रैक को निशाना बनाया गया था.

ये भी पढ़ें-Naxal Attack: अलर्ट हुई गिरिडीह पुलिस, डुमरी पथ पर रोका गया आवागमन

माओवादियों के पत्र में क्या लिखा है

भाकपा माओवादियों की बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश सीमांत रीजनल कमेटी की ओर से अलग-अलग इलाकों में पोस्टर लगाकर चार राज्यों में तीन दिवसीय बंद का ऐलान किया गया है. पोस्टर में बताया गया है कि 12 नवंबर की सुबह संगठन के वरिष्ठ और बुजुर्ग केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो के मेंबर प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और उनकी पत्नी केंद्रीय कमेटी तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो सदस्य शीला मरांडी को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने दोनों को उस समय गिरफ्तार किया जब वे अपना इलाज कराने के लिए जा रहे थे.

Protest against arrest of Prashant Bose Naxalites announce three day band in four states Naxalites put up posters
प्रशांत बोस की गिरफ्तारी का विरोधः नक्सलियों का चार राज्यों में तीन दिन बंद का ऐलान

माओवादियों ने यह आरोप लगाया है कि दोनों पर पुलिस जुल्म कर रही है. दोनों को इलाज की जरूरत है लेकिन इसके बावजूद उन्हें जेल भेज दिया गया. माओवादियों का कहना है कि 75 वर्षीय किशन दा और 61 वर्षीय शीला दोनों ही वृद्ध हैं और अस्वस्थ चल रहे हैं. लेकिन पुलिस हिरासत में रखकर पूछताछ के दौरान उन्हें घोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जा रहीं हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुठभेड़ में 26 नक्सलियों के मारे जाने को लेकर भी माओवादियों ने ऐलान किया है. माओवादियों का कहना है कि 26 साथियों को मारने वाले पुलिसकर्मियों को संगठन सजा देगा.



जेल की सुरक्षा बढ़ाई गई, अलर्ट पर पुलिस

दूसरी तरफ रिमांड अवधि खत्म होने के बाद प्रशांत बोस और शीला मरांडी को कड़ी सुरक्षा के बीच रांची से सरायकेला जेल भेज दिया गया है. प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद झारखंड पुलिस भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. सरायकेला जेल की सुरक्षा पहले से ही बढ़ा दी गई है. इसी जेल में प्रशांत बोस और उनकी पत्नी बंद हैं. वहीं नक्सलियों के बंद को देखते हुए भी नक्सल प्रभावित जिलों के प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है. सुरक्षाबलों को अभियान में पूरी सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया गया है.

गढ़चिरौली मुठभेड़ के विरोध में इन राज्यों में बंद का ऐलान

इधर, प्रशांत बोस की गिरफ्तारी और महाराष्ट्र में गढ़चिरौली में पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में 26 नक्सलियों के मारे जाने के विरोध में 27 नवंबर को छह राज्यों में नक्सलियों ने बंद का ऐलान किया है. केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने रिलीज जारी कर यह जानकारी दी है.


ये भी पढ़ें-बिहार के वैशाली में सड़क किनारे 9 जिंदा बम बरामद, इलाके में मची अफरा-तफरी

20 सालों में माओवादियों को सबसे बड़ा झटका

देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस और शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ा झटका है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था और न ही मारा गया था. साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर थे. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों के प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था, जिसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था. तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए प्रशांत बोस के लिए पालकी बनाई गई थी.

पांच दशक से था सक्रिय

भाकपा माओवादियों का पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस के साथ केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.