रांचीः कृषि उत्पाद की खरीद बिक्री पर सरकार की ओर से 2 प्रतिशत कृषि बाजार शुल्क लगाया गया है. इस शुल्क के खिलाफ बुधवार को झारखंड के थोक खाद्यान्न व्यापारियों ने व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. खाद्यान्न व्यवसायियों के आह्वान पर रांची के पंडरा बाजार, अपर बाजार, राइस और फ्लोर मिल्स बंद हैं. एक दिन की बंदी के कारण 80 से 100 करोड़ के कारोबार प्रभावित होने की संभावना है.
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राज्य के थोक कृषि उत्पाद व्यापारियों ने बताया कि झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2023 के जरिये कृषि बाजार शुल्क के रूप में 2 प्रतिशत टैक्स वसूलना चाहती है. उन्होंने कहा कि साल 2015 में जिस व्यवस्था को रघुवर दास की सरकार ने समाप्त किया, उस व्यवस्था को यह सरकार फिर ला रही है. इसका असर आम जनता पर पड़ेगा. लोगों को खाद्यान्न महंगे दर पर मिलेगा. उन्होंने कहा कि जनता पहले से ही महंगाई की मार झेल रही है और इस विधेयक के लागू होने से चावल, दाल, गेंहू, मोटा अनाज और मसाला आदि महंगा हो जाएगा.
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने बताया कि झारखंड के पड़ोसी राज्यों में कृषि उत्पाद पर बाजार शुल्क नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि राज्य के सीमावर्ती इलाके के थोक व्यापारी पड़ोसी राज्यों से अनाज उठायेंगे. इससे व्यापारियों को 2 प्रतिशत की बचत होगी. लेकिन जनता को नुकसान होगा. वहीं, राज्य के बड़ी संख्या में व्यापारियों को भी नुकसान झेलना पड़ेगा.
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के बैनर तले बुधवार को एक बैठक आयोजित की गई है. इस बैठक में इस विधेयक के विरोध में आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. संगम गार्डन में आयोजित बैठक में व्यवसायियों ने कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार व्यवसायी विरोधी है. पूर्वी सिंहभूम से आये व्यवसायियों ने कहा कि व्यवसायी अनुनय विनय ना करें, बल्कि जोरदार आंदोलन करने की जरूरत है.