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विश्व आदिवासी दिवस: बेड़ो में कार्यक्रम का आयोजन, सरना कोड लागू करने की उठी मांग

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Published : Aug 9, 2020, 8:34 PM IST

रांची में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान भी रखा गया. कार्यक्रम का शुभारंभ धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया गया.

Event organized in Bedo
बेड़ो में कार्यक्रम का आयोजन

बेड़ो, रांची: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर रविवार को बेड़ो महादानी मैदान स्थित रंगमंच में लॉकडाउन का पालन करते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रखंड प्रमुख महतो भगत की अगुवाई में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसका शुभारंभ धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर महतो भगत, विकास उरांव, जीवन उरांव, चुमानी उरांव द्वारा किया गया. वक्ताओं ने मौके पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त 1994 विश्व आदिवासी दिवस की घोषणा की गई थी. ताकि आदिवासियों को संरक्षित कर इनकी रक्षा की जाए, तब से 90 देशों में लगभग सात हजार भाषा बोलने वाले किसी न किसी रूप में एकत्र होकर मनाते आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड में कुल 32 जनजातियों का है निवास स्थान, जानिए कौन-कौन से है जनजाति और आदिम जनजाति

झारखंड में 32 प्रकार के आदिवासी निवास करते हैं, जिनकी आबादी में पहले की तुलना में लगभग सात प्रतिशत की कमी आई है, जो एक चिंता का विषय है. जल जंगल जमीन की रक्षा करने आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानी है. वक्ताओं में जीवन उरांव, विकास उरांव, सुखदेव उरांव, चारो उरांव ने कहा कि सरकार हमारे प्रति गंभीर होकर 2021 के जनगणना में सरना कोड लागू करे. साथ ही सविधान की पांचवी अनुसूची को मजबूती से लागू करे. कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन मन्ना खेस द्वारा किया गया. इस मौके पर संतोष लकड़ा, लीला मुंडा, जतरु उरांव, बिरसा उरांव, सुदर्शन उरांव, अनिल उरांव, महादेव उरांव, विडियो उरांव, पंचू उरांव, बेला उरांव और जेठो उरांव समेत कई लोग शामिल थे. कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन सुका उरांव ने किया.

बेड़ो, रांची: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर रविवार को बेड़ो महादानी मैदान स्थित रंगमंच में लॉकडाउन का पालन करते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रखंड प्रमुख महतो भगत की अगुवाई में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसका शुभारंभ धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर महतो भगत, विकास उरांव, जीवन उरांव, चुमानी उरांव द्वारा किया गया. वक्ताओं ने मौके पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त 1994 विश्व आदिवासी दिवस की घोषणा की गई थी. ताकि आदिवासियों को संरक्षित कर इनकी रक्षा की जाए, तब से 90 देशों में लगभग सात हजार भाषा बोलने वाले किसी न किसी रूप में एकत्र होकर मनाते आ रहे हैं.

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झारखंड में 32 प्रकार के आदिवासी निवास करते हैं, जिनकी आबादी में पहले की तुलना में लगभग सात प्रतिशत की कमी आई है, जो एक चिंता का विषय है. जल जंगल जमीन की रक्षा करने आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानी है. वक्ताओं में जीवन उरांव, विकास उरांव, सुखदेव उरांव, चारो उरांव ने कहा कि सरकार हमारे प्रति गंभीर होकर 2021 के जनगणना में सरना कोड लागू करे. साथ ही सविधान की पांचवी अनुसूची को मजबूती से लागू करे. कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन मन्ना खेस द्वारा किया गया. इस मौके पर संतोष लकड़ा, लीला मुंडा, जतरु उरांव, बिरसा उरांव, सुदर्शन उरांव, अनिल उरांव, महादेव उरांव, विडियो उरांव, पंचू उरांव, बेला उरांव और जेठो उरांव समेत कई लोग शामिल थे. कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन सुका उरांव ने किया.

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