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RBC के लिये थैलेसीमिया के मरीजों को रिम्स का भरोसा, जिला अस्पताल में भी नहीं है कोई व्यवस्था

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Published : Nov 24, 2020, 5:25 AM IST

Updated : Nov 28, 2020, 10:21 PM IST

झारखंड में थैलेसीमिया के मरीजों को आज भी आरबीसी के लिये रिम्स के भरोसे ही रहना पड़ता है. इसका खास वजह यह है कि ब्लड से आरबीसी निकालने के लिए रिम्स के अलावा रांची के सदर अस्पताल में शुरू नहीं हो पाया है. पूरे राज्य में सिर्फ रिम्स में ही ब्लड से प्लाज्मा, आरबीसी और प्लेटलेट्स सेपरेट करने की मशीन उप्लब्ध है. इस वजह से पूरे राज्य के मरीजों को रिम्स के भरोसे ही रहना पड़ता है.

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RCB के लिये थैलेसीमिया के मरीजों को रिम्स का भरोसा

रांची: राज्य में थैलेसीमिया के मरीजों को आज भी आरबीसी के लिये रिम्स के भरोसे रहना पड़ता है, क्योंकि ब्लड से आरबीसी निकालने की व्यवस्था अभी तक राजधानी के किसी सदर अस्पताल में शुरू नहीं हो पाया है. यही वजह है कि सभी अस्पताल थैलेसीमिया के मरीजों को आरबीसी देने के लिए रिम्स के भरोसे रहने को मजबूर हैं.

देखें स्पेशल खबर

थैलेसीमिया के मरीजों की परेशानी

पूरे राज्य में सिर्फ रिम्स में ही ब्लड से प्लाज्मा, आरबीसी और प्लेटलेट्स सेपरेट करने की मशीन उप्लब्ध है. इस वजह से पूरे राज्य के मरीजों को रिम्स के भरोसे ही रहना पड़ता है. खूंटी के रोशन टूटी नाम के एक व्यक्ति का बच्चा थैलेसीमिया से ग्रसित है और अपने बच्चे के लिए आरबीसी लेने वह हर महीने रिम्स पहुंचते हैं. रोशन टूची बताते हैं कि खून और आरबीसी लेने के लिए बार-बार उन्हें रिम्स आना पड़ता है, क्योंकि उनके जिला में थैलेसीमिया के मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण रिम्स में कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है, क्योंकि होल ब्लड से पिक्सेल और आरबीसी निकालने में कहीं ना कहीं समय का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है, जिसका खमियाजा रिम्स में भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-रांचीः घर से युवक का शव बरामद, आत्महत्या या हत्या गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस

थैलेसीमिया के मरीजों आना पड़ता हैं रांची

बोकारो से आए एक मरीज बताते हैं कि अगर सभी जिलों में इस तरह की व्यवस्था कर दी जाए तो थैलेसीमिया के मरीजों को अपने जिले से दूर रांची नहीं आना पड़ेगा. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब रांची सदर अस्पताल में जानकारी ली. इस दौरान सदर अस्पताल ब्लड बैंक के इंचार्ज ने बताया कि इसे लेकर रांची सदर में भी सभी तरह के मशीन लगा दिए गए हैं. कुछ महीनों में इसकी शुरुआत हो जाएगी. इसकी शुरुआत होने से कहीं ना कहीं राज्य के मरीजों को राहत मिलेगी और रिम्स में भी काम का बोझ घटेगा.

राज्य में करीब एक लाख थैलेसीमिया के हैं मरीज

राज्य में करीब एक लाख की संख्या में थैलेसीमिया के मरीज हैं और थेलेसिमीया के मरीजों को महीने में एक से दो बार ब्लड से निकाले गये तत्व आरबीसी की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में ब्लड से निकाले गये तत्व आरबीसी के लिये मरीजों को रांची रिम्स का इंतिजार करना पड़ता है, जिससे कहीं ना कहीं मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर आरबीसी निकालने के लिये हर जिले में मशीन लगा दिया तो वह राज्य के गरीब लोगों के लिये सीधा लाभदायक होगा. थैलेसीमिया मरीजों के लिए काम कर रहे संतोष कुमार जयसवाल बताते हैं की वर्तमान समय में राज्य के किसी भी जिला अस्पतालों में आरबीसी प्लाज्मा और प्लेटलेट्स को अलग करने के लिए मशीन की सुविधा नहीं है. इस वजह से रक्त संबंधित बीमारियों से ग्रसित मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

कैसे मिलता है थेलिसिमिया के मरीजों को ब्लड

थैलेसीमिया एक जन्मजात बीमारी है, जो कि बचपन से ही बच्चों में पाई जाती है. ऐसे में बच्चे के शरीर में समय-समय पर ब्लड की कमी हो जाती है और उसका हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है, इसीलिए हिमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए बच्चे के शरीर में महीने में एक से दो बार ब्लड से निकाले गए आरबीसी को दिया जाता है, जिसके लिए दूर-दूर से मरीजों को रांची आना पड़ता है. मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग राज्य के विभिन्न जिला अस्पतालों में ब्लड से आरबीसी निकालने वाली मशीन को लगाने के लिये लगातार प्रयासरत है, ताकि राजभर के मरीजों को रिम्स के भरोसे ना रहना पड़े और उन्हें सही समय पर ब्लड और आरबीसी की आवश्यकता पूरी हो जाए.

रांची: राज्य में थैलेसीमिया के मरीजों को आज भी आरबीसी के लिये रिम्स के भरोसे रहना पड़ता है, क्योंकि ब्लड से आरबीसी निकालने की व्यवस्था अभी तक राजधानी के किसी सदर अस्पताल में शुरू नहीं हो पाया है. यही वजह है कि सभी अस्पताल थैलेसीमिया के मरीजों को आरबीसी देने के लिए रिम्स के भरोसे रहने को मजबूर हैं.

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थैलेसीमिया के मरीजों की परेशानी

पूरे राज्य में सिर्फ रिम्स में ही ब्लड से प्लाज्मा, आरबीसी और प्लेटलेट्स सेपरेट करने की मशीन उप्लब्ध है. इस वजह से पूरे राज्य के मरीजों को रिम्स के भरोसे ही रहना पड़ता है. खूंटी के रोशन टूटी नाम के एक व्यक्ति का बच्चा थैलेसीमिया से ग्रसित है और अपने बच्चे के लिए आरबीसी लेने वह हर महीने रिम्स पहुंचते हैं. रोशन टूची बताते हैं कि खून और आरबीसी लेने के लिए बार-बार उन्हें रिम्स आना पड़ता है, क्योंकि उनके जिला में थैलेसीमिया के मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण रिम्स में कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है, क्योंकि होल ब्लड से पिक्सेल और आरबीसी निकालने में कहीं ना कहीं समय का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है, जिसका खमियाजा रिम्स में भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ता है.

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थैलेसीमिया के मरीजों आना पड़ता हैं रांची

बोकारो से आए एक मरीज बताते हैं कि अगर सभी जिलों में इस तरह की व्यवस्था कर दी जाए तो थैलेसीमिया के मरीजों को अपने जिले से दूर रांची नहीं आना पड़ेगा. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब रांची सदर अस्पताल में जानकारी ली. इस दौरान सदर अस्पताल ब्लड बैंक के इंचार्ज ने बताया कि इसे लेकर रांची सदर में भी सभी तरह के मशीन लगा दिए गए हैं. कुछ महीनों में इसकी शुरुआत हो जाएगी. इसकी शुरुआत होने से कहीं ना कहीं राज्य के मरीजों को राहत मिलेगी और रिम्स में भी काम का बोझ घटेगा.

राज्य में करीब एक लाख थैलेसीमिया के हैं मरीज

राज्य में करीब एक लाख की संख्या में थैलेसीमिया के मरीज हैं और थेलेसिमीया के मरीजों को महीने में एक से दो बार ब्लड से निकाले गये तत्व आरबीसी की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में ब्लड से निकाले गये तत्व आरबीसी के लिये मरीजों को रांची रिम्स का इंतिजार करना पड़ता है, जिससे कहीं ना कहीं मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर आरबीसी निकालने के लिये हर जिले में मशीन लगा दिया तो वह राज्य के गरीब लोगों के लिये सीधा लाभदायक होगा. थैलेसीमिया मरीजों के लिए काम कर रहे संतोष कुमार जयसवाल बताते हैं की वर्तमान समय में राज्य के किसी भी जिला अस्पतालों में आरबीसी प्लाज्मा और प्लेटलेट्स को अलग करने के लिए मशीन की सुविधा नहीं है. इस वजह से रक्त संबंधित बीमारियों से ग्रसित मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

कैसे मिलता है थेलिसिमिया के मरीजों को ब्लड

थैलेसीमिया एक जन्मजात बीमारी है, जो कि बचपन से ही बच्चों में पाई जाती है. ऐसे में बच्चे के शरीर में समय-समय पर ब्लड की कमी हो जाती है और उसका हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है, इसीलिए हिमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए बच्चे के शरीर में महीने में एक से दो बार ब्लड से निकाले गए आरबीसी को दिया जाता है, जिसके लिए दूर-दूर से मरीजों को रांची आना पड़ता है. मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग राज्य के विभिन्न जिला अस्पतालों में ब्लड से आरबीसी निकालने वाली मशीन को लगाने के लिये लगातार प्रयासरत है, ताकि राजभर के मरीजों को रिम्स के भरोसे ना रहना पड़े और उन्हें सही समय पर ब्लड और आरबीसी की आवश्यकता पूरी हो जाए.

Last Updated : Nov 28, 2020, 10:21 PM IST
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