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2G नेटवर्क तय करता है झारखंड के गरीबों का निवाला, जानिए क्या है माजरा? - PDS in Ranchi

भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद झारखंड में 2G इनेबल्ड ई पोस मशीन का इस्तेमाल हो रहा है. पीडीएस दुकानदारों को राशन देने के लिए नेटवर्क ढूंढना पड़ता है. मोबाइल नेटवर्क ना होने से जन वितरण प्रणाली का राशन मिलने में परेशानी हो रही, इससे गरीब लोग खासे परेशान हैं.

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राशन डीलर
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Published : Jan 17, 2022, 8:00 PM IST

Updated : Jan 17, 2022, 9:57 PM IST

रांचीः जल, जंगल और पहाड़ झारखंड की पहचान है. लेकिन यही खूबसूरती मोबाइल नेटवर्क के भी आड़े आती है. लेकिन आश्चर्य की बात है कि भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद झारखंड में 2G इनेबल्ड ई पोस मशीन का इस्तेमाल हो रहा है. जिसकी वजह से जन वितरण प्रणाली का राशन लेने के लिए दुकानदार को घूम-घूमकर नेटवर्क ढूंढना पड़ता है. आलम यह है कि जिस ई पोस मशीन की कीमत 25 हजार रुपए है उसे खरीदने के बजाए भाड़ा मद में अब तक सरकार प्रति ई पोस मशीन 45 हजार खर्च कर चुकी है.

इसे भी पढ़ें- राशन की जद्दोजहद: अंगूठा लगाने के लिए जंगल से पहाड़ तक दौड़ लगाते हैं लाभुक, जानिये क्यों ?

झारखंड में राशन डीलर के इस्तेमाल के लिए खरीदे गए इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (E-POS) मशीन पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने सवाल खड़ा करते हुए सनसनी फैला दी थी. सदन में कांग्रेस के उपनेता प्रदीप यादव ने आरोप लगाया कि 24 हजार रुपए के एक मशीन का सरकार 5 सालों से 45 हजार रुपए किराया देते आ रही है. उन्होंने पूछा कि सैकड़ों करोड़ रेंट देने की जगह क्या सरकार इसका वैकल्पिक इंतजाम नहीं कर सकती थी? इसके जवाब में खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने सदन में कहा था कि सरकार इसमें पैसा खर्च करने की जगह बचाई है. उन्होंने कहा कि शर्तों के मुताबिक 5 साल तक रेंट देने के बाद अब यह ई पॉस मशीन सरकार का हो गया है. अब केवल इसके मेंटेंनेंस चार्ज के लिए सरकार को 22 करोड़ रुपए खर्च करना होगा जो पहले 50 करोड़ रुपए देते थे. सरकार अगर नई मशीन लेती तो 1 अरब रुपए का खर्च आता.

देखें पूरी खबर


खराब नेटवर्क से परेशान होते हैं डीलर और विभागीय अधिकारीः संचार क्रांति के इस युग में जहां अब 5G की बातें हो रही है. वहीं झारखंड में 2G नेटवर्क के जरिए पीडीएस सिस्टम चल रहा है. खराब नेटवर्क के कारण ई पॉस मशीन आए दिन फंक्शन नहीं करती है. डीलर की शिकायत पर स्थानीय आपूर्ति पदाधिकारी विभाग को सूचित तो करते हैं मगर अब तक यह अनसुनी होता रहा है. अरगोड़ा में अपनी पत्नी आशा देवी के नाम पर पीडीएस चलाने वाले बेहद परेशान है. खराब नेटवर्क के कारण ई पॉस मशीन आए दिन काम करना बंद हो जाता है जिसके कारण आम लोगों को राशन नहीं मिलता.

इसे भी पढ़ें- नेटवर्क नहीं तो अनाज नहींः ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

जिला आपूर्ति पदाधिकारी अलबर्ट बिलुंग भी आए दिन ई पॉस को लेकर आ रही शिकायतों से खासे नाराज हैं. अलबर्ट बिलुंग भी मानते हैं कि 2जी संचालित ई पॉस मशीन आउटडेटेड हो चुका है जिसके कारण परेशानी होती है. इधर सरकारी इस सिस्टम पर बीजेपी ने तंज कसते हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की आशंका जताई है. पूर्व नगर विकास मंत्री और रांची के बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने ई पॉस मशीन के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार पर सरकार की जमकर आलोचना की है. झारखंड में 24 हजार 521 सार्वजनिक वितरण की दुकान ऑनलाइन व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं. वहीं 910 ऑफलाइन डीलर हैं. सर्वर के माध्यम से ऑनलाइन जुड़े ई पॉस मशीन से लोगों को सरकारी राशन मुहैया कराया जाता है. विडंबना यह है कि पुराने और ओल्ड वर्जन की ये ई पॉस मशीनें आए दिन खराब हो जाने के कारण आम लोगों के साथ साथ डीलर और सरकारी अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन चुका है.

रांचीः जल, जंगल और पहाड़ झारखंड की पहचान है. लेकिन यही खूबसूरती मोबाइल नेटवर्क के भी आड़े आती है. लेकिन आश्चर्य की बात है कि भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद झारखंड में 2G इनेबल्ड ई पोस मशीन का इस्तेमाल हो रहा है. जिसकी वजह से जन वितरण प्रणाली का राशन लेने के लिए दुकानदार को घूम-घूमकर नेटवर्क ढूंढना पड़ता है. आलम यह है कि जिस ई पोस मशीन की कीमत 25 हजार रुपए है उसे खरीदने के बजाए भाड़ा मद में अब तक सरकार प्रति ई पोस मशीन 45 हजार खर्च कर चुकी है.

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झारखंड में राशन डीलर के इस्तेमाल के लिए खरीदे गए इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (E-POS) मशीन पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने सवाल खड़ा करते हुए सनसनी फैला दी थी. सदन में कांग्रेस के उपनेता प्रदीप यादव ने आरोप लगाया कि 24 हजार रुपए के एक मशीन का सरकार 5 सालों से 45 हजार रुपए किराया देते आ रही है. उन्होंने पूछा कि सैकड़ों करोड़ रेंट देने की जगह क्या सरकार इसका वैकल्पिक इंतजाम नहीं कर सकती थी? इसके जवाब में खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने सदन में कहा था कि सरकार इसमें पैसा खर्च करने की जगह बचाई है. उन्होंने कहा कि शर्तों के मुताबिक 5 साल तक रेंट देने के बाद अब यह ई पॉस मशीन सरकार का हो गया है. अब केवल इसके मेंटेंनेंस चार्ज के लिए सरकार को 22 करोड़ रुपए खर्च करना होगा जो पहले 50 करोड़ रुपए देते थे. सरकार अगर नई मशीन लेती तो 1 अरब रुपए का खर्च आता.

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खराब नेटवर्क से परेशान होते हैं डीलर और विभागीय अधिकारीः संचार क्रांति के इस युग में जहां अब 5G की बातें हो रही है. वहीं झारखंड में 2G नेटवर्क के जरिए पीडीएस सिस्टम चल रहा है. खराब नेटवर्क के कारण ई पॉस मशीन आए दिन फंक्शन नहीं करती है. डीलर की शिकायत पर स्थानीय आपूर्ति पदाधिकारी विभाग को सूचित तो करते हैं मगर अब तक यह अनसुनी होता रहा है. अरगोड़ा में अपनी पत्नी आशा देवी के नाम पर पीडीएस चलाने वाले बेहद परेशान है. खराब नेटवर्क के कारण ई पॉस मशीन आए दिन काम करना बंद हो जाता है जिसके कारण आम लोगों को राशन नहीं मिलता.

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जिला आपूर्ति पदाधिकारी अलबर्ट बिलुंग भी आए दिन ई पॉस को लेकर आ रही शिकायतों से खासे नाराज हैं. अलबर्ट बिलुंग भी मानते हैं कि 2जी संचालित ई पॉस मशीन आउटडेटेड हो चुका है जिसके कारण परेशानी होती है. इधर सरकारी इस सिस्टम पर बीजेपी ने तंज कसते हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की आशंका जताई है. पूर्व नगर विकास मंत्री और रांची के बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने ई पॉस मशीन के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार पर सरकार की जमकर आलोचना की है. झारखंड में 24 हजार 521 सार्वजनिक वितरण की दुकान ऑनलाइन व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं. वहीं 910 ऑफलाइन डीलर हैं. सर्वर के माध्यम से ऑनलाइन जुड़े ई पॉस मशीन से लोगों को सरकारी राशन मुहैया कराया जाता है. विडंबना यह है कि पुराने और ओल्ड वर्जन की ये ई पॉस मशीनें आए दिन खराब हो जाने के कारण आम लोगों के साथ साथ डीलर और सरकारी अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन चुका है.

Last Updated : Jan 17, 2022, 9:57 PM IST
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