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रिम्स के जांच घर से ज्यादा सस्ता निजी जांच घर, मरीज बाहर जांच कराने को मजबूर, अस्पताल और छात्रों को होता है सीधा नुकसान

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Published : Jan 10, 2020, 3:05 AM IST

रिम्स अस्पताल का जांच घर महंगा होने की वजह से मरीजों को रिम्स के बाहर निजी जांच घर जांच कराने जाना पड़ता है. रिम्स में बना जांच घर के जांच की दरें रिम्स के बाहर निजी जांच की दरों से ज्यादा महंगी है. इसको लेकर रिम्स के निदेशक ने आश्वासन दिया कि जल्द ही जांच घरों की दरों को लेकर बैठक किया जाएगा. जिसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि सरकारी अस्पताल या एम्स के तर्ज पर जांच की दरें तय की जाए.

Private test house cheaper than RIMS test house, patients conduct investigations outside
डिजाइन ईमेज

रांची: रिम्स अस्पताल का जांच घर महंगा होने की वजह से मरीजों को रिम्स के बाहर निजी जांच घर जांच कराने जाना पड़ता है. दरअसल रिम्स में बना जांच घर के जांच की दरें रिम्स के बाहर निजी जांच की दरों से ज्यादा महंगी है, इसलिए मरीज को रिम्स के बाहर जांच घरों से जांच करवानी पड़ती है.

देखें पूरी खबर

वहीं, मिली जानकारी के अनुसार रिम्स में पिछले एक साल से सिटी स्कैन मशीन भी कार्यरत नहीं है. रिम्स परिसर स्थित पीपीपी मोड़ पर चल रहे हेल्थ मैप में मरीजों की ज्यादा भीड़ लगती है, क्योंकि यहां पर रिम्स कि जांच घर से कम पैसे लगते हैं.

रिम्स में एमआरआई और सीटी स्कैन की जांच शुल्क भी अधिक है. जिस कारण मरीजों को मजबूरन रिम्स के बाहर हेल्थ मैप में एमआरआई और सीटी स्कैन कराने जाना पड़ता है. वहीं, रिम्स के जांच घर में जांच कराने पहुंचे मरीजों का भी कहना है कि जब इलाज रिम्स अस्पताल में कराते है तो जांच भी रिम्स परिसर में होना चाहिए. इससे मरीजों के साथ-साथ रिम्स को भी लाभ पहुंचेगा.

ये भी देखें- तस्करी के लिए झारखंड और छत्तीसगढ़ से लाई गई 7 लड़कियां रोहतास से बरामद

मुफ्त होनी चाहिए जांच: मरीज
मरीजों का कहना है रिम्स में राज्यभर से गरीब मरीज अपना इलाज कराने आते है, इसीलिए यहां पर जांच की सुविधा भी मुफ्त होनी चाहिए ताकि गरीब मरीजों को मुफ्त में स्वास्थ्य लाभ मिले. एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जैसे सभी जांच रिम्स में मुफ्त किए जाने का प्रावधान है, जबकि इन जांचों के लिए भी मरीजों को हेल्थ मैप में भेज दिया जाता है.

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रिम्स के निदेशक

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन उठा चुका है बात

इसको लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अजीत बताते हैं कि रिम्स में जांच घर की रेट ज्यादा होने का मामला जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने पहले भी उठाया है. उन्होंने बताया कि रिम्स के बाहर हेल्थ मैप जांच घर में मरीजों की संख्या रिम्स के जांच घर से ज्यादा होती है, जो रिम्स को सीधा आर्थिक नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में पढ़ रहे छात्रों को भी इसका सीधा नुकसान होता है, क्योंकि ऐसे में रेडियोलॉजी के छात्रों को कई जांचों की जानकारी भी नहीं हो पाती है.

ये भी देखें- कोर्ट कैंपस में MLA बिटिया से मिले योगेंद्र साव, बड़कागांव कांड से जुड़े मामले में रांची सिविल कोर्ट में हुई सुनवाई

निदेशक ने दिया आश्वासन
रिम्स के जांच घर के जांच दरों को कम करने के लिए जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने निदेशक के सामने इस प्रस्ताव को रखा है ताकि रिम्स में आने वाले मरीजों और कॉलेज में पढ़ रहे रेडियोलॉजी के छात्रों को भी इसका लाभ मिल सके. वहीं, रिम्स के निदेशक ने भी इसको लेकर आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही जांच घरों की दरों को लेकर बैठक किया जाएगा. जिसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि सरकारी अस्पताल या एम्स के तर्ज पर जांच की दरें तय की जाए.

रांची: रिम्स अस्पताल का जांच घर महंगा होने की वजह से मरीजों को रिम्स के बाहर निजी जांच घर जांच कराने जाना पड़ता है. दरअसल रिम्स में बना जांच घर के जांच की दरें रिम्स के बाहर निजी जांच की दरों से ज्यादा महंगी है, इसलिए मरीज को रिम्स के बाहर जांच घरों से जांच करवानी पड़ती है.

देखें पूरी खबर

वहीं, मिली जानकारी के अनुसार रिम्स में पिछले एक साल से सिटी स्कैन मशीन भी कार्यरत नहीं है. रिम्स परिसर स्थित पीपीपी मोड़ पर चल रहे हेल्थ मैप में मरीजों की ज्यादा भीड़ लगती है, क्योंकि यहां पर रिम्स कि जांच घर से कम पैसे लगते हैं.

रिम्स में एमआरआई और सीटी स्कैन की जांच शुल्क भी अधिक है. जिस कारण मरीजों को मजबूरन रिम्स के बाहर हेल्थ मैप में एमआरआई और सीटी स्कैन कराने जाना पड़ता है. वहीं, रिम्स के जांच घर में जांच कराने पहुंचे मरीजों का भी कहना है कि जब इलाज रिम्स अस्पताल में कराते है तो जांच भी रिम्स परिसर में होना चाहिए. इससे मरीजों के साथ-साथ रिम्स को भी लाभ पहुंचेगा.

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मुफ्त होनी चाहिए जांच: मरीज
मरीजों का कहना है रिम्स में राज्यभर से गरीब मरीज अपना इलाज कराने आते है, इसीलिए यहां पर जांच की सुविधा भी मुफ्त होनी चाहिए ताकि गरीब मरीजों को मुफ्त में स्वास्थ्य लाभ मिले. एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जैसे सभी जांच रिम्स में मुफ्त किए जाने का प्रावधान है, जबकि इन जांचों के लिए भी मरीजों को हेल्थ मैप में भेज दिया जाता है.

Private test house cheaper than RIMS test house, patients conduct investigations outside
रिम्स के निदेशक

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन उठा चुका है बात

इसको लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अजीत बताते हैं कि रिम्स में जांच घर की रेट ज्यादा होने का मामला जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने पहले भी उठाया है. उन्होंने बताया कि रिम्स के बाहर हेल्थ मैप जांच घर में मरीजों की संख्या रिम्स के जांच घर से ज्यादा होती है, जो रिम्स को सीधा आर्थिक नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में पढ़ रहे छात्रों को भी इसका सीधा नुकसान होता है, क्योंकि ऐसे में रेडियोलॉजी के छात्रों को कई जांचों की जानकारी भी नहीं हो पाती है.

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निदेशक ने दिया आश्वासन
रिम्स के जांच घर के जांच दरों को कम करने के लिए जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने निदेशक के सामने इस प्रस्ताव को रखा है ताकि रिम्स में आने वाले मरीजों और कॉलेज में पढ़ रहे रेडियोलॉजी के छात्रों को भी इसका लाभ मिल सके. वहीं, रिम्स के निदेशक ने भी इसको लेकर आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही जांच घरों की दरों को लेकर बैठक किया जाएगा. जिसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि सरकारी अस्पताल या एम्स के तर्ज पर जांच की दरें तय की जाए.

Intro:रिम्स अस्पताल का जांच घर महंगा हो जाने की वजह से मरीजों को रिम्स के बाहर निजी जांच घर इलाज कराने जाना पड़ता है।

दरअसल रिम्स में बना जांच घर के जांच की दरें रिम्स के बाहर निजी जांच की दरों से ज़्यादा महंगी है इसलिये मरीज को रिम्स के बाहर जांच घरों से जांच करवानी पड़ती है।

वहीं मिली जानकारी के अनुसार रिम्स में पिछले एक वर्ष से सिटी स्कैन मशीन भी कार्यरत नहीं है।


Body:रिम्स परिसर स्थित पीपीपी मोड पर चल रहे हेल्थ मैप में मरीजों की ज्यादा भीड़ लगती है क्योंकि यहां पर रिम्स कि जांच घर से कम पैसे लगते हैं ।

रिम्स में एम.आर.आई एवं सिटी स्कैन की जांच का शुल्क भी अधिक है जिस कारण मरीजों को मजबूर रिम्स के बाहर हेल्थ मैप में एम.आर.आई और सीटी स्कैन कराने जाना पड़ता है।

वही रिम्स के जांच घर में जांच कराने पहुंचे मरीजों का भी कहना है कि जब इलाज रिम्स अस्पताल में कराते हैं तो जांच भी रिम्स परिसर में होना चाहिए इससे मरीजों के साथ साथ रिम्स को भी लाभ पहुंचेगा।

वहीं मरीजों का कहना है रिम्स में राज्य भर से गरीब मरीज अपना इलाज कराने आते हैं, इसीलिए यहां पर जांच की सुविधा भी मुफ्त होनी चाहिए ताकि गरीब मरीजों को मुफ्त में स्वास्थ्य लाभ मिले।

एम.आर.आई, एक्स-रे अल्ट्रासाउंड जैसे सभी जांच रिम्स में मुफ्त किये जाने का प्रावधान है जबकि इन जांचों के लिए भी मरीजों को हेल्थ मैप में भेज दिया जाता है।


Conclusion:वही इसको लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अजीत बताते हैं कि रिम्स में जांच घर की रेट ज्यादा होने का मामला जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने पहले भी उठाया है।

वहीं उन्होंने बताया कि रिम्स के बाहर हेल्थ मैप जांच घर में मरीजों की संख्या रिम्स के जांच घर से ज्यादा होती है जो रिम्स को सीधा आर्थिक नुकसान पहुंचाता है इसके अलावा रिम्स के रेडियोलोजी विभाग में पढ़ रहे छात्रों को भी इसका सीधा नुकसान होता है क्योंकि ऐसे में रेडियोलोजी के छात्रों को कई जांचों की जानकारी भी नहीं हो पाती है।

इसीलिए रिम्स के जांच घर के जांच दरों को कम करने के लिए जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने निदेशक के सामने इस प्रस्ताव को रखा है ताकि रिम्स में आने वाले मरीजों एवं कॉलेज में पढ़ रहे रेडियोलॉजी के छात्रों को भी इसका लाभ मिल सके।

वही रिम्स के निदेशक ने भी इसको लेकर आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही जांच घरों की दरों को लेकर बैठक किया जाएगा जिसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि सरकारी अस्पताल या एम्स के तर्ज पर जांच की दरें तय की जाये।

बाइट-सोहैल अंसारी,मरीज़
बाइट-डॉ अजित,अध्यक्ष,जेडीए।
बाइट-डॉ डी के सिंह,निदेशक।

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