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इंसान नहीं, दम तोड़ती इंसानियत: आपदा की घड़ी में मरीजों से तीन गुना पैसा वसूल रहे एंबुलेंस कर्मी

कोरोना काल में एंबुलेंस कर्मी मरीजों से तीन गुना पैसा वसूल रहे हैं. लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भी लगातार चेतावनी दी जाती है लेकिन इसका कोई असर नहीं होता.

Ambulance operators are taking more money in Corona period
मनमाना पैसा वसूल रहे एंबुलेंस संचालक
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Published : May 19, 2021, 8:04 PM IST

Updated : May 19, 2021, 10:51 PM IST

रांची: कोरोना काल में जहां स्वास्थ्य कर्मचारी जी-जीन से मरीजों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं वहीं संकट की इस घड़ी में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर सिर्फ मुनाफा कमाने में जुटे हैं. इस तरह के मामले सभी जिलों में सामने आ रहे हैं. निजी एंबुलेंस संचालक कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ज्यादा पैसे मांग रहे हैं. कोई एंबुलेंस संचालक दोगुना तो कोई तीन गुना रेट मांग रहा है. एंबुलेंस संचालकों इसी ताक में रहते हैं कि कैसे मरीज से ज्यादा पैसा ले लिया जाए. अभी कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का सिर्फ एक ही जरिया है और वह है एंबुलेंस. संचालक इसी का फायदा उठाने में लगे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

खुलकर उगाही कर रहे एंबुलेंस कर्मी

अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज के परिजनों ने बताया कि संकट की घड़ी में एंबुलेंस कर्मी खुलकर उगाही कर रहे हैं. रामगढ़ से कोरोना मरीज को लेकर रिम्स पहुंचे परिजन ने बताया कि आम दिनों में रांची आते थे तो 1500 से 1800 रुपए देना पड़ता था. लेकिन, इस बार 3500 रुपए देना पड़ा. जाहिर है कि एंबुलेंस कर्मी कम से कम दो गुने रेट पर ही मान रहे हैं. एक और मरीज के परिजन ने बताया कि रिम्स से महज 2 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए एक निजी एंबुलेंस कर्मी ने 800 रुपए की मांग की जो सरकारी रेट से काफी ज्यादा है.

यह भी पढ़ें: निजी अस्पतालों की मनमानी: सरकार के नियमों की खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां, अनाप-शनाप फीस वसूल रहा प्रबंधन

एंबुलेंस संचालकों की दलील-सरकारी नियमों से ज्यादा पैसा होता है खर्च

निजी एंबुलेंस कर्मियों से जब बात की तो उन लोगों ने कैमरे पर कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया. एंबुलेंस कर्मियों ने बताया कि सरकारी नियमों के हिसाब से पैसा नहीं ले सकते. उससे ज्यादा पैसा खर्च होता है. पेट्रोल-डीजल का रेट भी पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गया है.

अस्पताल प्रबंधन और रिम्स के पीआरओ डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि सरकारी एंबुलेंस कर्मियों को हिदायत दी गई है कि सरकार रेट से ज्यादा पैसा न लें. कई बार निजी एंबुलेंस कर्मी सरकारी नियमों को दरनिकार कर मनमाफिक पैसा वसूलते हैं जो कि गलत है. ऐसे एंबुलेंस कर्मियों पर विभाग की तरफ से कार्रवाई भी की जाती है.

Ambulance operators are taking more money in Corona period
झारखंड में सरकारी एंबुलेंस का रेट.

क्या है सरकारी रेट ?

एंबुलेंस चालक को पीपीई किट के लिए 500 रुपए का भुगतान करना होता है. वेंटिलेटर रहित एंबुलेंस 10 किलोमीटर तक 500 रुपए का किराया वसूल सकते हैं. इसके बाद किलोमीटर में बढ़ोतरी के हिसाब से रेट बढ़ता है. सामान्य एंबुलेंस 12₹/किलोमीटर की दर से किराया ले सकते हैं. एडवांस टेक्नोलॉजी एंबुलेंस 10 किलोमीटर तक 600 रुपए किराया वसूल सकती है. किलोमीटर में बढ़ोतरी होती है तो 14₹/किलोमीटर चार्ज कर सकती है. मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के बाद उपभोक्ता एंबुलेंस के सेनेटाइजेशन के लिए 200 रुपए का भुगतान करेंगे.

आईडीएसपी(इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम) के अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि कोरोना मरीजों के लिए हर जिले में एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम के दो-दो एंबुलेंस और बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम के पांच-पांच एंबुलेंस काम पर लगाए गए हैं. यह बढ़ते मरीजों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है. सरकार की तरफ से पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने का फायदा निजी एंबुलेंस संचालक उठाते हैं. जिस तरह से निजी एंबुलेंस कर्मी सरकारी दरों की धज्जियां उड़ा रहे हैं वह निश्चित रूप से मरीजों के लिए आर्थिक संकट पैदा कर रहा है. ऐसे एंबुलेंस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.

रांची: कोरोना काल में जहां स्वास्थ्य कर्मचारी जी-जीन से मरीजों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं वहीं संकट की इस घड़ी में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर सिर्फ मुनाफा कमाने में जुटे हैं. इस तरह के मामले सभी जिलों में सामने आ रहे हैं. निजी एंबुलेंस संचालक कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ज्यादा पैसे मांग रहे हैं. कोई एंबुलेंस संचालक दोगुना तो कोई तीन गुना रेट मांग रहा है. एंबुलेंस संचालकों इसी ताक में रहते हैं कि कैसे मरीज से ज्यादा पैसा ले लिया जाए. अभी कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का सिर्फ एक ही जरिया है और वह है एंबुलेंस. संचालक इसी का फायदा उठाने में लगे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

खुलकर उगाही कर रहे एंबुलेंस कर्मी

अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज के परिजनों ने बताया कि संकट की घड़ी में एंबुलेंस कर्मी खुलकर उगाही कर रहे हैं. रामगढ़ से कोरोना मरीज को लेकर रिम्स पहुंचे परिजन ने बताया कि आम दिनों में रांची आते थे तो 1500 से 1800 रुपए देना पड़ता था. लेकिन, इस बार 3500 रुपए देना पड़ा. जाहिर है कि एंबुलेंस कर्मी कम से कम दो गुने रेट पर ही मान रहे हैं. एक और मरीज के परिजन ने बताया कि रिम्स से महज 2 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए एक निजी एंबुलेंस कर्मी ने 800 रुपए की मांग की जो सरकारी रेट से काफी ज्यादा है.

यह भी पढ़ें: निजी अस्पतालों की मनमानी: सरकार के नियमों की खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां, अनाप-शनाप फीस वसूल रहा प्रबंधन

एंबुलेंस संचालकों की दलील-सरकारी नियमों से ज्यादा पैसा होता है खर्च

निजी एंबुलेंस कर्मियों से जब बात की तो उन लोगों ने कैमरे पर कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया. एंबुलेंस कर्मियों ने बताया कि सरकारी नियमों के हिसाब से पैसा नहीं ले सकते. उससे ज्यादा पैसा खर्च होता है. पेट्रोल-डीजल का रेट भी पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गया है.

अस्पताल प्रबंधन और रिम्स के पीआरओ डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि सरकारी एंबुलेंस कर्मियों को हिदायत दी गई है कि सरकार रेट से ज्यादा पैसा न लें. कई बार निजी एंबुलेंस कर्मी सरकारी नियमों को दरनिकार कर मनमाफिक पैसा वसूलते हैं जो कि गलत है. ऐसे एंबुलेंस कर्मियों पर विभाग की तरफ से कार्रवाई भी की जाती है.

Ambulance operators are taking more money in Corona period
झारखंड में सरकारी एंबुलेंस का रेट.

क्या है सरकारी रेट ?

एंबुलेंस चालक को पीपीई किट के लिए 500 रुपए का भुगतान करना होता है. वेंटिलेटर रहित एंबुलेंस 10 किलोमीटर तक 500 रुपए का किराया वसूल सकते हैं. इसके बाद किलोमीटर में बढ़ोतरी के हिसाब से रेट बढ़ता है. सामान्य एंबुलेंस 12₹/किलोमीटर की दर से किराया ले सकते हैं. एडवांस टेक्नोलॉजी एंबुलेंस 10 किलोमीटर तक 600 रुपए किराया वसूल सकती है. किलोमीटर में बढ़ोतरी होती है तो 14₹/किलोमीटर चार्ज कर सकती है. मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के बाद उपभोक्ता एंबुलेंस के सेनेटाइजेशन के लिए 200 रुपए का भुगतान करेंगे.

आईडीएसपी(इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम) के अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि कोरोना मरीजों के लिए हर जिले में एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम के दो-दो एंबुलेंस और बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम के पांच-पांच एंबुलेंस काम पर लगाए गए हैं. यह बढ़ते मरीजों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है. सरकार की तरफ से पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने का फायदा निजी एंबुलेंस संचालक उठाते हैं. जिस तरह से निजी एंबुलेंस कर्मी सरकारी दरों की धज्जियां उड़ा रहे हैं वह निश्चित रूप से मरीजों के लिए आर्थिक संकट पैदा कर रहा है. ऐसे एंबुलेंस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.

Last Updated : May 19, 2021, 10:51 PM IST
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