रांची: 12 सितंबर को झारखंड दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड वासियों के लिए कई खुशियों की सौगात भी ला रहे हैं. इस अवसर पर प्रधानमंत्री केवल नए विधानसभा भवन और साहिबगंज बंदरगाह का ही उद्घाटन नहीं करेंगे बल्कि रांची के प्रभात तारा मैदान से प्रधानमंत्री वनधन योजना और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना का भी शुभारंभ करेंगे.
बता दें कि इसके पूर्व रांची दौरे पर आए प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत योजना का यहीं से शुभारंभ किया था. वहीं विधानसभा भवन के पास ही सचिवालय निर्माण योजना का भी प्रधानमंत्री शिलान्यास करेंगे. इसके साथ ही अपने दौरे पर और भी कई योजनाओं का प्रधानमंत्री शिलान्यास करेंगे.
यह भी पढ़ें- जल शक्ति अभियान में धनबाद देश भर में नंबर वन, केंद्रीय मंत्रालय ने जारी की लिस्ट
क्या है प्रधानमंत्री वनधन योजना
इस योजना के तहत देश के 27 राज्यों के 307 जनजातीय जिलों में बसे 5.5 करोड़ आदिवासियों के जीवन में बदलाव आएगा. वनधन योजना के तहत आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए 30 हजार स्वयं सहायता समूह बनाए जाएंगे. 15 स्वयं सहायता समूह कलस्टर के साथ 3000 वनधन विकास केंद्र बनेगा. खास बात है कि हर केंद्र को 15 लाख की वित्तीय सहायता मिलेगी. यही नहीं हर केंद्र पर उत्पादों की मार्केटिंग रिटेल नेटवर्क के जरिए होगी. इस योजना से झारखंड के आदिवासियों को सबसे अधिक लाभ पहुंचेगा.
यह भी पढ़ें- 12 सितंबर को झारखंड दौरे पर होंगे प्रधानमंत्री, कांग्रेस ने बताया चुनावी हथकंडा
क्या है प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
12 सितंबर को रांची की धरती से किसानों की सामाजिक सुरक्षा के लिए किसान मानधन योजना का भी शुभारंभ होगा. इस योजना का लाभ 18 साल से 40 साल तक के किसानों को मिलेगा. सबसे पहले उनका रजिस्ट्रेशन होगा. उम्र के हिसाब से किसानों को 55 रूपये से लेकर 200 रुपए प्रतिमाह पेंशन निधि में अंशदान के रूप में जमा करना होगा. जब किसान की उम्र 60 साल हो जाएगी, तो उन्हें पेंशन के रूप में प्रति माह 3000 रुपए मिलेंगे. यदि 60 साल की उम्र पूरी होने से पहले किसान की मौत हो जाती है तो आश्रित को पेंशन की आधी राशि यानी 1,500 रुपए दिए जाएंगे.
इस योजना के तहत पहले चरण में झारखंड के एक लाख किसानों को योजना का लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि किसान मानधन योजना को लेकर लाभुक किसानों की डेटा एंट्री के मामले में झारखंड को देश में छठा स्थान प्राप्त है. अभी तक झारखंड में 65 हजार किसानों की डाटा एंट्री की जा चुकी है.