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Ranchi News: रांची का पिठौरिया बन गया था ड्राई जोन, मुखिया मुन्नी देवी की पहल से अब हर घर नल से पहुंचता है पानी

राजधानी रांची का पिठौरिया कोई मामूली गांव नहीं है. सब्जी की खेती के लिए चर्चा में रहा पिठौरिया एक बार फिर से देश के पटल पर सुर्खियों में है. इस बार सुर्खियों में मुखिया मुन्नी देवी हैं, क्योंकि ड्राई जोन पिठौरिया में मुखिया मुन्नी देवी की पहल से अब हर घर नल से पानी पहुंचता है. इसके लिए मुन्नी देवी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान मिला.

President honored Mukhiya Munni Devi for providing tap water to village of Pithoria in Ranchi
रांची के पिठौरिया गांव को नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रपति ने मुखिया मुन्नी देवी को सम्मानित किया
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Published : Mar 11, 2023, 7:04 AM IST

Updated : Mar 11, 2023, 7:49 AM IST

मुखिया मुन्नी देवी के साथ ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ की खास बातचीत

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर उत्तर की ओर पतरातू पथ पर मौजूद है पिठौरिया गांव. यह गांव फिर सुर्खियों में है. अबतक सब्जी की खेती और पेयजल की किल्लत इस गांव की पहचान हुआ करती थी. लेकिन अब इसे मुखिया मुन्नी देवी के पहल की वजह से पहचाना जाने लगा है.

इसे भी पढ़ें- Koderma News: कोडरमा की दो बेटियों को मिला राष्ट्रपति सम्मान, घर आने पर हुआ जोरदार स्वागत

दरअसल, मुखिया मुन्नी देवी ने गांव के घरों तक नल से जल पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किया. उनकी मेहनत का नतीजा है कि अब इस गांव में स्वच्छ पेयजल पहुंच रहा है. जल जीवन मिशन के तहत जलापूर्ति योजना के रख रखाव और प्रबंधन में सहयोग के लिए पिछले दिनों उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों 'स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान' से नवाजा गया है. इस मौके पर उन्होंने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से अपने संघर्ष से सम्मान तक के सफर को साझा किया.

उन्होंने बताया कि पिठौरिया में कई तालाब हैं. लेकिन पिछले कई वर्षों से यह इलाका पेयजल संकट से जूझ रहा था. गर्मी शुरू होते ही तालाब, आहर, कुएं सूख जाते थे. चापाकल ठप पड़ जाते थे. बोरिंग फेल हो जाते थे. टैंकर से पानी लेने के लिए सुबह चार बजे से ही लोगों को कतार में लगना पड़ता था. तब इन्होंने तत्कालीन पेयजल स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी को हालात से अवगत कराया, उनके पहल पर जल जीवन मिशन योजना धरातल पर उतरी.

मुखिया मुन्नी देवी ने कहा कि सम्मान लेते वक्त उन्होंने राष्ट्रपति को झारखंड की राज्यपाल रहते पिठौरिया आगमन की याद दिलायी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने कहा कि इसी तरह मेहनत करते रहिए. खास बात है कि मुन्नी देवी ने इस उपलब्धि का श्रेय ग्रामीणों को भी दिया.

कैसे होती है पिठौरिया गांव में वाटर सप्लाईः कांके रोड पर रिंग रोड के पास जुमार नदी पर चेक डैम बनाया गया है. वहीं पर इंटेक वेल तैयार किया गया है. इसी जगह से उच्च क्षमता वाले मोटर से पाइप के सहारे करीब 8 किमी दूर पिठौरिया गांव में थाना के पास वाटर ट्रिटमेंट प्लांट तक पानी पहुंचाया जाता है. वहां से पानी को टंकी पर चढ़ाया जाता है. टंकी की क्षमता 3.20 लाख लीटर है. अब गांव में हमेशा पानी पहुंचता है. यहां के किसान प्रगतिशील हैं. भारी तादाद में हरी सब्जी की खेती होती है. पानी पहुंचने से गांव की तस्वीर ही बदल गई है.

पिठौरिया कोई आम गांव नहींः पिठौरिया कोई मामूली गांव नहीं है. इसी पिठौरिया के सुतियांबे से मदरा मुंडा की सत्ता चलती थी. कहते हैं कि यहीं नागवंशी राज घराने का उदय हुआ था. यह वही गांव है जहां जगतपाल सिंह का किला हुआ करता था. कहते हुए 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों का विरोध करने वाले ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के खिलाफ जगतपाल ने ही गवाही दी थी. उसी की गवाही पर विश्वनाथ शाहदेव को अंग्रेजों ने अप्रैल 1858 में रांची के जिला स्कूल कैंपस में फांसी दे दी थी. मान्यता है कि ठाकुर विश्वनाथ के शाप के कारण जगतपाल का वंश नहीं बढ़ा. आज उसके किले को शापित किला कहा जाता है.

मुखिया मुन्नी देवी के साथ ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ की खास बातचीत

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर उत्तर की ओर पतरातू पथ पर मौजूद है पिठौरिया गांव. यह गांव फिर सुर्खियों में है. अबतक सब्जी की खेती और पेयजल की किल्लत इस गांव की पहचान हुआ करती थी. लेकिन अब इसे मुखिया मुन्नी देवी के पहल की वजह से पहचाना जाने लगा है.

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दरअसल, मुखिया मुन्नी देवी ने गांव के घरों तक नल से जल पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किया. उनकी मेहनत का नतीजा है कि अब इस गांव में स्वच्छ पेयजल पहुंच रहा है. जल जीवन मिशन के तहत जलापूर्ति योजना के रख रखाव और प्रबंधन में सहयोग के लिए पिछले दिनों उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों 'स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान' से नवाजा गया है. इस मौके पर उन्होंने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से अपने संघर्ष से सम्मान तक के सफर को साझा किया.

उन्होंने बताया कि पिठौरिया में कई तालाब हैं. लेकिन पिछले कई वर्षों से यह इलाका पेयजल संकट से जूझ रहा था. गर्मी शुरू होते ही तालाब, आहर, कुएं सूख जाते थे. चापाकल ठप पड़ जाते थे. बोरिंग फेल हो जाते थे. टैंकर से पानी लेने के लिए सुबह चार बजे से ही लोगों को कतार में लगना पड़ता था. तब इन्होंने तत्कालीन पेयजल स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी को हालात से अवगत कराया, उनके पहल पर जल जीवन मिशन योजना धरातल पर उतरी.

मुखिया मुन्नी देवी ने कहा कि सम्मान लेते वक्त उन्होंने राष्ट्रपति को झारखंड की राज्यपाल रहते पिठौरिया आगमन की याद दिलायी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने कहा कि इसी तरह मेहनत करते रहिए. खास बात है कि मुन्नी देवी ने इस उपलब्धि का श्रेय ग्रामीणों को भी दिया.

कैसे होती है पिठौरिया गांव में वाटर सप्लाईः कांके रोड पर रिंग रोड के पास जुमार नदी पर चेक डैम बनाया गया है. वहीं पर इंटेक वेल तैयार किया गया है. इसी जगह से उच्च क्षमता वाले मोटर से पाइप के सहारे करीब 8 किमी दूर पिठौरिया गांव में थाना के पास वाटर ट्रिटमेंट प्लांट तक पानी पहुंचाया जाता है. वहां से पानी को टंकी पर चढ़ाया जाता है. टंकी की क्षमता 3.20 लाख लीटर है. अब गांव में हमेशा पानी पहुंचता है. यहां के किसान प्रगतिशील हैं. भारी तादाद में हरी सब्जी की खेती होती है. पानी पहुंचने से गांव की तस्वीर ही बदल गई है.

पिठौरिया कोई आम गांव नहींः पिठौरिया कोई मामूली गांव नहीं है. इसी पिठौरिया के सुतियांबे से मदरा मुंडा की सत्ता चलती थी. कहते हैं कि यहीं नागवंशी राज घराने का उदय हुआ था. यह वही गांव है जहां जगतपाल सिंह का किला हुआ करता था. कहते हुए 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों का विरोध करने वाले ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के खिलाफ जगतपाल ने ही गवाही दी थी. उसी की गवाही पर विश्वनाथ शाहदेव को अंग्रेजों ने अप्रैल 1858 में रांची के जिला स्कूल कैंपस में फांसी दे दी थी. मान्यता है कि ठाकुर विश्वनाथ के शाप के कारण जगतपाल का वंश नहीं बढ़ा. आज उसके किले को शापित किला कहा जाता है.

Last Updated : Mar 11, 2023, 7:49 AM IST
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