रांची: हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद अबतक राज्य के ज्यादातर बोर्ड, निगम, आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली पड़े हुए (Vacant posts in board corporation and commission in Jharkhand) हैं. इसको लेकर आए दिन राजनीति होती रहती है. बार-बार सवाल उठने पर सत्ताधारी दलों के नेताओं का रटा-रटाया जवाब आता रहा है कि इस दिशा में काम चल रहा है. ऐसी बातें सुनते-सुनते करीब ढाई साल गुजर चुके. सरकार बनने के ठीक बाद फरवरी 2020 में तत्कालीन मुख्य सचिव डीके तिवारी ने सभी विभागों से बोर्ड, निगम, आयोग समेत अन्य संस्थाओं में रिक्त पड़े पदों की सूची भी मांगी थी. लेकिन ऐन मौके पर कोरोना की इंट्री की वजह से पूरी प्रक्रिया धरी की धरी रह गई. दूसरी तरफ कोरोना के एक के बाद एक वेव से निपटने में सरकार उलझी रही. जब हालात सामान्य हुए तो सरकार गिराने की साजिश में तीन कांग्रेसी विधायकों की पश्चिम बंगाल में गिरफ्तारी से सरकार अलग मोड पर चली गई.
अब इस गैप को पाटने की कवायद शुरू हो चुकी है. माननीयों और सत्ताधारी दलों से जुड़े प्रमुख नेताओं की नाराजगी दूर होने वाली है. सत्ताधारी दलों के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लिस्ट तैयार हो चुकी है. जल्द ही बोर्ड, निगम और आयोगों में रिक्त पड़े अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की लिस्ट जारी हो जाएगी. इस मामले में ज्यादातर की दिलचस्पी मानवाधिकार आयोग Human Rights Commission), राज्य सूचना आयोग, विधि आयोग, बाल संरक्षण आयोग, 22 जिलों में स्थित उपभोक्ता फोरम, राज्य खादी बोर्ड (State Khadi Board), महिला आयोग, विद्युत नियामक आयोग, आरआरडीए, 20 सूत्री निगरानी समिति, आवास बोर्ड और माडा में जगह बनाने को लेकर है. अमिताभ चौधरी का कार्यकाल खत्म होने के बाद जेपीएससी अध्यक्ष (JPSC Chairman) का पद भी खाली पड़ा हुआ है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सत्ताधारी दलों के कद के हिसाब से बंटवारे का फॉर्मूला भी तैयार हो चुका है.
खास बात यह है कि अहम पदों को भरने की प्रक्रिया बेहद सुस्त रही है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पंचायत चुनाव के मद्देनजर फरवरी 2021 में राज्य के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव डीके तिवारी को झारखंड राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया था. इनके नेतृत्व में इसी वर्ष राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुआ. इसके बाद अगस्त 2021 में हिमांशु शेखर चौधरी राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष बनाए गये थे. आपको बता दें कि हेमंत सोरेन जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब हिमांशु शेखर चौधरी उनके राजनीतिक सलाहकार थे. वह राज्य के सूचना आयुक्त भी रह चुके हैं. इस बीच सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं के दबाव का असर था कि जिला स्तर पर 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के गठन की कवायद शुरू हुई. सबसे पहले दिसंबर 2021 में सभी मंत्रियों को एक से लेकर तीन जिलों के 20 सूत्री समिति का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया गया. इसके बाद जनवरी 2022 में 24 में से 5 जिलों मसलन, साहिबगंज, जामताड़ा, पाकुड़, गढ़वा और लातेहार जिला के 20 सूत्री कार्यक्रम समिति के उपाध्यक्ष और सदस्यों के नाम जारी किए गये. साथ ही इन्हीं पांच जिलों के प्रखंड स्तरीय 20 सूत्री समिति के अध्यक्ष समेत अन्य पदों को भरा गया.
बोर्ड, निगम के पुनर्गठन में विलंब के कई तर्क दिए जाते रहे हैं. लेकिन अब समय और परिस्थिति बदल चुकी है. जानकारों का कहना है कि इस मामले में विलंब सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है क्योंकि हालिया घटनाक्रम की वजह से उपजे आंतरिक असंतोष को और नहीं टाला जा सकता है.