रांची: 20 जून को रांची के जगन्नाथपुर मंदिर से ऐतिहासिक रथ यात्रा निकलेगी. जिस पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाने के लिए निकलेंगे. इसके लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं.
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इस रथ को आकर्षक स्वरूप देने के लिए पुरी के कारीगर जुटे हैं. रथ का निर्माण कर रहे कारीगर ओमप्रकाश महाराणा कहते हैं कि करीब 35 फुट ऊंचा और 50 क्विंटल वजन वाली नीम की लकड़ी से बना रथ 18-19 जून तक तैयार हो जाएगा. ओमप्रकाश महाराणा के साथी कारीगर विम्बधर प्रधान और हेमंत कुमार बराक भी इसको आकर्षक स्वरूप देने में लगे हैं. इसके अलावा रथ पर सखी, राहु-केतु, जोड़ा बाघ जैसी कलाकृतियां बनाई जा रही हैं.
333 वर्ष का इतिहासः रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में 333 वर्ष से रथ यात्रा निकाली जा रही है. कोरोना काल में भव्य रूप से इसका आयोजन नहीं किया गया था. लेकिन पिछले साल की तरह इस वर्ष भी रथ यात्रा को भव्य स्वरूप देने की तैयारी चल रही है. 19 जून को रथ के ऊपरी भाग को आकर्षक और रंगबिरंगे कपड़े से सजाया जाएगा. तीन द्वार वाले भगवान जगन्नाथ के रथ की खासियत यह है कि इसके सभी आठ पहिये लकड़ी के बने होते हैं और इसमें कोई बेयरिंग या अन्य लुब्रिकेंट नहीं लगाया जाता. यात्रा के दिन इन पहियों में तेल और घी लगाया जाता है ताकि घर्षण को कम किया जा सके.
19 जून को नेत्रदान के बाद दर्शन देंगे भगवानः भगवान जगन्नाथ अभी अपने भाई और बहन के साथ एकांतवास में हैं. 19 जून को नेत्रदान के साथ भगवान अपने भक्तों को दर्शन देंगे. 19 जून को नेत्रदान वाले दिन सुबह छह बजे मंगल आरती होगी और दोपहर 12 बजे अन्न भोग का आयोजन होगा. संध्या चार बजे से नेत्रदान की पूजा शुरू होगी और शाम 05 बजे 108 मंगल आरती के बाद भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देंगे.
20 जून को सुबह 05 बजे स्वामी जगन्नाथ की पूजा होगी और वो भक्तों के बीच दर्शन देंगे. इसके बाद दोपहर 02 बजकर 01 मिनट पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर यात्रा के लिए निकलेंगे. शाम 05 बजे इस यात्रा को संपन्न कराने के लिए भक्त जुटेंगे और रथ खींचेंगे. शाम 06 बजे भगवान अपने मौसी के घर (मौसीबाड़ी) पहुचेंगे. मौसीबाड़ी में 9 दिन के प्रवास के बाद 29 जून को भगवान अपने भाई और बहन के साथ मौसी घर से वापस अपने घर यानी मुख्य मंदिर लौट आयेंगे.
रथयात्रा मेला आकर्षण का केंद्रः रांची के जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में 10 दिन तक मेला लगता है. इसके लिए अभी से ही एक से बढ़कर एक झूला और ग्रामीण उत्पाद बिक्री के लिए सजने लगे हैं. रथ यात्रा के दौरान जगन्नाथपुर में लगने वाला मेला लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है. इसमें घरेलू और ग्रामीण उत्पाद से लेकर मिठाइयां खूब बिकती हैं. इसके अलावा बच्चों के मनोरंजन के लिए एक से बढ़कर एक झूला लगते हैं.